नई दिल्ली। मोदी सरकार ने किसानों को साहूकारों के चंगुल से बचाने के लिए अभियान शुरू कर दिया है. इसके लिए फोकस किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) पर है, ताकि किसान किसी व्यक्ति की बजाय बैंकों से सबसे सस्ती दर पर पैसा लेकर खेती-किसानी को आगे बढ़ा सकें. इसके लिए सरकार ने बैंकों को सख्त निर्देश दिए हैं कि आवेदन के 15वें दिन तक यानी दो सप्ताह के अंदर केसीसी बन जाए.

दूसरी ओर, सरकार की मंशा इसके उलट है. उसके सामने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का बड़ा लक्ष्य है. इसलिए वो चाहती है कि किसान बैंकों से सस्ते ब्याज दर पर लोन लेकर खेती करें न कि साहूकारों के जाल में फंसकर आत्महत्या. इसलिए सरकार ने बैंकों से केसीसी बनवाने के लिए लगने वाली फीस खत्म करवा ली है.
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि सरकार हर पात्र किसान को केसीसी जारी करना चाहती है. इसलिए राज्यों के साथ मिलकर काम कर रही है. जिन राज्यों में बहुत कम किसानों ने इसका फायदा लिया है वहां केंद्र की टीम दौरा करेगी.
इसके लिए गांवों में जो कैंप लगाए जाएंगे उनमें किसान से पहचान पत्र और निवास प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, जमीन का रिकॉर्ड और फोटो देनी होगी. इतने में ही बैंक को केसीसी बनाना पड़ेगा. जिला स्तरीय बैंकर्स कमेटी गांवों में कैंप लगाने का कार्यक्रम बनाएगी, जबकि राज्य स्तरीय कमेटी इसकी निगरानी करेगी. इसमें सबसे बड़ी भूमिका जिलों के लीड बैंक मैनेजरों की तय की गई है. कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में जानकारी दी है कि अब बैंकों को आवेदन के 15 दिन में ही किसान क्रेडिट कार्ड बनाना पड़ेगा.
खेती-किसानी के लिए ब्याजदर वैसे तो 9 परसेंट है. लेकिन सरकार इसमें 2 परसेंट की सब्सिडी देती है. इस तरह यह 7 प्रतिशत पड़ता है. लेकिन समय पर लौटा देने पर 3 फीसदी और छूट मिल जाती है. इस तरह इसकी दर ईमानदार किसानों के लिए मात्र 4 फीसदी रह जाती है. कोई भी साहूकार इतनी सस्ती दर पर किसी को कर्ज नहीं दे सकता. इसलिए अगर आपको खेती-किसानी के लिए कर्ज चाहिए तो बैंक जाईए और किसान क्रेडिट कार्ड बनवाईए. आपको 3 लाख रुपये तक का लोन मिल जाएगा.
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