बापू की 150वीं जन्म शताब्दी पदयात्रा का पड़ौरा गुरुद्वारा पहुँचकर फूल मालाओं से किया स्वागत ।
गांधी जयंती की जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर निकाली जा रही जय जगत यात्रा मंगलवार को पड़ौरा गुरुद्वारा से प्रारंभ होकर देहरदा तिराहा पर पहुंची । पड़ौरा गुरुद्वारा पर पहुँचकर यात्रा में शामिल श्री पी.व्ही. राजगोपाल जी, यात्रा में राजा जी के कंधे से कंधे मिलाकर साथ दे रही उनकी धर्मपत्नी जी , श्री रणसिंह परमार जी , श्री डोंगर प्रसाद शर्मा जी , श्री मनीष राजपूत जी सहित सभी विदेशी पदयात्रियों का जितेंद्र सिंह रघुवंशी (जीतू ) , जनक सिंह रावत , टिंकल झा सहित अन्य साथियों ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया । उसके बाद देहरदा तिराहा पर पहुंचकर जय जगत यात्रा के रात्रि विश्राम सम्बन्धी व्यवस्था में सहयोग प्रदान किया ।
श्री पी.वी. राजगोपाल जी ने बताया कि गांधी जी के संदेश को पहुंचाने के लिए यह यात्रा 2 अक्टूबर को राजघाट दिल्ली से प्रारम्भ हुई और 2 अक्टूबर 2020 को स्विट्ज़रलैंड के जेनेवा पहुँच कर यात्रा का समापन होगा , जहां 10 देशों से पाँच हजार लोग इकठ्ठे होंगे ।
इस यात्रा का उद्देश्य गांधी जी के विचारों को जन-जन तक पहचाना है खासकर युवाओं के बीच इस संदेश को जरूर पहुंचाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज भारत को ही नहीं पूरे विश्व को अहिंसा का पाठ पढ़ाने की जरूरत है।
गांधी जयंती की जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर निकाली जा रही जय जगत यात्रा मंगलवार को पड़ौरा गुरुद्वारा से प्रारंभ होकर देहरदा तिराहा पर पहुंची । पड़ौरा गुरुद्वारा पर पहुँचकर यात्रा में शामिल श्री पी.व्ही. राजगोपाल जी, यात्रा में राजा जी के कंधे से कंधे मिलाकर साथ दे रही उनकी धर्मपत्नी जी , श्री रणसिंह परमार जी , श्री डोंगर प्रसाद शर्मा जी , श्री मनीष राजपूत जी सहित सभी विदेशी पदयात्रियों का जितेंद्र सिंह रघुवंशी (जीतू ) , जनक सिंह रावत , टिंकल झा सहित अन्य साथियों ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया । उसके बाद देहरदा तिराहा पर पहुंचकर जय जगत यात्रा के रात्रि विश्राम सम्बन्धी व्यवस्था में सहयोग प्रदान किया ।
श्री पी.वी. राजगोपाल जी ने बताया कि गांधी जी के संदेश को पहुंचाने के लिए यह यात्रा 2 अक्टूबर को राजघाट दिल्ली से प्रारम्भ हुई और 2 अक्टूबर 2020 को स्विट्ज़रलैंड के जेनेवा पहुँच कर यात्रा का समापन होगा , जहां 10 देशों से पाँच हजार लोग इकठ्ठे होंगे ।
इस यात्रा का उद्देश्य गांधी जी के विचारों को जन-जन तक पहचाना है खासकर युवाओं के बीच इस संदेश को जरूर पहुंचाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज भारत को ही नहीं पूरे विश्व को अहिंसा का पाठ पढ़ाने की जरूरत है।

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