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नौजवानों की भूमिका-क्या आने वाले लोकसभा चुनाव में गुना शिवपुरी के नौजवानों  की भूमिका अहम रहेगी.

मार्च या अप़ैल में लोकसभा चुनाव होने हैं सियासी दल अभी से इसके लिये गोटियां बिठाने में जुट गये हैं.
गुना शिवपुरी लोकसभा सीट भी उनमें से एक है सूत्रों की मानें तो बीजेपी भी इसबार चुनाव लड़ने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है अंदर ही अंदर उसके कूटनीतिकार अपनी अपनी गोटियां फिट करने में लगे हैं.
अशोकनगर के युवा तुर्क कहे जाने वाले नौजवानों का गुस्सा क्षेत्र के छत्रप सपाक्स आंदोलन के समय अच्छी तरह देख चुके हैं उस समय उनका हजारों में एकजुट होकर गुस्से का इजहार पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय था.
गुना में भी इसीप़कार का गुस्सा और हुजूम देखने को मिला था.
इसका सीधा साधा अर्थ बेरोजगारों की संख्या से भी निकाला जा सकता है इस बेकारी का जिम्मेदार कौन है शायद वही जो हर चुनाव में वादे कर यहां से नौजवान की ताकत को हर ले जाते हैं.
अफसोस इस बात का है लक्ष्य जैसे विज्ञापन प़सारित कर ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां की बेकारी से क्या हासिल करना चाहते हैं. इससे पहले की नौजवान पीढी का क्या हश्र हुआ है इसका उदाहरण सबके सामने हैं.
आज की गंदी राजनीति से नवयुवक को बचना चाहिये जातियों के आधार पर, लालच और खरीद फरोक्त के युग में नौजवान को राजनीति के सपने दिखाने का मतलब है उसको धीमे जहर का इंजेक्शन देना. बेहतर तो वही है इनके लिये क्षेत्र में रोजगार का सृजन हो.
गुना शिवपुरी में कई पुरानी पीढ़ी के राजनेता आज गुमनामी के अंधेरों में जी रहे जो इंजीनियर, वकालत और स्नातक, स्नात्तकोत्तर की डिग़ियां लेकर कभी राजनीति में सपने लेकर उतरे थे. आज के समय में जो नेतृत्व कर रहे इस क्षेत्र से वह भी अनपढ़ लोगों को ही प़श्रय देते हैं, साथ में जातिवाद हावी है. ऐसे में क्या पढ़ी लिखी पीढी को किसी झांसे में आना चाहिये या नहीं ये तो उसी को सोचना है. हम तो इतना ही कहेंगे बेहतरी इसी में है नवयुवक अपना कैरियर बनाने के लिये प़यत्न करे.

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