दतिया शहर का ये जनसैलाव आज क्या इसारा कर रहा है। जरा गौर से देखिए। साइलेंट दतिया केवल अपने नेता को मंच पर धैर्य रखकर सुन रही है। न तो कोई स्टार है न प्रचारक है न अभिनेत्री है न केंद्रीय मंत्री व प्रदेाश् मंत्री है7 केवल दतिया का नेता है जो आपके सामने खड़ा है। इसी नेता को दतिया सुन रही है धैर्य रखकर। आखिर ये भाषण चुनावी था और आखिरी चुनावी भाषण था। भविष्य का भाषण गर्तमय है लेकिन जो सैलाव किलाचौक पर है वो कुछ भी असंभव को संभव में तब्दील कर सकता है।
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