*(सिलादेही संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा षष्ठ दिवस की कथा)*
*-सिलादेही - ग्राम सिलादेही में स्व. श्री भागीरथी तिवारी के वार्षिक श्राद्ध निमित्त संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ भक्ति महोत्सव का शुभारंभ 27अगस्त को कलश स्थापना,वेदीपूजन के साथ हुआ। कथा वाचक टिमन प्रसाद दुबे जी (बडे गुमड़ा)द्वारा कथा सुनाई जा रहै। वरण पं. मिथलेश्वर नंद दुबे जी एवं आचार्य पं. निर्मल दुबे जी (रजगा वाले) वरणीय पंडितों द्वारा प्रतिदिन पूजन करायी जा रही है। संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के में श्रीमद्भागवत की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए व्यासपीठ सें पं.टीमन प्रसाद दुबे ने बताया कि रूकमणी का संदेश पाकर भगवान श्रीकृष्ण रथ पर सवार होकर शीघ्र ही कुण्डिनपुर कि ओर चल दिए,उन्होंने रूकमणी के दूत ब्राह्मण को भी रथ पर बिठा लिया था। श्रीकृष्ण के चले जाने पर पूरा घटना बलराम के कानों पर पड़ी, वो ये सोचकर चितिंत हो उठे कि श्रीकृष्ण अकेले ही कुण्डिनपुर गए। शिशुपाल निश्चिंत तिथि पर बहुत बडी बारात लेकर कुण्डिनपुर जा पहुंचा। बारात क्या थी पूरा सेना थी। शिशुपाल की उस बारात में जरासंध, शाल्क, पौण्डक और वक्रनेत्र आदि राजा भी अपनी अपनी सेना के साथ थे, सभी राजा श्रीकृष्ण से शत्रुता रखते थे। विवाह का दिन था, सारा नगर बंदनवारों और तोरणों से सज्जित था, मंगल बाघ बज रहे थे, मंगल गीत भी गाय जा रहे थे, पूरा नगर में चहल पहल थी , जब नगरवासियों को इस बात का पता चला कि श्रीकृष्ण और बलराम भी नगर मे आये हुए है। तो बहुत प्रसन्न हुए। और मन ही मन सोचने लगे कि कितना अच्छा होता यदि रूकमणी का विवाह श्रीकृष्ण के साथ होता, क्योंकि वे ही उसके लिए योग वर है*
कथा के बीच-बीच में संगीत की धुन पर श्रद्धालु झुमते नजर आ रहे है।कथा प्रतिदिन सुबह 9 बजे से 12 बजे तक एवं दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक कथा की धारा बह रही है। 03 सितंबर को पूर्णाहुति एवं सहस्त्रधारा के साथ सम्पन्न होगा। आज कथा श्रवण करने तारेश्वर तिवारी,कंत तिवारी, तिवारी सहित तिवारी परिवार व महिला श्रद्धालु उपस्थित रहीं।
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