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स्लमडॉग शिवपुरी में विवेक की दरकार

लेखक ---
आंखन देखी/ राजकुमार शर्मा

अध्ययन से बुद्धि बनती हैं और अनुभव से विवेक। स्लमडॉग के कलंक से कलंकित शिवपुरी में नौकरशाही ने न तो बुद्धि दिखाई और समस्या के समाधान में विवेक। नतीजन शिवपुरी में स्मैक के काले धंधे का स्वर्णकाल चल गया। चल रहा हैं और चलेगा। क्योंकि जो जिम्मेदार हैं वह अपनी जेबें भरने में व्यस्त रहे उन्हें दीन दुनिया से कोई लेना देना नहीं रहा देखते ही देखते शिवपुरी स्लमडॉग में बदल गया। नशेड़ियों की बड़ी फौज खड़ी हो गई। छोटे और बड़े सप्लायरों का समूह तैयार हो गया। स्मैक की बड़ी मंडी के तौर पर शिवपुरी की पहचान प्रदेश के स्मैक सप्लायर जिलों के साथ-साथ दीगर प्रदेशों में भी स्थापित हो गई। इस स्थिति में पुलिस हाथ पर हाथ धरकर बैठने के लिए नहीं बल्कि काले कारोबारियों से हाथ मिलाने और अपनी जेबें भरने के लिए कटघरे में खड़ी होकर जनता की अदालत में दोषी भी साबित हो गई। जनप्रतिनिधि हार जीत के गणित और किसी में ऊंगली न करने की नीति में ही पड़े रहे। उपरोक्त का उजागर परिणाम यह हुआ कि शिवपुरी स्लमडॉग बन गई। स्लमडॉग शिवपुरी को नौकरशाही और नेताओं ने स्वीकार्य कर लिया क्योंकि इसके निर्माता और संरक्षक वही थे! बहुत हद तक आज भी होने के लिए आरोपित हैं। इसके खिलाफ हल्ला मचाने का मीडिया समय-समय पर करती रही लेकिन जनप्रतिनिधियों के साथ जनता की उदासीनता ने हालातों को संगीन बना दिया। बवाल तब मचा जब शिवानी की बलि स्मैक के धंधे में चढ़ गई। उसकी लाश कृष्णपुरम कॉलोनी में रात के अंधेर में ठिकाने लगा दी गई जब 20 वर्षीय शिवानी की आत्मा ने इंसाफ मांगा तो व्यवस्था और व्यवस्थापकों से पूरी तरह निराश नागरिकों ने आर पार का ऐलान खुद सड़क पर उतरकर कर दिया। जनता के बीच से स्लमडॉग शिवपुरी में कुछ सिंह निकले और उन्होंने सड़क पर उतरकर स्लमडॉग शिवपुरी की स्थापित पहचान को मिटाने का संकल्प ले लिया। सिंहों के साथ कल तक स्मैक से पीड़ित मैमने की तरह मिमियाती जनता (मेरे लाल को बचालो) के जागृत होते ही प्रदेश स्तर पर हल्ला मच गया। जिले में जिम्मेदार पदों पर पदस्थ नौकरशाही और नेताओं में भी सनसनी फैली। प्रभारी के भरोसे पर चल रहे पुलिस महकमे में आनन फानन में विवेक अग्रवाल की पदस्थी एसपी के पद पर की गई। विवेक क्या करेंगे? क्या कर सकते हैं! क्या वह स्मैक की शिवपुरी में शुरूआत से लेकर उसके स्वर्णकाल और मौजूदा समय में स्लमडॉग बनी शिवपुरी के जिम्मेदारों को जानने-पहचानने का प्रयास करेंगे! क्या वह इस प्रचारित सच की पड़ताल करेंगे कि शिवपुरी में स्मैक के धंधे की बागडोर शुरूआती दौर में थामने और उसे बड़े स्तर पर फैलाने के लिए देहात थाना पुलिस ही जिम्मेदार हैं! थी। क्या वह शिवानी हत्याकाण्ड में संदिग्ध और सीधे तौर पर संलिप्त नजर आ रहे चेहरों को अब तक दिए जा रहे पुलिस के आरोपित संरक्षण की नीति पर ही चलेंगे या इस चलन के खिलाफ जाकर जो दोषी हैं वह दण्डित होगा कि नीति अपनायेंगे! क्या वह जानने का प्रयास करेंगे कि स्मैक के कारोबार में कौन-कौन सफेदपोश अप्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष तौर पर संलिप्त हैं! क्या वह किसी भी तौर पर स्मैक के कारोबार को संरक्षण देने वाले नेताओं को किसी भी हद तक सिर्फ उजागर भी कर पायेंगे! स्लमडॉग के नागरिकों का और यहां की सजग मीडिया का निम्न अनुभवजनित सत्य है कि जिसकी भी पूंछ उठाई वह मादा निकली। लेकिन इस सूरते हाल में भी कोई नाउम्मीद नहीं है उम्मीद का रोशन सच बनकर स्लमडॉग से सामने आए हैं गिने चुने सिंह। नगर पालिका उपाध्यक्ष अनिल शर्मा अन्नी, धैर्यवर्धन शर्मा, सुरेन्द्र शर्मा, आशुतोष शर्मा और समीक्षा भार्गव। जिन्होंने अपने तेवरों से नेता और नौकरशाही को हिला दिया है। जी हां। कल और आज में कांग्रेस, शिवसेना ज्ञापनवाजी कर आई है और भाजपा के धरना पर बैठने की चर्चा हैं अब विवेक से मौजूदा व्यवस्था बदलेगी या नहीं! यह हम नहीं खुद आईपीएस विवेक तय करेंगे।

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