आकाश खटीक
बेटी के जन्म लेते ही उसके दहेज के लिए खून पसीना एक करने वाले सभी माता-पिता से अनुरोध है कि यह पैसा आप उसको इस काबिल बनाने में लगा दें, कि उसे दहेज़ देने की आवश्यकता ही न पड़े......यूँ तो मानव समाज एवं सभ्यता के समक्ष कई सारी चुनौतियाँ खड़ी हैं, परंतु इनमें से एक चुनौती ऐसी है, जिसका कोई भी तोड़ अभी तक समर्थ होता नहीं दिख रहा है ।कहना नहीं होगा कि विवाह संस्कार से जुड़ी हुई यह सामाजिक विकृति दहेज प्रथा ही है ।
दहेज कुप्रथा भारतीय समाज के लिए एक भयंकर अभिशाप की तरह है । अब वक्त आ गया है कि हमें दहेज प्रथा के खिलाफ एकजुट होकर हमे अपनी आवाज को बुलंद करना है आइये आज विश्व महिला दिवस पर हम सब मिलकर इस सामाजिक बुराई को खत्म करने का संकल्प लेते है और कुछ बातों को अपना कर समाज से इस बुराई को मिटाया जा सकता है: अपनी बेटियों को शिक्षित करें।उन्हें अपने कैरियर के लिए प्रोत्साहित करें ।
उन्हें स्वतंत्र और जिम्मेदार होना सिखाएं।
अपनी बेटी के साथ बिना किसी भेदभाव के समानता का व्यवहार करें। दहेज देने या लेने की प्रथा को प्रोत्साहित न करें।'दहेज' एक सामाजिक बुराई..आइये इसे मिलकर दूर करें..
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