जनसंख्या अनेक समस्याएं पैदा कर रही है समय रहते जागो : सुपोषण सखी संता आदिवासी
शिवपुरी, विश्व जनसंख्या दिवस 2021 प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी 11 जुलाई को मनाया गया। विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का सबसे बड़ा कारण है लोगों को जागरूक करना। इस बार 29 वां विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जिसके तहत शक्तिशाली महिला संगठन शिवपुरी द्वारा आदिवासी बाहुल्य ग्राम चिटोरीखुर्द में एक एवं दो बच्चों वाली माताएं जिन्होने स्थायी परिवार नियोजन अपनाया है उनको सम्मानित किया।
विश्व जनसंख्या दिवस के उपलक्ष्य में ग्रामवासियो के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसमें एक-एक किशोरी बालिकाओं को अपने आसपास की परिवारों को जागरुक करने का जिम्मा सौपा। इसके साथ ही स्थाई परिवार नियोजन अपनाने वाली माताओं के घर जाकर जामुन के पौधे लगाए।
कार्यक्रम संयोजक शक्तिशाली महिला संगठन रवि गोयल ने बताया कि इस वर्ष की विश्व जनसंख्या दिवस की थीम कोविड 19 महामारी का प्रजनन क्षमता पर प्रभाव रखी गयी है। जनसंख्या वृद्धि का अनुमान आप ऐसे लगा सकते है। जब किसी क्षेत्र में युवाओं को नौकरी के लिए भटकना पड़े या किसी परिवार को दो वक्त की रोटी के लिए काफी कठिनाई का सामना करना पड़े तो निश्चित ही उस देश की जनसंख्या तेजी से बढ़ने लगी है।
सर्वप्रथम गांव की सुपोषण सखी सन्ता आदिवासी ने अपना उदाहरण देते हुए बताया कि मेरी केवल एक 8 साल की लड़की है और मेरा वही पूरा परिवार है। मैं अब कोई और बच्चा नही चाहती। सभी गांव वालों से मेरा निवेदन है कि अपने परिवार को छोटा रखे तंदुरुस्त रखे जिससे कि आप अपने बच्चो का पालन पोषण अच्छे से कर पाओं। जनसख्या बढ़ने से अनेक समस्याए पैदा हो रही है जिनमें बेरोजगारी, कुपोषण एवं गरीबी इसीलिए अभी भी समय है जागो नही तो हमारे पास संसाधन ही नही बचेगें।
गांव की आंगनवाड़ी सहायिका ने अपने विचार साझा करते हुए बताया कि मेरे केवल दो बच्चे है और मेरे द्वारा नसबंदी करवा ली गई है। अब में गांव के और लोगों को छोटा परिवार सुखी परिवार का महत्व बता रही हूं। कार्यक्रम में न्यूट्रिशन चैम्पियन सोमन शर्मा ने कहा कि मै दो साल से इस गांव में कुपोषण पर काम कर रही हूँ। आदिवासी परिवारों में वहां ज्यादा कुपोषण है जहां शिक्षा का अभाव है साफ सफाई का अभाव है एवं बच्चों की संख्या अधिक है।
किशोरी बालिका मुस्कान यादव ने कहा कि भारत की जनसंख्या का अनुमान वृद्धि दर के आधार पर लगाया जा रहा है। कहा जाता है कि किसी भी चीज की अति बुरी होती है। फिर चाहे वह किसी देश आर्थिक समस्या हो या जनसंख्या की समस्या दोनों ही किसी देश के लिए घातक होती है।
किशोरी बालिकाओ को एवं समुदाय को मुस्कान ने समझाया कि जितने लोग होंगे उतना ज्यादा खर्च भी बढ़ेगा। जैसे कि किसी माता.पिता के 5 बच्चे है तो क्या वे अपने सभी बच्चे को अच्छी शिक्षा या सुविधा दे सकेंगे। लेकिन इसके विपरीत किसी माता-पिता के एक या दो बच्चे हो तो वह अपने बच्चे की अच्छी परवरिश कर सकते है और उन्हें अच्छी शिक्षा भी दे सकते है। संस्था द्वारा एक एवं दो बच्चे वाले ऐसे परिवार जिन्होने कि स्थायी परिवार नियोजन अपना लिया है उनमें रामसिया, दुलाई यादव, अनारी आदिवासी, पतोला आदिवासी एवं मीरा आदिवासी को उपहार एवं एक-एक पौधा देकर उनको सम्मानित किया जिससे कि गावं के अन्य परिवारों में यह संदेश जाए कि वह अपने परिवार को सीमित रखें।
कार्यक्रम में पहली बार गर्भवती सपना आदिवासी, करेला आदिवासी एवं रचना आदिवासी के साथ एक बच्चे वाली माताओं एवं किशोरी बालिकाओं में रानी, खुशबू, चमेली, अंजली, हेमलता विशाखा, कुंजा, नन्दनी एवं रश्मि ने गांव की अन्य परिवारों को जागरूक करने का निश्चय किया। सुपोषण सखी सन्ता आदिवासी, इग्लिश आदिवासी एवं भूरी आदिवासी ने कार्यक्रम मे भागीदारी की इसके साथ आंगनवाड़ी सहायिका मुन्नी आदिवासी को भी पौधा देकर सम्मानित किया।
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