प्रदेश में जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत जल संचयन और जल संरक्षण को लेकर विभिन्न गतिविधियाँ जन-भागीदारी के साथ की जा रही हैं। ग्राम पंचायतों में तालाब गहरीकरण और नये तालाबों के निर्माण को लेकर ग्रामीणों ने रुचि प्रकट की है। इसके साथ ही गाँव तक पहुँचने वाली नहरों की सफाई के कार्य को भी प्राथमिकता दी जा रही है। यह अभियान प्रदेश में 30 जून तक संचालित होगा।
जल संरचनाओं के स्थल चयन के लिये जीआईएस तकनीक
ग्वालियर जिले में वर्षा जल सहेजने के लिये हर ग्राम पंचायत में 4-4 कुओं को रिचार्ज करने का लक्ष्य रखा गया है। लम्बे समय तक पेयजल के प्रमुख स्रोत रहे ऐसे कुएँ, जो सूख चुके हैं, उन्हें रिचार्ज किया जा रहा है। जिले में 965 संरचनाएँ चिन्हित की गयी हैं, जहाँ काम शुरू कर दिया गया है। इस वर्ष 15 नये अमृत सरोवर स्थल चिन्हित किये गये हैं। इनमें से 6 कार्यों की स्वीकृति भी जारी कर दी गयी है। मनरेगा में खेत-तालाबों को भी मंजूरी दी गयी है। खेत-तालाब के स्थल चयन के लिये जीआईएस तकनीक की मदद ली गयी है। इससे पानी की उपलब्धता की जानकारी मिलती है।
ग्राम खरखरी में जल चौपाल लगाकर ग्रामवासियों ने बनायी योजना
कटनी जिले के ग्राम खरखरी में जल चौपाल लगाकर ग्रामवासियों ने बावड़ी के संरक्षण की योजना तैयार की है। नवांकुर संस्था ने जल संरक्षण के संदेश को जन-जन तक पहुँचाने के लिये गाँव-गाँव में जन-जागरूकता अभियान चलाया है। जिले में प्राचीन बावड़ियों को संरक्षित करने के उद्देश्य से जन-भागीदारी से साफ-सफाई का कार्य किया जा रहा है।
शेढ़ नदी में बनाये तीन सौ बोरी-बंधान
नरसिंहपुर जिले के कई ग्रामों में नदी-नालों एवं झरनों में बोरी-बंधान कर बहते जल को रोककर उसका उपयोग किया जा रहा है। ग्राम पंचायत अंडिया-डोंगरगाँव की शेढ़ नदी में जन-समुदाय की सहभागिता से तीन सौ बोरी-बंधान बनाये गये है। बोरी-बंधान के माध्यम से नदी में बहते पानी को रोका गया और 3 फुट पानी का ठहराव हुआ। पानी का ठहराव होने से किसानों, नागरिकों और पशु-पक्षियों को भरपूर पानी मिलेगा। यह कार्य विकासखण्ड नरसिंहपुर की नवांकुर संस्था और नागरिकों की सहभागिता से किया गया।
भगवानपुरा में गोमुख नदी की साफ-सफाई
खरगोन जिले के भगवानपुरा में गोमुख नदी की साफ-सफाई की गयी। यह कार्य 30 जून तक चलेगा। कार्य के साथ नागरिकों को जल को सहेजने की शपथ दिलायी गयी। जिले में नवीन जल संग्रहण संरचनाओं के साथ पूर्व से मौजूद जल संग्रहण संरचनाओं का जीर्णोद्धार, जल-स्रोतों और जल वितरण प्रणालियों की साफ-सफाई की जा रही है। जल-स्रोतों के आसपास पौध-रोपण के लिये कार्य-योजना भी तैयार की गयी है।
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