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योगी मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया महत्वपूर्ण फैसला...हर गांव में खुलेंगी अस्थाई गौशालाएं

लखनऊ। आवारा पशुओं के कारण सड़क दुर्घटनों में हो रही वृद्धि और फसलों की क्षति के लिए विपक्ष तथा आम लोगों की आलोचना झेल रही उत्तर प्रदेश की सरकार ने नगर निकाय क्षेत्रों तथा गांवों में अस्थायी गौशाला खोलने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इन गौशालाओं के निर्माण और दैनिक कार्य के लिये सरकार ने उत्पाद शुल्क पर दो प्रतिशत उप कर लगाया है। इसके अलावा ०.5 प्रतिशत उप कर राज्य के टोलों पर लगाया जाएगा। बैठक में पांच प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान की गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई। सरकार के प्रवक्ता एवं ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने यहां बताया कि बैठक में पांच प्रस्ताव रखे गए थे। सरकार ने नगर निकाय के साथ ही गांव में भी अस्थाई गौ शाला खोलने का निर्णय लिया है। सभी निकाय के साथ ग्राम, क्षेत्र, जिला पंचायत, नगरपालिका, नगर पंचायत और नगर निगमों में आस्थाई गौ शाला खोली जाएगी। सरकार ने आवारा गौ वंश की समस्या के समाधान के लिए कदम उठाया गया है। सरकार की प्रतिबद्धता साफ है कि गौ कशी नहीं होने दी जाएगी आवारा पशुओं का नियमन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अभी तक सरकार से पंजीकृत गौ शालाओं को 3० रुपये प्रति गाय प्रति दिन रख रखाव दिया जाता था। हालांकि उपाय पूरे नहीं थे। ग्राम पंचायत स्तर पर सरकारी जमीन उपलब्ध होने पर गौ सरंक्षण सदन बनेंगे। इसके लिये मनरेगा के माध्यम से ग्राम पंचायत, विधायक, सांसद निधि से निर्माण कराया जाएगा। सरकार ने इसके लिए स्थानीय निकाय को 1०० करोड़ रुपया दिया है। जिलों में ग्रामीण क्षेत्रों और नगरीय क्षेत्र में न्यूनतम 1००० निराश्रित पशुओं के लिए आश्रय स्थल बनेगा। इसके वितीय प्रबंधन के लिए आबकारी विभाग दो प्रतिशत गौ कल्याण सेस लगाएगा। इसके साथ ही यूपीडा, निर्माण निगम, यूपीएसआईडीसी व सेतु नगम समेत अन्य लाभकारी संस्थान अपने लाभ का ०.5 प्रतिशत गौ कल्याण के लिये देंगे। वहीं मंडी परिषद भी अपने लाभ का दो प्रतिशत इस मद में देगी। श्री शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री ने स्पष्ठ तौर पर कहा है कि राज्य में किसी भी कीमत पर गोहत्या की अनुमति नहीं दी जाएगी। ये अस्थायी आश्रय गृह गायों, बैलों तथा अन्य जानवरों की देखभाल करेंगे। पशुपालन मंत्री एस.पी. सिंह बघेल ने कहा कि नीति के तहत सभी गांवों और शहरी क्षेत्रों में अस्थायी गौशाला स्थल होंगे। इनका निर्माण और प्रबंधन ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतों द्वारा किया जाएगा और शहरी क्षेत्रों में शहरी स्थानीय निकायों द्वारा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिये धन की कोई कमी नहीं होगी। आठ विभाग इसके लिये धन उपलब्ध करायेंगे। आबकारी में अतिरिक्त उप कर और मंडी परिषद निधि में बढ़ोतरी के साथ-साथ टोलों से भी इसके लिये धन दिया जायेगा। मंडी परिषद जो सालाना 17 करोड़ रुपये देती थी, उसका हिस्सा बढ़कर 34 करोड़ हो गया है। इसके अलावा राज्य सरकार ने 75 जिलों में से प्रत्येक में 1०० करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं। श्री बघेल ने कहा कि आवारा पशु ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में एक बड़ी समस्या है, जिससे सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि और फसल को नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि इन आश्रय घरों के निर्माण के लिए अधिकतम काम सरकारी भूमि पर मनरेगा के माध्यम से किया जाएगा। शहरी स्थानीय निकायों को पशु रखने के लिए प्रति माह 3० रुपये प्रति पशु दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि एक अनुमान के अनुसार, प्रत्येक गांव में 1००० आवारा पशुओं की देखभाल की जाएगी, जबकि ज्यादातर गायों को ब्लॉक, तहसील, जिला, मंडल और राज्य स्तर पर रखा जायेगा। उनके गृह जिले फिरोजाबाद में अच्छा काम हो रहा है, जहाँ लगभग 1०० पशु आश्रय गृह निर्माणाधीन हैं। सरकार के प्रवक्ता श्री शर्मा ने बताया कि बैठक में इसके अलावा इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है कि यूपी इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन में निदेशक/सचिव की भर्ती के लिए पहले डिजाइन विश्विद्यालय या इंस्टीट््यूट में 2० वर्ष का कार्य अनुभव होता था। इसे घटाकर 15 वर्ष कर दिया गया है। आवेदन के लिये आयु पहले 57 वर्ष तक थी। अब इसे घटा कर 45 से 55 वर्ष कर दिया गया है। चयन कमेटी में निफ्ट के भी विशेषज्ञ होंगे। Read This - प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का महत्वपूर्ण बयान....राम मंदिर पर अदालत के फैसले के बाद ही कोई निर्णय लेगी सरकार

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