सहरिया क्रांति ने पानी व्यवस्था को लेकर सोंपा आवेदन
दबंग ने कर लिया सरकारी बोर पर कब्जा, गन्दे तालाब का पानी पी रहे हैं आदिवासी
शिवपुरी 29 अप्रैल 22
सरकार की चरमराती व्यवस्ता शिर्फ प्रशासनिक अधिकारियों के कारण और खोखले डोल पीटकर शंख नाद करते मध्यप्रदेश के नेताओ , का एक उदाहरण हम आपको शिवपुरी जिले मैं वताते है शिवपुरी जिले के ग्रामीण अंचलों में लोगों की प्यास बुझाने के लिए लगवाए गए कई सार्वजनिक हैंडपंप पानीदार होने के बाद भी आदिवासियों के लिए इनका पानी नसीब नहीं हो रहा है। किसी ने इनमें पंप डालकर कब्जा कर लिया तो किसी ने लोगों को पानी भरने से ही रोक दिया है। शिवपुरी जनपद की गडी बरोद कोलोनी में सरकारी हैंडपंप पर औतार गुर्जर नामक दबंग कब्जा करके उसमें खुद का पंप डाल दिया है। अब आदिवासियों को पानी नहीं भरने दिया जा रहा । इस कोलोनी के 110 परिवार लगभग 2 किलोमीटर दूर एक गंदे तालाब का पानी पीने को विवश हैं . आज पानी को परेशान आदिवासियों ने पानी दो पानी दो हमको भी जीने दो के नारे लगाते हुए जनपद कार्यालय शिवपुरी पर प्रदर्शन कर पानी की गुहार लगाई और वहीं डेरा डाल दिया जिसके बाद जनपद पंचायत शिवपुरी के अधिकारी गगन वाजपेयी ने आदिवासियों को 5 घंटे में ही पेयजल व्यबस्था करने का आश्वाशन दिया जिसके बाद आदिवासी वापस गाँव की ओर रवाना हुए .
2 ट्रेक्टरों में सवार होकर ग्रामपंचायत गढ़ी बरोद के सहरिया समुदाय के आदिवासी जन सहरिया क्रांति के नेतृत्व में जिला मुख्यालय पहुंचे उनमे से कुछ बीमार थे जिन्हे उल्टी –दस्त की शिकायत थी . सभी आदिवासी जनपद पंचायत कार्यालय के बाहर एकत्रित होकर पहुंचे और कार्यालय के बाहर खड़े होकर पानी दो पानी दो हमको भी जीने दो , सहरिया क्रांति जिंदाबाद ,भेदभाव नहीं सहेंगे के गगनभेदी नारे लगाकर प्रदर्शन किया . कुछ देर बाद ही जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी गगन बाजपेयी वहां पहुंचे और आदिवासियों को कडकती धुप से उठाकर छाँव में बैठाया व उनकी समस्या को कर्यालय में बैठकर सुना
यह कहा आदिवासियों ने
जनपद पंचायत अधिकारी को सहरिया क्रांति संयोजक संजय बेचैन के साथ अध्यक्ष अजय आदिवासी के साथ आये सहरिया जनों ने बताया की हमारे गडी बरोद कोलोनी में 109 सहरिया आदिवासी परिवार रहते हैं . गाँव में पानी का के जो संसाधन हैं उनमे एक पर गाँव के दबंग औतार गुर्जर ने अपनी मोटर डालकर कब्जा कर रखा है वो किसी भी आदिवासी को बोर से पानी नहीं भरने देता . यदि कोई पानी भरने जाता है तो उसके बर्तन फेंक देता है व बोलता है चले जाओ पुलिस या कलेक्टर के पास ये बोर अब मेरा है . दूसरा बोर है जिसमे पिछले 17 दिन पहले मोटर फंस गई जिसकी सूचना पंचायत सचिव को दी लेकिन उन्होंने अभी तक पानी का प्रबंध नहीं कराया जिसका दुष्परिणाम ये निकला की आदिवासी मजबूरीवश 2 किलोमीटर दूर स्थित तालाब में जमा गंदा पानी पीकर प्यास बुझाने को विवश हैं , इस पानी को पीने से कई बच्चे व महिला पुरुषों को बीमारियों ने जकड लिया . उल्टी –दस्त बढ़ते जा रहे हैं . पानी में कीड़े पड़ रहे हैं कोई भी आदिवासियों की तरफ ध्यान नहीं दे रहा है . अब जब तक पानी की समस्या का निदान नहीं हो जता उतने दिन हम यहीं रुकेंगे
यह कहा जनपद अधिकारी ने
आदिवासियों की पेयजल समस्या को गम्भीरता से सुनकर जनपद पंचायत सीओ ने पंचायत सचिव को ऑफिस बुलाकर फटकार लगाई व इतने दिन से पानी का प्रबंध न करने का दोषी मानते हुए विभागीय कार्यवाही के निर्देश दिए . उन्होंने कहा कि आश्चर्य की बात है आदिवासी 17 दिन से गंदा पानी पी रहे हैं इसके बाद भी पंचायत का टेंकर गाँव में पेयजल व्यबस्था को नहीं लगाया गया . जब गाँव के सरकारी पेयजल स्त्रोत पर दबंग का कब्जा है तो उसकी पुलिस रिओर्ट की न ही कार्यालय को अवगत कराया ये मामला गम्भीर है ,उन्होंने पंचायत सचिव को निर्देश दिए कि 5 घंटे के अन्दर पानी पहुंचना चाहिए व् जिस दबंग ने भी बोर पर कब्जा किया है उसे मुक्त कराकर गाँव वालों को पानी प्रदाय कराया जावे . इसके लिए पुलिस रिपोर्ट भी दर्ज कराएं .
जनपद पंचायत अधिकारी के आश्वाशन के बाद आदिवासी गाँव लौटे बीमार आदिवासियों को सहरिया क्रांति ने उपचार की सलाह दी
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