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डेंगू एवं चिकनगुनिया रोग से बचाव हेतु सावधानियां जरूरी

मच्छर जनित रोगों के उपचार से बेहतर है कि हम थोड़ी सी सजगता एवं सावधानियां रखकर ऐसी स्थिति बनाये, जिससे मच्छर पैदा ही नहीं होने पाये। इसके लिए आमजनों सहित अधिकारियों-कर्मचारियों को भी समुचित जानकारी होना अत्यंत जरूरी है जिससे आमजनों को भी इसके बारे में सही-सही जानकारी दे सकें। 
      डेंगू एवं चिकनगुनिया का वाहक मच्छर रुके हुए साफ पानी में पैदा होता है और दिन के समय काटता है। नागरिकगण वर्षा के पानी को जमा न होने दें। आस-पास सफाई रखें और डेंगू एवं चिकनगुनिया से बचें। डेंगू के लक्षण में तेज बुखार, ऑंखों, मांसपेशियों और सिर में तेज दर्द, मसूड़ों व नाक से खून बहना, शरीर पर लाल चकत्ते होना डेंगू हो सकता है। चिकनगुनिया के लक्षण में तेज बुखार, सिर दर्द, जोड़ों में दर्द शरीर पर लाल चकत्ते आना आदि हैं।
      लक्षण पाये जाने पर खून की जांच कराएं, जांच में डेंगू या चिकनगुनिया पाए जाने पर डॉक्टर की सलाह अनुसार पूरा उपचार लें। बचाव के लिए पानी के बर्तन ढंक कर रखें। अनुपयोगी सामग्रियों जैसे कूलर, ड्रम, टंकी, बाल्टी आदि में पानी जमा न होने दें। दोबारा उपयोग से पूर्व उन्हें अच्छी तरह सुखाएं। हैण्डपंप के आस-पास भी पानी इकट्ठा न होने दें। जमे पानी पर मिट्टी का तेल या जला हुआ इंजन का तेल डालें। आस-पास सफाई रखें। सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें। पूरी अस्तीन के कपड़े पहने और डेंगू एवं चिकनगुनिया से बचें। डेगू एवं चिकनगुनिया की जॉंच व उपचार की सुविधा सभी सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क उपलब्ध है।

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