डिज़ाइन और उद्यमिता के लिए क्षमता निर्माण (CBDE) कार्यशाला, का अटल बिहारी वाजपयी - इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट , ग्वालियर में आयोजन किया गया , जिसका उद्देश्य भारत के टीचिंग युवाओं में रचनात्मक सोच, उद्देश्यपूर्ण क्रियान्वयन और सामाजिक योगदान की भावना को विकसित करना था। यह दो दिवसीय कार्यशाला मे शिक्षकों, शोधकर्ताओं, उद्यमियों और छात्रों को एक मंच पर एकत्रित किय। इस कार्यशाला मे नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी कालीकट , इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च , भोपाल एवम अटल बिहारी वाजपयी - इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट , ग्वालिय के ३० फैकल्टी ने हिस्सा लिया।
इस कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. आलोक श्रीवास्तव, प्रोफेसर , पंजाब यूनिवर्सिटी के द्वारा किया गया, जिन्होंने मुख्य अतिथि के रूप में युवाओं को परिवर्तन के संवाहक बनने के लिए सशक्त करने के महत्व को रेखांकित किया। कार्यशाला के प्रमुख समन्वयक प्रो. सुधीर (IIITDM कांचीपुरम) ने मॉडल लर्निंग, इनोवेशन, नॉलेज और एक्सपीरियंपर आधारित सत्रों का संचालन किया, जो अत्यधिक प्रभावशाली और ज्ञानवर्धक रहे।
प्रो. सुधीर द्वारा संचालित गतिविधि-आधारित सत्रों ने छात्रों को पारंपरिक सोच से बाहर निकलने, दैनिक जीवन में नए संबंधों की कल्पना करने और सहानुभूति-आधारित नवाचार को प्रोत्साहित किया। कार्यशाला का वातावरण विशेष रूप से इस प्रकार तैयार किया गया था कि वह विचारों को प्रेरित करे, सहयोग को बढ़ावा दे और रचनात्मकता को सार्थक समाधानों में परिवर्तित कर सके।
इस कार्यशाला में शैक्षणिक संस्थानों, कॉरपोरेट जगत के टीचिंग एसोसिएट , उद्योग विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं की विविध भागीदारी रही, जिन सभी का उद्देश्य युवाओं को आत्मनिर्भर और नवाचारी भारत के निर्माण हेतु आवश्यक कौशल और सोच से सुसज्जित करना था।
गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (GGU) के सहायक प्रोफेसर डॉ. जितेन्द्र भारद्वाज ने छात्रों को नवाचार को सामाजिक आवश्यकताओं से जोड़ने की व्यावहारिक जानकारी दी और उन्हें पेटेंट योग्य परियोजनाओं को अपनाने, साथ ही वास्तविक जीवन की समस्याओं को हल करने के लिए समालोचनात्मक सोच, विश्लेषणात्मक क्षमता और अवलोकन कौशल विकसित करने के लिए प्रेरित किया।
एक विशेष आकर्षण रहा "सैंगिलेंस" नामक छात्र-नेतृत्व वाली पहल, जिसे IIITM ग्वालियर के छात्रों द्वारा शुरू किया गया। यह पहल CBDE कार्यशाला के मूल मूल्यों को 6–14 वर्ष के स्कूली बच्चों तक पहुँचाती है, जिसमें प्रारंभिक स्तर पर कौशल मूल्यांकन और विकास पर ध्यान दिया गया है।
कार्यशाला के समापन कार्यक्रम मे सभी प्रतिभागिओ को सर्टिफिकेट और अप्प्रेसिअशन टोकन वितरित किये गए| कार्यक्रम समन्यवक प्रो.अनुराग श्रीवास्तव एवं डॉ मनोज दाश मौजूद रहे ।
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