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प्रदेश में तबादला एक्सप्रेस चालू आहे

मध्य प्रदेश में गत 15 वर्षों से जमी भारतीय जनता पार्टी की सरकार को उखाड़ फैंकने बाद पिछली साल 17 दिसंबर को मुख्यमंत्री के तौर सत्ता संभालने वाले कमलनाथ सरकार तबादलों में व्यस्त हैं! जैसा की आम तौर पर होता है  कि चुनाव के बाद अक्सर केन्द्र और राज्यों में अधिकारी व कर्मचारियों के तबादला होना सरकार की एक स्वाभाविक प्रक्रिया होती है! इसके माध्यम से सत्ता पक्ष आईएएस,आईपीएस अधिकारियों सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों का तबादले कर राज्य की कानूनी व्यवस्थाओं सहित अन्य महत्वपूर्ण व्यवस्थाओं को चाक-चौबंद बनाये रखने का प्रयास करते हैं,जो आम आदमी के लिए सहायक हों! यदि सत्ता हंस्तारण होती है तो यह और भी आवश्यक हो जाता है, क्योंकि कल विपक्ष में रहते हुये नेता और कार्यकर्ताओं ने ये महसूस किया था कि कोन सा अधिकारी ईमानदारी से काम कर रहा था और कोन अधिकारी सत्ता पक्ष का भोंपू बना हुआ था ! कांग्रेस की राज्य सरकार भी कोई अनोखा काम नहीं कर रही है! मगर जिस तरीके से गत दिसंबर से ही प्रदेश में तबादल एक्सप्रेस ने जो रफ्तार पकड़ी है, वो रुकने का नाम नहीं ले रही है बल्कि उसकी गति दिनों-दिन जोर पकड़ती जा रही है और ऐसा लग रहा है कि सारे घर के बदल दूंगा की तर्ज पर कमलनाथ भी पूरे प्रदेश के बदलने के काम में लग गये हैं! एक अनुमान और अनौपचारिक रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश सरकार बड़ी संख्या में आईएएस, आपीएस और आईएएफ अधिकारियों सहित राज्य प्रशासनिक अधिकारियों के लगभग 20 हजार तबादले कर चुकी है और लगभग 70 हजार अधिकारी व कर्मचारियों के आवेदन लाईन में विचारार्थ लगे हुये हैं !

मतलब स्पष्ट है कि मात्र सात महिने में 90 हजार तबादले जबकि पूरी साल बीतने में पांच महिने कम हैं! सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि साल बीतते -बीतते तबादलों का यह आंकड़ा एक लखिया पार चुका होगा! राज्य सरकार अपने पहले 165 दिनों में प्रदेश के 10 संभागों के आयुक्त 52 जिलों के जिला क्लेक्टरों को बदल चुकी है जबकि 48 जिलों के पुलिस अधीक्षक भी इस तबादला एक्सप्रेस की सवारी कर चुके हैं! कुल मिलाकर 460 के आसपास आईएएस, आईपीएस और आईएएफएस अधिकारी तबादला एक्सप्रेस की चपैट में आकर इधर से उधर हो चुके हैं! इतना ही नहीं कई -कई अफसरों को तो अपने गंतव्य पर छोड़ने के बाद तबादला एक्सप्रेस बलात् वापिस उठाकर इधर- उधर चुकी है और आशंका है कि फिर कर सकती है! अब तो अपने 15 वर्षों के कार्यकाल में ताबड़तोड़ तबादला करने वाली भाजपा भी इसे तबादला उधौग कहने लगी है और जमकर कमलनाथ सरकार पर निशानेबाजी कर रही है! प्रदेश के सारे के सारे बदल देने के इस कदम का विरोध भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस के अन्दर भी होने लगा है! पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के छोटे भाई और कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह भी कांग्रेस सरकार की तबादला नीति के खिलाफ हैं, उन्होने अपनी नाराजगी भी व्यक्त कर दी है!बावजूद इसके मुख्यमंत्री कमलनाथ ने स्पष्ट कर दिया है कि तबादला करना सरकार का अधिकार है और तबादले आगे भी जारी रहेंगे! अब देखना यह है कि बिना ब्रेक की हो चली तबादला एक्सप्रेस आगे कहीं रुकती भी है या फिर इसी तरह तेजी से बेलगाम दौड़ती जायेगी? हालांकि वर्षों से स्थानीय नगर निकायों और अन्य कार्यालयों में जमे बाबूओं की तरफ इस तबादला एक्सप्रेस ने रुख नहीं किया है, जिसके कारण न रिश्वत का बंदर-बांट कम हुआ है और न ही आम आदमी के रोजमर्रा के जरुरी कामों को निपटाने में तेजी आई है! फिर भी प्रदेश में तबादला एक्सप्रेस चालू आहे!



       श्रीगोपाल गुप्ता

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