राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली एवं म.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जबलपुर निर्देशानुसार तथा जिला एवं सत्र न्यायाधीश, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री आर.बी.कुमार की अध्यक्षता में जिला जेल शिवपुरी में गत दिवस प्लीबारेगेनिंग (सौदा अभिवाक) एवं अपील के अधिकार विषय पर कानूनी जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
जिला न्यायाधीश श्री आर.बी.कुमार ने बताया कि ऐसे अपराध जो कि महिलाओं, बालकों एवं सात वर्ष से अधिक अवधि से दण्डनीय अपराधो से संबंधित नहीं है, उन अपराधों में यदि अभियुक्त द्वारा अभिरक्षा में आधे से अधिक अवधि व्यतीत कर ली है। तब वह संबंधित न्यायालय में प्लीबार्गेनिंग हेतु आवेदन पेश कर सकता है जिस पर संबंधित न्यायालय समुचित कार्यवाही करेगा। इस दौरान बंदियों ने बताया कि उनके अभिवक्ता उनसे मिलने जेल नहीं आते हैं। इस संबंध में जिला न्यायाधीश द्वारा बंदियों को आश्वस्त करते हुए कहा कि उनके अधिवक्ताओं को सूचित किया जाएगा कि वे अपने बंदियों से जेल जाकर मिले और प्रकरण की स्थिति के बारे में अवगत कराए।
उन्होंने बताया कि यदि बंदी विचारण न्यायालय के निर्णय के विरूद्ध अपील करना चाहते हैं तब उस स्थिति में अपील में भी विधिक सहायता के माध्यम से अपील प्रस्तुत कर सकते हैं, यह बंदियों का कानूनी अधिकार है। उन्होंने बताया कि बंदियों को जेल लोक अदालत जमानत का अधिकार निःशुल्क विधिक सहायता के अंतर्गत शासन द्वारा वकील उपलब्ध करवाया जाता है। उन्होंने पुरूष एवं महिला बंदियों से स्वास्थ्य के संबंध में पूछताछ कर उचित उपचार की कार्यवाही किए जाने हेतु आश्वस्त किया।
जिला न्यायाधीश श्री आर.बी.कुमार ने बताया कि ऐसे अपराध जो कि महिलाओं, बालकों एवं सात वर्ष से अधिक अवधि से दण्डनीय अपराधो से संबंधित नहीं है, उन अपराधों में यदि अभियुक्त द्वारा अभिरक्षा में आधे से अधिक अवधि व्यतीत कर ली है। तब वह संबंधित न्यायालय में प्लीबार्गेनिंग हेतु आवेदन पेश कर सकता है जिस पर संबंधित न्यायालय समुचित कार्यवाही करेगा। इस दौरान बंदियों ने बताया कि उनके अभिवक्ता उनसे मिलने जेल नहीं आते हैं। इस संबंध में जिला न्यायाधीश द्वारा बंदियों को आश्वस्त करते हुए कहा कि उनके अधिवक्ताओं को सूचित किया जाएगा कि वे अपने बंदियों से जेल जाकर मिले और प्रकरण की स्थिति के बारे में अवगत कराए।
उन्होंने बताया कि यदि बंदी विचारण न्यायालय के निर्णय के विरूद्ध अपील करना चाहते हैं तब उस स्थिति में अपील में भी विधिक सहायता के माध्यम से अपील प्रस्तुत कर सकते हैं, यह बंदियों का कानूनी अधिकार है। उन्होंने बताया कि बंदियों को जेल लोक अदालत जमानत का अधिकार निःशुल्क विधिक सहायता के अंतर्गत शासन द्वारा वकील उपलब्ध करवाया जाता है। उन्होंने पुरूष एवं महिला बंदियों से स्वास्थ्य के संबंध में पूछताछ कर उचित उपचार की कार्यवाही किए जाने हेतु आश्वस्त किया।
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