शिवपुरी शहर में सूअरों की आबादी दिन दूरी रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ रही है, जिसके कारण सूअर अब शहरवासियों के लिए समस्या बन चुके हैं। इस समस्या से निजात पाने के लिए शहर के वकील, समाजसेवी और आमजन पिछले 10 साल से कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं, परंतु प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही का आलम यह है कि कोर्ट के आदेश, नोटिस और आमजनता की शिकायतों के बाबजूद भी नगरपालिका का अमला शहर को सूअर विहीन करने में नाकाम साबित हो रहा है।
इस पूरे मामले में क्षेत्रीय विधायक और कैबिनेट मंत्री यशोधरा राजे ने भी लगातार प्रयास किए। बावजूद इस समस्या का निराकरण नहीं हो सका। अब इस पूरी समस्या से निजात पाने के लिए शहर के कानूनविद् और समाजसेवियों ने आमजन के साथ एक जनांदोलन शुरू किया है, जिसके तहत अब जल्द ही सूअरों को शहर से बाहर करने के लिए शहरवासी सड़कों पर आंदोलन करते भी दिखाई देंगे। सूअरों की समस्या को लेकर वकीलों ने लगातार कलेक्टर को नोटिस दिए हैं। वहीं 21 अगस्त 2021 को भी एक बार फिर एडवोकेट संजीव बिलगैंया द्वारा कलेक्टर को 15 दिन का नोटिस जारी किया गया है।
2012 में डॉ राजेंद्र गुप्ता ने हाई कोर्ट ग्वालियर में एक जनहित याचिका दायर की। 7 अप्रैल 2014 को जनहित याचिका 1372/2012 पीआईएल डब्ल्यूपी पर हाईकोर्ट ने आदेश दिया। कोर्ट के आदेश के बाद शहर में हजारों सूअरों का शूटआउट किया, लेकिन वैकल्पिक व्यवस्था पर प्रशासन व नपा ने कोई ध्यान नहीं दिया।
नोटिस के बाद नपा ने सूअरों के शूटआउट के संंबंध में एक विज्ञापन जारी की थी
सुअर समस्या समाप्त नहीं हुई तो 9 अगस्त 2020 को एडवोकेट अंचित जैन ने कलेक्टर को कोर्ट के आदेश की अवमानना का नोटिस जारी किया। उक्त नोटिस के बाद नपा ने सुअरों के शूटआउट के संंबंध में एक विज्ञापन जारी कर सुअरों के शूटआउट के लिए टेंडर कुटेशन मंगवाए। इस विज्ञप्ति को आधार बनाकर अखिल भारतीय कृषि गौ सेवा संघ ने याचिका क्रमांक 12987/20 के माध्यम से हाईकोर्ट में एक पीआईएल लगाई। हाईकोर्ट ने इस पर सुनवाई कर उक्त विज्ञप्ति पर स्थगन आदेश जारी कर दिया। इसमें सुप्रीम कोर्ट के एक केस को आधार बनाया, लेकिन हाईकोर्ट द्वारा पूर्व में लगाई गई पीआईएल में दिए गए आदेश में कोई हस्तक्षेप नहीं किया। 21 अगस्त 2021 को एक बार फिर एडवोकेट संजीव बिलगैयां ने कलेक्टर शिवपुरी को कोर्ट के आदेश की अवहेलना का नोटिस जारी किया है।
डॉ. राजेंद्र गुप्ता की पीआईएल पर ये दिया हाईकोर्ट ने आदेश
हाई कोर्ट ने 7 अप्रैल 2014 को जारी आदेश में कहा कि कलेक्टर और सीएमओ सुअर मालिकों को निर्देश दें कि वह सुअरों को दो माह के भीतर नपा सीमा के बाहर स्थानांतरित करें। अगर ऐसा करने में विफल रहते हैं तो नपा इन्हें विनिष्ट करे। आदेश में यह भी कहा गया कि नपा के ऐसे कर्मचारी जो सूअर पालक हैं और इनका व्यापार करते हैं तथा इन्हें नपा सीमा के बाहर नहीं करते हैं तो उन्हें नियम अनुसार टर्मिनेट किया जाए। अगर कोई अन्य व्यक्ति सूअर पालक है तो उनके खिलाफ नपा अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाए। पूरी जानकारी नपा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को प्रेषित करे। इसी आदेश में हाईकोर्ट ने नपा को सफाई और पॉलीथिन के उपयोग पर कार्रवाई के संबंध में भी लिखा था तथा रिपोर्ट हाईकोर्ट रजिस्ट्रार को देने की बात कही थी।
