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गौशाला प्रकरण:आखिर खड़क सिंह ने घोड़ा लोटाया

गौशाला प्रकरण:आखिर खड़क सिंह ने घोड़ा लोटाया 


                श्रीगोपाल गुप्ता

कहानी "हार की जीत" के मुताबिक जब डकैत खड़कसिंह ने बाबा भारती का घोड़ा कपटपूर्ण तरीके से हड़प लिया!तब बाबा ने खड़कसिंह से कहा कि तुमने घोड़ा तो ले लिया कोई बात नहीं है, मगर ये बात किसी को मत बताना! इस पर आश्चर्यचकित खड़क सिंह ने पूछा क्यों? तब बाबा ने कहा कि घटना पता लगते लोगों का गरीब, लाचार और बीमार लोगों पर विश्वास उठ जायेगा और वे कभी ऐसे लोगों की मदद नहीं करेंगे! इस पर डकैत को पश्चाताप हुआ और उसने रात में बाबा के घोड़ो को चुपचाप बाबा के अस्तबल में बांध दिया! सुबह बाबा ने अपने घोड़ो को अपने अस्तबल में बंधा देखा तो घोड़ा और बाबा दोनों ही भाव-विभोर होकर रोने लगे! इधर गायों की मौतों के लिए दोषी देवरी गौशाला प्रकरण में गत दिनों थाना सिविल लाइन में पशुपालन विभाग के उप संचालक डा. सुरेशचन्द्र शर्मा ने भी देवरी गौशाला की प्रबंध समिति के खिलाफ पशु-क्रूरता की लिखाई प्राथमिकी में से आठ समाजसेवी दानवीरों के नाम वापिस लेने के लिए पुलिस में फरियाद की है! डा. शर्मा ने इन समाजसेवियों के नाम हटवाने से देवरी गौशाला प्रकरण का सुखद अंत भी कुछ-कुछ डकैत खड़कसिंह के द्वारा बाबा का प्यारा घोड़ा लोटाने जैसा हो गया है! डा. शर्मा के द्वारा की गई इस कार्यवाही से उन आठ समाजसेवियों में तो हर्ष है ही साथ में मानवता भी जिंदा हो उठी है!

दरअसल गत 17 अगस्त को प्रभारी मंत्री के निरीक्षण के दौरान देवरी गौशाला के गेट पर खड़ा मिला गौवंस की लाशों से भरा डम्पर एक गंभीर षड़यंत्र का हिस्सा था! इस षड़यंत्र तक अभी तक न प्रभारी मंत्री, जिला कलेक्टर, नगर निगम अधिकारी और उप संचालक पशु विभाग भी नहीं पहुंच पाये और न कोई जांच वहां तक पहुंची है!एक विचारणीय और यक्ष प्रश्न है कि प्रभारी मंत्री जी को निरीक्षण के दौरान गऊयों की सड़ी-गली लाशों से भरा डम्पर गौशाला के गेट पर खड़ा आखिर क्यों मिला! जबकि गौशाला में मरने वाले औवंशों को दफनाने के लिए गौशाला की खुद की कई बीघा जमीन के अलावा पीछे क्वारी नदी की और सरकार की लगभग 100 बीघा जमीन पड़ी है! जहां गायों के शवों को दफनाने के लिए निगम द्वारा सभी संसाधन गौशाला को दिये गये हैं और गौशाला प्रबंधन गायों को वहीं दफनाता भी है! फिर कैसे डंपर गौशाला से आने-जाने वाले गेट पर मिला? क्योंकि गौशाला प्रबंधन अपनी गौशाला में मरने वाले गौवंस को पीछे की जमीन पर दफनाता है तो फिर गायों की लाशों को डम्पर लादकर अन्य जगह क्यों भेजेगा?इस हकीकत के पीछे सही बात यह है कि महिनों से रोज शहर में मरने वाले गौवंशों को उठाने के लिए गाड़ी-अड्डा प्रभारी शिकायत मिलने पर अपने अमले से गौवंस को उठवाते हैं और अपने यहां पीछे की बेकार बनी जगह पर एकत्रित करवाते हैं! जब गौवंशों की लाश 10-12 से ज्यादा हो जाती है तब उसे डम्पर पर लादकर देवरी गौशाला पहुंचाते हैं!जहां उन्हें उसी पीछे की क्वारी नदी के किनारे वाली जगह पर दफनाया जाता जहां प्रत्येक दिन गौशाला प्रबंधन अपनी गौशाला में मरने वाले गौवंश को दफनाते हैं! मगर यह सच यह भी है कि क्षमता से अत्याधिक गौवंशों, चारे की समूचित व्यवस्था न होना, उचित स्वास्थ परीक्षण न होना और लापरवाही के कारण गौशाला में प्रत्येक दिन गौवंशों की मौत होती है! मगर यह सच नहीं है कि निरीक्षण के दौरान प्रभारी मंत्री को गेट पर जो डम्पर मिला उसमें मृत गौवंश गौशाला का न होकर पांच-पांच दिनों से गाड़ी अड्डा में एकत्रित की गई लोशों से लदा डम्पर था!

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