शिवपुरी बुनियादी रूप से जिन लक्ष्यों को लेकर सामाजिक संस्थाओं का गठन किया जाता है वे व्यवहारिक रूप से उन मामलों में उतनी निपुण नही होतीं है। इसलिए इस क्षेत्र में लक्ष्य और समेकित प्रयासों के मध्य न्यूनता या कमी को पकड़ने के लिए सोशल ऑडिट एक सशक्त माध्यम है। यह बात अर्चना पिल्लई डायरेक्टर सोशल ऑडिट नेटवर्क ने कही।
उन्होंने बताया कि संस्था और समाज के मध्य मूल्य किस तरह स्थापित हो रहे है इस तथ्य का भी इस ऑडिट के जरिए पता किया जाता है। सुश्री पिल्लई के अनुसार ऑडिट नेटवर्क द्वारा प्रायोजित सोशल ऑडिट प्रक्रिया के लिए तीन माह का समय और पिछले तीन वर्ष की गतिविधियों की जानकारी आवश्यक है।
सोशल कम्प्लाइंस ऑडिटर आनन्द त्रिपाठी ने कार्यशाला को संबोधित कर कहा कि सोशल ऑडिट से हम किसी भी संस्था में गैप को चिह्निंत करते है । इस रिपोर्ट के माध्यम से हम लक्षित उद्देश्यों को पूर्ण करने की दिशा में प्रभावी तरीके से आगे बढ़ सकते हैं। सुनिश्चित की जा सकतीं है। राजीव जैन ने कहा कि जेजे एक्ट के उद्देश्यों के अनुरूप काम करने के लिए यह आवश्यक है कि तृतीय पक्ष का स्तरीय ऑडिट आवश्यक है। चाइल्ड कंजर्वेशन फाउंडेशन के सचिव डॉ कृपाशंकर चौबे ने अपने विशेषज्ञ वक्तव्य में थर्ड पार्टी सोशल ऑडिट को अनिवार्य किए जाने और इस तरह की रिपोर्ट पर पारदर्शिता के साथ साथ जबाबदेही तय किए जाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
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