ये कहता है नगर पालिका अधिनियम
नगर पालिका अधिनियम की धारा 253 में उल्लेख है कि यदि परिषद को किसी भी समय यह प्रतीत होता है कि नपा क्षेत्र की सीमाओं के भीतर सूअरों का रखा जाना जनता के लिए न्यूसेंस या क्षोभकारक है, तो परिषद् सार्वजनिक सूचना द्वारा यह निर्देश दे सकेगी कि कोई भी व्यक्ति परिषद की लिखित अनुज्ञा के बिना या ऐसी अनुज्ञा के निबंधों के अनुसार न होकर अन्यथा नपा क्षेत्र के किसी भाग में कोई सूअर नहीं रखेगा। जो कोई ऐसे निर्देश के पश्चात् पूर्वोक्तानुसार अपेक्षित अनुज्ञा के बिना या उसके निबंधों के अनुसार न होकर अन्यथा नगरपालिका क्षेत्र के भीतर किसी स्थान में सुअरों को रखेगा तो उस पर जुर्माना किया जाएगा। आवारा भटकते पाए गए सूअरों को तत्काल मारा जा सकेगा और उनके पिंजर का इस प्रकार व्यय न किया जाएगा जैसा परिषद निर्देश दे। इस प्रकार मारे गए सुअरों के प्रतिकर का कोई दावा नहीं होगा।
ये बोले जिम्मेदार
मैंने हाल ही में जाॅइन किया है, इसलिए मेरी जानकारी में ऐसा कोई मामला नहीं है। मैं पूरे मामले की जानकारी संबंधितों से लेता हूं और इस मामले में नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। अगर कोर्ट का कोई आदेश है तो उसका भी पालन किया जाएगा।
शैलेंद्र अवस्थी, सीएमओ, नपा
इनकी भी सुनें
हमने वर्ष 2012 में आवारा सूअरों को लेकर एक पीआईएल हाईकोर्ट में लगाई थी, उक्त पीआईएल में 2014 में कोर्ट ने आदेश दिए थे। उक्त आदेशों का पालन प्रशासन द्वारा नपा द्वारा नहीं किय गया है। इसी के चलते लगातार कलेक्टर को नोटिए दिए गए और तत्काल एक बार फिर मैंने नोटिस 21 अगस्त को दिया है। अगर आदेशों का पालन नहीं किया गया तो कोर्ट के आदेश की अवहेलना का केस लगाऊंगा।
संजीव बिलगैयां, एडवोकेट
हम लगातार शहर के सुअरों की समस्या को लेकर पिछले कई सालों से शासन और प्रशासन को अवगत करा रहे हैं, परंतु कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। अब एक जनांदोलन की तैयारी कर ली गई है, जिसके क्रम में हर वार्ड में घर-घर संपर्क किया जा रहा है। अब वार्डों से लोगों को लाकर आवेदन दिलवाएंगे, ज्ञापन देंगे और आंदोलन भी करेंगे।
अभिनंदन जैन, समाजसेवी
सूअरों से हम बहुत परेशान हैं यह घरों में घुस जाते हैं, हमारे बच्चे घर के बाहर खेल तक नहीं पाते। नपा के जिम्मेदारों को शिकायत करते हुए परेशान हो गया, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही।
शेखर सोनी, शहरवासी
जनवरी माह में सूअर के कारण कलेक्टर कोठी के पास मेरा एक्सीडेंट हुआ, जिसकी वजह से मेरा पैर इतना खराब हो गया कि मुझे ऑपरेशन के लिए इंदौर जाना पड़ा। 2 लाख रुपए अब तक खर्च हो गए हैं, लेकिन मैं ठीक से नहीं चल पाता हूं। अभी भी एक और ऑपरेशन होना है, परंतु डॉक्टर यह गारंटी नहीं ले रहे हैं कि मेरा पैर पूरी तरह ठीक होगा या नहीं।
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