jभोपाल। मध्यप्रदेश में जीत के साथ ही कांग्रेस सरकार के गठन को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं। एक ओर जहां 17 दिसंबर को कमलनाथ सीएम पद की शपथ लेने जा रहे हैं। वहीं सीएम के प्रबल दावेदार रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया का भी इस कैबिनेट में खास रोल रहेगा। दरअसल चर्चा है कि कमलनाथ को पार्टी आलाकमान द्वारा सीएम की कुर्सी दिए जाने के साथ ही सिंधिया को मंत्रीमंडल चुनने का हक दिया गया है। जिसके बाद ही सिंधिया भी सीएम पद की दौड़ से हटने को मान गए थे। वहीं जानकार ये भी मान रहे हैं कि हालात चाहे जो भी बने, लेकिन कमलनाथ की केबिनेट में सिधिंया की धमक साफ देखने को मिलेगी। दरअसल शुक्रवार को कांग्रेस की ओर से राज्यपाल को सौंपे गए पत्र में 121 विधायकों के समर्थन की जानकारी दी गई।
इसमें कांग्रेस के 114 विधायकों के अलावा बसपा के दो, समाजवादी पार्टी का एक और चार निर्दलीय विधायक शामिल हैं।
मुख्यमंत्री के नाम को लेकर लग रहे कयासों पर कमलनाथ के चयन से विराम लग गया। वहीं अब कमलनाथ के मंत्रिमंडल का हिस्सा होने वाले चेहरों को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है।ज्ञात हो कि कमलनाथ प्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री के रूप में 17 दिसंबर को दोपहर डेढ़ बजे जंबूरी मैदान में शपथ लेंगे। उनके साथ शपथ लेने वाले नामों को लेकर मंथन जारी है। कांग्रेस ने 15 साल बाद सत्ता में वापसी की है ऐसे में नामों को लेकर गहन चर्चा चल रही है।
इन्हें मिल सकती है मंत्रीमंडल में जगह... सूत्रों के अनुसार टिकट बंटवारे की तरह ही मंत्रिमंडल के गठन में भी कांग्रेस पार्टी क्षेत्रीय संतुलन के साथ-साथ जातीय संतुलन बैठाना चाहती है। सूत्रों के अनुसार मंत्रिमंडल में सिंधिया के क्षेत्र के लाखन यादव (भितरवार- ग्वालियर), इमरती देवी (डबरा),मुन्नालाल गोयल (ग्वालियर पूर्व), केपी सिंह (पिछोर विधानसभा सीट) को खास तवज्जो दी जा सकती है।
इनके अलावा राऊ विधायक जीतू पटवारी, बाला बच्चन, विजय लक्ष्मी साधौ, हिना कांवरे, तरुण भनोत, उमंग सिंघार, भोपाल उत्तर से जीते आरिफ अकील, सज्जन सिंह वर्मा सहित तुलसी सिलावट, डाॅ. प्रभुराम चौधरी, गोविंद राजपूत, बिसाहूलाल सिंह, पीसी शर्मा, लक्ष्मण सिंह, जयवर्द्धन सिंह, हुकुम सिंह कराड़ा और चार बार के निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल को स्थान दिए जाने की चर्चा है।
राजनीति के जानकार डीके शर्मा की माने तो विधायकों के बहुमत के हिसाब से सिंधिया काफी मजबूत हैं। ऐसे में यदि वे सीएम से पीछे हटे हैं तो स्वाभाविक है, उनकी भी कुछ मांगे मानी ही गई होंगी।
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