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श्योपुर :पविदा कराकर रात में लौट रही बारात से भरी वैन खड़ी ट्रॉली में घुसी, दूल्हे के पिता की मौत, दूल्हा-दुल्हन समेत 6 गंभीर



दुल्हन को विदा कराकर लौट रही बारात से भरी वैन गुरुवार की सुबह सड़क के नजदीक खड़ी ट्रॉली में जा घुसी, जिसमें वैन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई और हादसे में दूल्हे के पिता की मौत हो गई। वही दूल्हा-दुल्हन समेत 6 बाराती गंभीर रूप से घायल हो गए। जिन्हें जिला अस्पताल से प्राथमिक इलाज के बाद ग्वालियर रैफर कर दिया गया।

बुधवार की रात सलमान्या गांव निवासी भागला (47) पुत्र अर्जुन आदिवासी के बेटे विष्णु आदिवासी की बारात गढ़ला गांव के लिए रवाना हुई। यहां देर रात बारात गढ़ला गांव पहुंची और विवाह की रस्मों के बाद दुल्हन को विदा कराकर रात में ही लौट गई। लेकिन जब दूल्हा-दुल्हन व अन्य बारातियों से भरी वैन सुबह करीब 6.30 बजे कर्राई गांव के पास पहुंची तो सड़क के पास खड़ी ट्रॉली को नींद के झोंके आने के कारण नजर नहीं आई और तेज रफ्तार कार सीधे खड़ी ट्रॉली में घुस गई।

इससे कार पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई। कार में सवार दूल्हे के पिता भागला आदिवासी की मौके पर ही मौत हो गई। वहीं दूल्हा विष्णु आदिवासी, दुल्हन सत्यवती आदिवासी, मणीराम (45) पुत्र भाग्या आदिवासी, जगमोहन (35) पुत्र रघुनाथ आदिवासी, परशु (50) पुत्र उरजो आदिवासी, रीना (35) पत्नी बंटी आदिवासी गंभीर रूप से घायल हो गए। जिन्हें ग्रामीणों की मदद से जिला अस्पताल भेजा गया। यहां अस्पताल में दो लोगों की गंभीर हालात को देखते हुए डॉक्टर ने उन्हें ग्वालियर के लिए रैफर कर दिया।

अप्रैल-मई में ही बढ़ते हादसे, क्योंकि सहालगी सीजन

अप्रैल-मई में ही हादसों की संख्या लगातार बढ़ती है, क्योंकि सहालगी सीजन में बारात ट्रैक्टर-ट्रॉली, बोलेरो समेत अन्य वाहनों में जाती है और रात भर जागने के कारण ड्राइवर भी वाहनों पर से नियंत्रण खो देते है। यहां कोरोना काल के समय में तो अप्रैल-मई में हादसों की संख्या में कमी रही थी, क्योंकि उस समय लॉकडाउन होने के चलते शादियां रद्द हो गई थी। लेकिन अब कोरोना नही है। हर साल अप्रैल-मई में लगभग 20-25 सड़क हादसे होते है, जिनमें लगभग 15-20 मौतें होती है।

ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर रिफलेक्टर न होना भी बड़ी समस्या

यातायात पुलिस के द्वारा ट्रॉलियों के पीछे हादसे रोकने रिफलेक्टर लगाने की कार्रवाई की गई। इसके साथ ही ट्रैक्टर-ट्रॉली मालिकों को भी कहा गया है कि वह ट्रॉलियों के पीछे रिफलेक्टर लगाए। लेकिन कार्रवाई न होने के चलते अधिकतर ट्रॉलियों के पीछे रिफलेक्टर नहीं लगाए गए। नतीजा सबसे ज्यादा हादसे ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से ही होते हैं। क्योंकि ट्रैक्टरों के ब्रेक सिस्टम भी ठीक नहीं रहते और रफ्तार में जल्दी अनियंत्रित हो जाते है।

मातम में बदल गई शादी की खुशियां

दूल्हे के पिता की मौत के साथ हादसे में परिवार के कई लोग घायल हो गए। जिस घर में दुल्हन आने की खुशियां मनाई जानी थी और सहभोज आयोजित होना था, वहां अब चीख-पुकार मची हुई है। इसके साथ ही गांव में भी हादसे के चलते शाेक है। दूल्हा-दुल्हन अस्पताल में भर्ती है, वहीं गुरूवार को पुलिस ने मृतक का पीएम कराकर शव परिजनों को सौंपा। इसके साथ ही दुल्हन के परिजन भी चिंतित हो गए है और हादसे के बाद वह भी दुल्हन के ससुराल पहुंचें।

करेंगे कार्रवाई

रिफलेक्टर लगाने की कार्रवाई हमारे द्वारा की गई थी। हम हमेशा ही हादसे रोकने ऐसे वाहनों को ताकिद कर चुके हैं। अब जिन ट्रॉलियों के पीछे रिफलेक्टर नहीं होंगे, उन पर कार्रवाई भी करेंगे। - कनक सिंह चौहान, प्रभारी, यातायात थाना श्योपुर

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