मध्य प्रदेश की दो विधानसभा सीटों उपचुनावों में मतगणना के दौरान बड़ा उलटफेर देखने को मिला। विजयपुर में पहले राउंड में पिछड़ने और फिर दूसरे राउंड में बढ़त बनाए रखने के बाद भाजपा प्रत्याशी और वन मंत्री रामनिवास रावत 17वें राउंड से अचानक फिर पिछड़ गए। इसके बाद रावत कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश मल्होत्रा को पीछे नहीं कर पाए। अंतिम और 21 वें राउंड में रावत मल्होत्रा से 7228 वोटों से हार गए हैं। ऐसे में रावत की हार के पांच बड़े कारण निकलकर सामने आए हैं। इस हार से भाजपा के उन दिग्गज नेताओं की साख को भी झटका लगा है, जो वहां डेरा जमाए हुए थे।
भाजपा नेताओं ने रावत को नहीं स्वीकारा : लोकसभा चुनाव से पहले 30 अप्रैल को रामनिवास रावत कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके बाद भाजपा ने छह बार के विधायक रावत को प्रदेश सरकार में वन मंत्री बना दिया था, लेकिन, रावत को भाजपा में शामिल करने और उन्हें प्रत्याशी बनाए जाने का पार्टी के अंदर विरोध शुरू हो गया था। हालांकि, शीर्ष नेतृत्व ने असंतुष्ट नेताओं को मनाने का दावा किया था, लेकिन विजयपुर के परिणाम बताते हैं कि भाजपा नेता और कार्यकर्ता रावत को स्वीकार नहीं कर पाए। भाजपा से पूर्व विधायक सीताराम आदिवासी और बाबूलाल मेवाड़ा भी टिकट के दावेदार थे। लेकिन, उन्हें टिकट नहीं दिया था। ऐसे में अब आरोप लग रहे हैं कि इन दोनों नेताओं ने चुनाव में पूरे मन से काम नहीं किया।2 कांग्रेस और आदिवासी वोट बैंक का कॉम्बिनेशन :श्योपुर जिले के विजयपुर विधानसभा क्षेत्र में आदिवासी वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यहां लगभग 60 हजार आदिवासी मतदाता हैं। कांग्रेस ने जातिगत समीकरण साधते हुए आदिवासी वर्ग से आने वाले मुकेश मल्होत्रा को प्रत्याशी बनाया था। मल्होत्रा ने पिछले चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर 42 हजार वोट हासिल किए थे, जिसमें बड़ी संख्या में आदिवासी वोट शामिल थे। मल्होत्रा ने आदिवासी समाज के बीच लगातार काम किया, जिसका चुनाव में उन्हें फायदा मिला। कांग्रेस और आदिवासी वोट बैंक के मेल को उनकी जीत का कारण माना जा रहा है।3. कांग्रेस ने जमीन पर अच्छा काम किया : कांग्रेस ने न केवल सही उम्मीदवार चुना, बल्कि जमीन पर भी प्रभावी ढंग से काम किया। कांग्रेस नेता नीटू सिकरवार उपचुनाव की तारीख घोषित होने से पहले ही विजयपुर में सक्रिय हो गए थे। यहीं नहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भी विजयपुर में फोकस किया। वह विजयपुर में लगातार रैली, जनसंपर्क और जनसभाओं में शामिल हुए। कांग्रेस के मैनेजमेंट और टीम वर्क के जरिए कांग्रेस ने मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री को हराकर जीत हासिल की। रावत के पार्टी बदलने से उनके समर्थकों और जनता ने इसे पसंद नहीं किया। यह भी हार का बड़ा कारण रहा।नीटू सिकरवार की जमीनी तैयारी ने कांग्रेस की जीत की नीव रखी .नीटू को गिरफ्तार कर जेल भेजना भी भाजपा को भरी पड़ा .हांलाकि जीत की पटकथा नीटू पहले ही लिख चुके थे .4. रामनिवास के खिलाफ जनता की नाराजगी: विजयपुर क्षेत्र में लंबे समय तक विधायक रहे रामनिवास रावत के खिलाफ जनता में नाराजगी का माहौल पहले से ही था। ग्रामीण इलाकों में बुनियादी सुविधाओं की कमी, खासतौर पर पानी की समस्या, उनकी छवि को लगातार कमजोर करती रही। इसके अलावा, मतगणना के दौरान आदिवासी क्षेत्रों में हुई झड़पों और विवाद की खबरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुईं। इन खबरों ने चुनाव के दौरान रामनिवास रावत की स्थिति और कमजोर कर दी। स्थानीय लोगों में यह धारणा बनी कि उनके मुद्दों को नजरअंदाज किया गया, जो उनकी हार का बड़ा कारण बना।5. दलबदल की राजनीति पर जनता का कड़ा संदेश:रामनिवास रावत ने लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। भाजपा ने कुछ माह बाद उन्हें वन मंत्री का पद देकर अपनी पार्टी में उनका स्वागत किया। हालांकि, यह दांव उल्टा पड़ गया। कांग्रेस ने चुनाव प्रचार के दौरान उनके दलबदल को बड़ा मुद्दा बनाया। चुनाव के दौरान कांग्रेस नेताओं ने रावत को "वफादारी बदलने वाला" कहकर उनके खिलाफ माहौल बनाया। आदिवासी और ग्रामीण मतदाताओं में दलबदल को लेकर पहले से ही असंतोष था। यह असंतोष इतना गहरा था कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा,बिधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ,केन्दीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और अन्य बड़े नेताओं के विजयपुर में सक्रिय प्रचार के बावजूद जनता का समर्थन रावत को नहीं मिल सका।
कांग्रेस नेताओं का कहना है
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