भोपाल। करीब एक पखवाड़े तक प्रदेश से रूठा रहा मानसून एक बार फिर मेहरबानी बरसाने लगा है। मौसम विभाग ने उम्मीद जताई है कि कि अगले 15 दिन मौसम का मिजाज ऐसा ही रहने की उम्मीद है। झमाझम से कई जिलों में नदी-नाले उफान पर आ गए हैं और आवागमन बंद हो गया है। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों में प्रदेश के 23 जिलों में भारी बारिश की चेतावनी दी है।
जिले में गुरुवार की रात 12 बजे से शुक्रवार की दोपहर 12 बजे तक सीजन में पहली बार हुई मूसलाधार बारिश से कूनो, सीप, अहेली, जमूदा, सरारी, मोरडूंगरी और पार्वती नदियां उफान पर आ गईं हैं। पार्वती नदी उफान पर आने से खातौली पुल डूब गया है और श्योपुर-कोटा हाईवे बंद हो गया है। श्योपुर से शिवपुरी मार्ग पर स्थित बावंदा नाला उफान पर आने से करीब छह घंटे हाईवे पर वाहन फंसे रहे। टेंटरा के नाले पर पानी आने से वीरपुर से मुरैना का मार्ग भी करीब तीन घंटे तक बंद रहा। हालांकि यह रास्ते दोपहर बाद बारिश रुकने के साथ खुल गए। इसके अलावा श्योपुर से ग्वालियर और ग्वालियर से श्योपुर नैरोगेज ट्रेनें बारिश के चलते रद्द कर दी गई, क्योंकि गिरधरपुर के पास स्थित जमूदा और सरारी नदियां उफनने से रेलवे ट्रैक डूब गया था।
गुना सहित आसपास के क्षेत्रों में बीते 24 घंटे से जारी मूसलाधार बारिश के चलते सिंध नदी उफान पर है और शुक्रवार को सिंध में अचानक पानी तेजी से बढ़ता चला गया। हालात यह हुए कि शाम होते-होते खतौरा-अशोकनगर स्टेट हाइवे पर मौजूद पचावली पुल के ऊपर करीब दो फीट सिंध का पानी बहने लगा। करीब 10 मीटर ऊंचे होने के बावजूद इस पुराने जर्जर पुल पर सिंध के तेज बहाव के बीच लोग जान की कीमत पर पैदल, बाइक, कार, बस, ट्रक व ऑटो से इसे पार करते नजर आए। यहां शाम तक प्रशासन की ओर से रोकने-टोकने वाला मौजूद नहीं था।
गुना. सीहोर, अशोकनगर: गुना में रात 12 बजे से शुक्रवार शाम 5.30 बजे तक रुक रुककर बारिश होती रही। बमोरी में नाले किनारे बनाए गए दो छात्रावासों में रात 2 बजे 3-3 फीट तक पानी भर गया। रात भर 70 बच्चे सीढ़ियों पर बैठे रहे। अशोकनगर में विदिशा रोड स्थित घरों में पानी भरने से लोगों ने चक्काजाम किया। सिंध नदी का जलस्तर बढ़ने से ईसागढ़-शिवपुरी मार्ग बंद रहा।
इन जिलों में भारी बारिश की चेतावनी: उज्जैन, मंदसौर, नीमच, आगर, रतलाम, शाजापुर, होशंगाबाद, बैतूल, हरदा, राजगढ़, रायसेन, सीहोर, दतिया, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, श्योपुर, धार, अलीराजपुर, झाबुआ, खंडवा, सागर, दमोह, छतरपुर, रीवा, सतना और छिंदवाड़ा।
24 घंटे में इन जिलों में इतनी बारिश : नागदा 83.0, सतना 33.1, रीवा 49.8, जबलपुर 4.0, सागर 6.2, नौगांव 29.0, इंदौर 7.0, ग्वालियर 8.3, भोपाल 18.8, पचमढ़ी 25.0, बैतूल 19.4, होशंगाबाद 71.0, गुना 17.8, रतलाम 15.6, उज्जैन 26.4, नरसिंहपुर 42.0, खंडवा 14.0, खरगौन 12.6 दतिया 14.4, श्योपुर 56.0।
एक कम दबाव का क्षेत्र पश्चिम बंगाल के गंगा क्षेत्र के दक्षिण हिस्से एवं उससे लगे भाग में बना हुआ है जो हवा की ऊपरी भाग में 7.6 किलोमीटर की ऊंचाई तक चक्रवाती हवा का घेरा भी बना है।
मानसून ट्रक मीन सी लेवल पर फलोदी अलवर ग्वालियर उरई वाराणसी डाल्टनगंज से गंगा के पश्चिम बंगाल वाले क्षेत्र से होता हुआ बंगाल की खाड़ी तक गया है।
तीसरा एक और द्रोणिका जो इस लो प्रेशर एरिया गंगा के क्षेत्र वाले पश्चिम बंगाल से उतरी राजस्थान तक जो झारखंड उत्तरी छत्तीसगढ़ से होता हुआ दक्षिण उत्तर प्रदेश ऐसे 3.1 एवं 7 पॉइंट 6 किलोमीटर के बीच बना हुआ है जो ऊंचाई में दक्षिण की ओर झुका हुआ है।
एक हवा की ऊपरी भाग में चक्रवाती हवा का घेरा दक्षिण उत्तर प्रदेश एवं उससे लगे इलाके में 5 पॉइंट 8 किलोमीटर की ऊंचाई तक बना हुआ है जो दक्षिण पूर्व दिशा की और ऊंचाई के साथ झुका हुआ है।
