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शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों.... उमेश दुबे*

 बिर्रा:-छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रखर वक्ता जिला


महासचिव उमेश कुमार दुबे ने शासन-प्रशासन से मांग करते हुए कहा है कि कोविड में शिक्षकों की ड्यूटी लगाया जा रहा है शिक्षक अपनी जान को खतरे में डालकर जमीनी स्तर से घर घर जाकर कोरोना सर्वेक्षण करना, आधार कार्ड एकत्र करके वेक्सिनेशन करवाना, आम आदमियों से वैक्सीनेशन हेतु गुजारिश करना, जागरूकता अभियान चलाना ,शिक्षक सबसे बड़ी जिम्मेदारी निभा कर अपनी ड्यूटी कर रहे हैं, चाहे उन्हें सुविधा, सुरक्षा व साधन मिली हो या ना मिली हो इसकी परवाह किए बगैर शिक्षक  इस कोरोना महामारी में अधिकारियों द्वारा लिखित आदेश में जिम्मेदारी से अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं, अन्य विभागों को सुरक्षा हेतु 50 लाख बीमा दिया जा रहा है तो शिक्षा विभाग के शिक्षकों को क्यों नहीं...? ये सौतेला व्यवहार आखिर क्यों...?इस महामारी काल में सबसे अधिक लगभग 370 शिक्षकों को कोरोना ने अपनी चपेट में लेकर मृत्यु प्रदान की है। उसका जिम्मेदार कौन है...? आखिर शिक्षक को सुरक्षा बीमा कवर क्यों नहीं...? इस गंभीर माग पर शासन प्रशासन को सहानुभूति पूर्वक विचार करके कोरोना वारियर्स का दर्जा देते हुए 50 लाख की बीमा कवर त्वरित दिवा  जावे व दिवंगत शिक्षकों के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति देकर संवेदना राशि दिया जावे। शिक्षकों के इतनी बड़ी निधन की संख्या पर शिक्षक के परिवारों में शासन प्रशासन के प्रति काफी असंतोष देखा जा रहा है फिर भी शासन प्रशासन  मौन है..? जो कि समझ से परे है। आखिर शासन प्रशासन शिक्षा विभाग से ही सौतेला व्यवहार क्यों कर रही है..? शासन दिवंगत शिक्षकों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए शिक्षा विभाग हेतु बीमा कवर,अनुकंपा नियुक्ति/ मासिक संवेदना राशि देने हेतु तत्काल आदेश करें

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