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भक्ति वो है जो रम जाती है फकीरों में अक्सर, भक्ति किसी भी दौलतमंद की जायदाद नही होती-पं.जितेन्द्र तिवारी

*✒भक्ति वो है जो रम जाती है फकीरों में अक्सर, भक्ति किसी भी दौलतमंद की जायदाद नही होती-पं.जितेन्द्र तिवारी*
*(सत्यनारायण व्रत का का दौर क्षेत्र में)*
*✒बिर्रा-हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ माह में जहां भक्तों के द्वार स्वयं मगवान जगन्नाथ महाप्रभु अपने भक्तो के द्वार पहुंचते है वही इस माह के शुक्ल पक्ष के एकादशी (देवशयनी एकादशी)के साथ चतुर्मास प्रारंभ हो जाता है ।इन दिनों प्राय:हर घर में सत्यनारायण व्रत कथा का आयोजन हो रहा है।डभराखुर्द में चंद्रा परिवार द्वारा आयोजित भगवान विष्णु स्वरूप सत्यनारायण व्रत कथा का वर्णन करते हुए कथावाचक पं.जितेन्द्र तिवारी ने कहा कि आज इस कलियुग में हर शुभकार्य चाहे वह नव गृह प्रवेश,वधु आगमन या अन्य शुभकार्य का शुभारंभ सत्यनारायण व्रत कथा के आयोजन से होता है।इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज हमारे पास धन,दौदत,मकान पद जो भी है वह सब इसी जीवन में काम आएंगे यहाँ से जाने के बाद सब कुछ यही रह जाएगी।हमारे साथ जाएगी तो सिर्फ हमारा पुण्य,हमारे अच्छे कर्म।उनके द्वारा कथा का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि भक्ति वो है जो रम जाती है फकीरो में अक्सर, भक्ति किसी भी दौलतमंद की जायदाद नहीँ होती।कथा श्रवण करने मुख्य यजमान सुदामा चंदा सपत्नीक बैठे हुए थेउपस्थित श्रद्धालुओं में गोटीलाल चंद्रा, हेमनारायण, लखनलाल चंद्रा, मनहरण चंद्रा, जीतराम चंद्रा, रूपसिंह,उमाशंकर चंद्रा, शत्रुघन पटेल, पजेन्द्र कुमार सहित भारी संख्या में महिला श्रद्धालु उपस्थित थे।सायंकालीन समय में रामायण का आयोजन.किया गया।**

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