हवा के कम दबाव का क्षेत्र आगामी 31 जुलाई को उत्तर पश्चिमी बंगाल की खाड़ी और उसके आसपास के इलाके में फिर से बनने की संभावना है।
जिले में गुरुवार की रात 12 बजे से शुक्रवार की दोपहर 12 बजे तक सीजन में पहली बार हुई मूसलाधार बारिश से कूनो, सीप, अहेली, जमूदा, सरारी, मोरडूंगरी और पार्वती नदियां उफान पर आ गईं हैं। पार्वती नदी उफान पर आने से खातौली पुल डूब गया है और श्योपुर-कोटा हाईवे बंद हो गया है। श्योपुर से शिवपुरी मार्ग पर स्थित बावंदा नाला उफान पर आने से करीब छह घंटे हाईवे पर वाहन फंसे रहे। टेंटरा के नाले पर पानी आने से वीरपुर से मुरैना का मार्ग भी करीब तीन घंटे तक बंद रहा। हालांकि यह रास्ते दोपहर बाद बारिश रुकने के साथ खुल गए। इसके अलावा श्योपुर से ग्वालियर और ग्वालियर से श्योपुर नैरोगेज ट्रेनें बारिश के चलते रद्द कर दी गई, क्योंकि गिरधरपुर के पास स्थित जमूदा और सरारी नदियां उफनने से रेलवे ट्रैक डूब गया था।
गुना सहित आसपास के क्षेत्रों में बीते 24 घंटे से जारी मूसलाधार बारिश के चलते सिंध नदी उफान पर है और शुक्रवार को सिंध में अचानक पानी तेजी से बढ़ता चला गया। हालात यह हुए कि शाम होते-होते खतौरा-अशोकनगर स्टेट हाइवे पर मौजूद पचावली पुल के ऊपर करीब दो फीट सिंध का पानी बहने लगा। करीब 10 मीटर ऊंचे होने के बावजूद इस पुराने जर्जर पुल पर सिंध के तेज बहाव के बीच लोग जान की कीमत पर पैदल, बाइक, कार, बस, ट्रक व ऑटो से इसे पार करते नजर आए। यहां शाम तक प्रशासन की ओर से रोकने-टोकने वाला मौजूद नहीं था।
गुना. सीहोर, अशोकनगर: गुना में रात 12 बजे से शुक्रवार शाम 5.30 बजे तक रुक रुककर बारिश होती रही। बमोरी में नाले किनारे बनाए गए दो छात्रावासों में रात 2 बजे 3-3 फीट तक पानी भर गया। रात भर 70 बच्चे सीढ़ियों पर बैठे रहे। अशोकनगर में विदिशा रोड स्थित घरों में पानी भरने से लोगों ने चक्काजाम किया। सिंध नदी का जलस्तर बढ़ने से ईसागढ़-शिवपुरी मार्ग बंद रहा।
इन जिलों में भारी बारिश की चेतावनी: उज्जैन, मंदसौर, नीमच, आगर, रतलाम, शाजापुर, होशंगाबाद, बैतूल, हरदा, राजगढ़, रायसेन, सीहोर, दतिया, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, श्योपुर, धार, अलीराजपुर, झाबुआ, खंडवा, सागर, दमोह, छतरपुर, रीवा, सतना और छिंदवाड़ा।
24 घंटे में इन जिलों में इतनी बारिश : नागदा 83.0, सतना 33.1, रीवा 49.8, जबलपुर 4.0, सागर 6.2, नौगांव 29.0, इंदौर 7.0, ग्वालियर 8.3, भोपाल 18.8, पचमढ़ी 25.0, बैतूल 19.4, होशंगाबाद 71.0, गुना 17.8, रतलाम 15.6, उज्जैन 26.4, नरसिंहपुर 42.0, खंडवा 14.0, खरगौन 12.6 दतिया 14.4, श्योपुर 56.0।
एक कम दबाव का क्षेत्र पश्चिम बंगाल के गंगा क्षेत्र के दक्षिण हिस्से एवं उससे लगे भाग में बना हुआ है जो हवा की ऊपरी भाग में 7.6 किलोमीटर की ऊंचाई तक चक्रवाती हवा का घेरा भी बना है।
मानसून ट्रक मीन सी लेवल पर फलोदी अलवर ग्वालियर उरई वाराणसी डाल्टनगंज से गंगा के पश्चिम बंगाल वाले क्षेत्र से होता हुआ बंगाल की खाड़ी तक गया है।
तीसरा एक और द्रोणिका जो इस लो प्रेशर एरिया गंगा के क्षेत्र वाले पश्चिम बंगाल से उतरी राजस्थान तक जो झारखंड उत्तरी छत्तीसगढ़ से होता हुआ दक्षिण उत्तर प्रदेश ऐसे 3.1 एवं 7 पॉइंट 6 किलोमीटर के बीच बना हुआ है जो ऊंचाई में दक्षिण की ओर झुका हुआ है।
एक हवा की ऊपरी भाग में चक्रवाती हवा का घेरा दक्षिण उत्तर प्रदेश एवं उससे लगे इलाके में 5 पॉइंट 8 किलोमीटर की ऊंचाई तक बना हुआ है जो दक्षिण पूर्व दिशा की और ऊंचाई के साथ झुका हुआ है।
हवा के कम दबाव का क्षेत्र आगामी 31 जुलाई को उत्तर पश्चिमी बंगाल की खाड़ी और उसके आसपास के इलाके में फिर से बनने की संभावना है।
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