
ई-सत्यापन में छात्रों पर डबल फीस के भार से हो रही आर्थिक क्षति
कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के लिए सरकारी वजीफे का आवेदन भरने के लिए एमपी टास पोर्टल की खामियां दूर होने की बाट जोह रहे चार हजार से ज्यादा छात्रों के लिए अच्छी खबर है। सरकार ने पोर्टल की तीनों खामियां दूर कर दी हैं। अब छात्र वजीफे के लिए आवेदन कर सकते हैं। प्रदेश सरकार इन छात्रों के लिए अभी कुछ दिन तक पोर्टल की लिंक भी बंद नहीं करेगी।
दरअसल एससी, एसटी और ओबीसी कैटेगरी के छात्र कॅालेज में पढ़ाई के लिए सरकार से मिलने वाली छात्रवृत्ति के लिए https://www.tribal.mp.gov.in/mptaas/ पोर्टल पर आवेदन नहीं कर पा रहे है। स्वाध्यायी से नियमित हुए या छात्रवृत्ति लेने के बाद फेल हुए छात्रों के साथ सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही थी। कई छात्र ऐसे भी थे जिनका डाटा कॉलेज ने तो अपलोड कर दिया, लेकिन उच्च शिक्षा विभाग से अप्रूव नहीं होने के कारण पोर्टल छात्रवृत्ति का आवेदन नहीं ले रहा था। जब यह मामला अधिकारियों तक पहुंचा तो आनन-फानन में पोर्टल की खामियां दूर करने का काम शुरू हो गया। सबसे पहले उन छात्रों का डाटा अप्रूव किया, जिनकी जानकारी कॉलेजों ने पहले ही अपलोड कर दी थी। इसके बाद स्वाध्यायी से नियमित हुए छात्रों की जानकारी छांटकर पोर्टल पर अपलाेड करना शुरू कर दिया है। वहीं, स्कॉलरशिप लेकर फेल हुए छात्रों के डाटा में अब सुधार शुरू हुआ है। दाे-तीन दिन में यह जानकारी भी पूरी तरह सुधार जाएगी। इसके इस परेशानी से जूझ रहे छात्र भी स्कॉलरशिप के लिए आवेदन कर पाएंगे।
ऑनलाइन प्रवेश:जरा सी गलती पर एमपी ऑनलाइन को चार्ज देना पड़ता है
कॉलेज में प्रवेश की ऑनलाइन प्रक्रिया छात्रों के लिए परेशानी का सबब बन रही है। जरा सी गलती होने पर छात्रों को बार-बार कॉलेज और ऑनलाइन दुकानों का चक्कर लगाना पड़ता है। इससे हर बार उन्हें एमपी ऑनलाइन पर लगने वाला चार्ज देना पड़ता है। इस कारण छात्रों पर अधिक आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। कुछ छात्रों ने इन समस्याओं के निराकरण के लिए प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। अभी तक प्रवेश के समय छात्रों से उनकी फीस माफ कर 50 प्रवेश शुल्क लिया जाता था लेकिन इस साल सरकार ने फीस माफ पद्धति खत्म कर 1000 फीस के रूप में जमा कराए जा रहे हैं।
ऐसे पड़ रहा अतिरिक्त भार
एमपी ऑनलाइन के जरिये दस्तावेजों का ई सत्यापन किया जाता है। यहाँ छात्रों को सभी दस्तावेजों की फोटो कॉपी लेकर जाना होता है। एक बार ई सत्यापन करने के एक छात्र से 50 रुपए लिए जाते हैं। इसके बाद ई सत्यापन के बाद मिले दस्तावेजों को छात्र महाविद्यालय में लेकर जमा करने जाते हैं। यहाँ इन दस्तावेजों में अगर कोई भी जरा सी भी कमी निकलती है तो उसे रिजेक्ट कर दिया जाता है। फिर छात्रों को गलती सुधरवाने के लिए दोबारा एमपी ऑनलाइन पर जाना पड़ता है। दोबारा से 50 रुपए देना पड़ते हैं।
बच्चों की जानकारी में किया है सुधार
यह बात सही है कि पोर्टल में तीन तरह की खामियों के कारण छात्र आवेदन नहीं कर पा रहे थे। हमने शासन को इसके बारे में पत्र लिख दिया था। शासन ने पोर्टल की खामियां दूर कर दी हैं। ज्यादातर बच्चों की जानकारी सुधार दी है। दाे-तीन दिन में यह काम पूरा हो जाएगा। छात्र अब स्कॉलरशिप का आवेदन कर सकते हैं।
ब्रजकांत मिश्रा, सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग
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