जांजगीर छत्तीसगढ़ न्यूज़ एकांश पटेल
बिर्रा क्षेत्र में संतान की दीर्घायु का पर्व कमरछठ मनाया गया
बिर्रा क्षेत्र में संतान की दीर्घायु का पर्व कमरछठ मनाया गया
(जगह-जगह की गई पूजा-सुनी गई कथाएं)
जांजगीर छत्तीसगढ़ बिर्रा-भाद्रपद कृष्ण पक्ष षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला हलषष्ठी जिसे कमरछठ भी कहा जाता है बिर्रा सहित घिवरा,किकिरदा, बसंतपुर, देवरानी,सिलादेही, गतवा,बोरसी,तालदेवरी, सेमरिया, बनडभरा में माताओं ने संतान की दीर्घायु जीवन के लिए व्रत रखकर ,पूजा कर,कथा श्रवणकर धूमधाम से मनाया गया।इस संबध में संजयनगर में भीम किराना दुकान के पास आसपास की माताओं को हलषष्ठी की महिमा का वर्णन करते आचार्य पं.जितेन्द्र महराज ने कहा कि भादों महिने के छठ को भगवान श्रीकृष्ण के बडे भाई बलराम जी का जन्म हुआ था जिस कारण से इसे हर छठ भी कहा जाता है।इस दिन माताएं अपनी संतान की कामना व संतान की लंबी उम्र व सुख समृद्धि की कामना कर व्रत रखती हैं।इस दिन हल चले जगहों पर जाना निषेध रहता है।आज के दिन प्रसाद स्वरूप पसहर का चांवल से निर्मित भोजन व विभिन्न प्रकार की भाजियां बनाकर भैंस की दूध,दही ,घी का उपयोग किया जाता है।हलषष्ठी की पूजा कर छ: कथाएं सुनी जाती है।प्राकृतिक तालाब बनाकर उसमें जल डालकर वरूणदेव की अराधना की जाती है।अंत में पुत्रों की दीर्घायु की कामना के लिए पोता मारकर तिलक लगाकर आशीर्वाद दिया जाता है।बिर्रा में दाऊमुहल्ला(पं गीताप्रसाद तिवारी), भाठापारा(चित्रभानु पांडेय), धीवर मुहल्ला, कहार मुहल्ला(नरोत्तम पांडेय),लीलामंडली (भागवत पांडेय), महाबीर चौक,दीवान घर राजमहल(जितेन्द्र तिवारी),शांतिचौक साहू मुहल्ला(नरोत्तम पांडेय)द्वारा पूजन कार्य व कथा सुनाई गई। आज माताओं ने व्रत रखकर हलषष्ठी का पर्व मनाया गया।
जांजगीर छत्तीसगढ़ बिर्रा-भाद्रपद कृष्ण पक्ष षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला हलषष्ठी जिसे कमरछठ भी कहा जाता है बिर्रा सहित घिवरा,किकिरदा, बसंतपुर, देवरानी,सिलादेही, गतवा,बोरसी,तालदेवरी, सेमरिया, बनडभरा में माताओं ने संतान की दीर्घायु जीवन के लिए व्रत रखकर ,पूजा कर,कथा श्रवणकर धूमधाम से मनाया गया।इस संबध में संजयनगर में भीम किराना दुकान के पास आसपास की माताओं को हलषष्ठी की महिमा का वर्णन करते आचार्य पं.जितेन्द्र महराज ने कहा कि भादों महिने के छठ को भगवान श्रीकृष्ण के बडे भाई बलराम जी का जन्म हुआ था जिस कारण से इसे हर छठ भी कहा जाता है।इस दिन माताएं अपनी संतान की कामना व संतान की लंबी उम्र व सुख समृद्धि की कामना कर व्रत रखती हैं।इस दिन हल चले जगहों पर जाना निषेध रहता है।आज के दिन प्रसाद स्वरूप पसहर का चांवल से निर्मित भोजन व विभिन्न प्रकार की भाजियां बनाकर भैंस की दूध,दही ,घी का उपयोग किया जाता है।हलषष्ठी की पूजा कर छ: कथाएं सुनी जाती है।प्राकृतिक तालाब बनाकर उसमें जल डालकर वरूणदेव की अराधना की जाती है।अंत में पुत्रों की दीर्घायु की कामना के लिए पोता मारकर तिलक लगाकर आशीर्वाद दिया जाता है।बिर्रा में दाऊमुहल्ला(पं गीताप्रसाद तिवारी), भाठापारा(चित्रभानु पांडेय), धीवर मुहल्ला, कहार मुहल्ला(नरोत्तम पांडेय),लीलामंडली (भागवत पांडेय), महाबीर चौक,दीवान घर राजमहल(जितेन्द्र तिवारी),शांतिचौक साहू मुहल्ला(नरोत्तम पांडेय)द्वारा पूजन कार्य व कथा सुनाई गई। आज माताओं ने व्रत रखकर हलषष्ठी का पर्व मनाया गया।

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