बिर्रा न्यूज-बिर्रा -संक्रांति का पुण्यकाल समय 15 जनवरी 2023 रविवार को मनाई जावेगी। उक्त बातें राष्ट्रीय कथावाचिका सुश्री पूजा किशोरी जी ने कहा कि पंचांग के अनुसार सूर्योदय से शाम 5 बजे तक इस बार संक्रांति बाघ पर सवार होकर आ रही है उप वाहन घोड़ा रहेगा। हाथ में शस्त्र रूप में गदा है उत्तर में गमन है,पीले वस्त्र धारण किए हुए हैं, कुंकुम का लेप है इनका निवास इस बार बनिए के घर में है सूर्य देव का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने को संक्रांति कहते हैं ।एक वर्ष में सूर्य की 12 संक्रांति होती है। जिसमें मेष, तुला ,कर्क ,मकर संक्रांति प्रमुख है।इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होंगे। मकर संक्रांति से दिन धीरे-धीरे बड़े होने लगते हैं। उन्होंने बताया कि हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार कर्क संक्रांति से देवताओं की रात आरंभ होती है ।और मकर संक्रांति से देवताओं के दिन प्रारंभ होते हैं अर्थात देवताओं की 6 माह की दिन और 6 माह की रात होती है । वही मनुष्य का 1 वर्ष होता है।इस दिन से मलमास समाप्त होकर शुभ मांगलिक कार्य शुरू हो जाते है।वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य = आत्मा का कारक, तारों का जनक और जन्म कुंडली में पिता का प्रतिनिधित्व करता है।सूर्य के कारण ही पिता से संतान का संबंध मधुर व कटु बनता है । इस दिन भगवान विष्णु ने असुरों का अंत करके युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी। इसलिए मकर राशि के दिन को बुराइयों और नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करने का दिन भी माना जाता है।
सूर्य देव के मंत्र का जाप दान करें । शनि की साढ़ेसाती व शनि पीड़ित जातकों को दान करने से सफलता मिलेगी ।दान अपने सामर्थ्य और श्रद्धा के अनुसार करें दान की वस्तुएं मसूर दाल, तिल से बने सभी पदार्थ, मूंग की दाल की खिचड़ी, ऊनी वस्त्र,जूते चप्पल, भोजन, गाय की सेवा, जरूरतमंद की सेवा करें।पितरों के निमित दान देवे। आशीर्वाद प्राप्त करे।पूर्व दिशा में जल में रोली , चांवल लाल फूल, लाल चंदन मिलाकर अर्ध्य देवें । उन्होंने बताया कि मंत्र
ॐ ह्राँ ह्रीं ह्रों सः सूर्याय नमः
गायत्री मंत्र
की पांच माला फेरे ।सूर्य संक्रांति के दिन तिथि ,वार, नक्षत्र ,योग पंच देवता के श्रवण करने से सुख ,संपत्ति और आयुष की अभिवृद्धि का निवारण, कार्य सफलता,रोग की निवृति,धनाढ्य होकर साल भर की शरीर की पीड़ा दूर होती है।इस तरह दक्षिण भारत में लोहड़ी पर्व सहित पूरे भारत में मकर संक्रांति पर्व आज शाम 5 बजे तक पुण्यकाल रहे।
0 टिप्पणियाँ