शिवपुरी/ अमोला. कोटा-झांसी फोरलेन पर शिवपुरी के अमोला क्षेत्र से गुजरते समय एक कार रविवार को दीपावली की रात सिंध नदी में जा गिरी। कार में एक ही परिवार के पांच सदस्यों सहित छह लोग सवार थे। कार पूरी तरह से पानी में डूब गई, लेकिन परिवार के मुखिया ने हिम्मत दिखाते हुए कार की अगली सीट का कांच तोडकऱ परिवार के सभी सदस्यों को बमुश्किल बाहर निकाला
इस परिवार ने अमोला के एक घर में रात गुजारी और फिर सोमवार की सुबह पानी में डूबी कार को ट्रेक्टर के सहारे नदी से बाहर निकाला गया। मौत के मुंह से वापस आए इस परिवार का कहना है कि हमें तो उम्मीद ही नहीं थी कि हम जिंदा बचेंगे, लेकिन ईश्वर ने हमें बचा लिया। आज दोपहर में परिवार के मुखिया ने अमोला थाने में हादसे की रिपोर्ट दर्ज कराई।लखनऊ (उत्तरप्रदेश) में रहने वाले अकील खान (45) पुत्र शरीफ खान, पूना में पीओपी के कारोबारी हैं। दीपावली पर छुट्टियों में वे अपने परिवार सहित जिसमें पत्नी अफसाना, बेटा हफीज, हुसेन, बेटी किरम व ड्राइवर रफीकउल्ला पुत्र समीर खान, के साथ अपने घर लखनऊ जा रहे थे। दीवाली की रात करीब 12 बजे जब उनकी कार अमोला पुल को पार करके अमोला क्रेशर के पास से गुजर रही थी, तभी सडक़ किनारे तक सिंध का पानी आ जाने से, खतरे का निशान चिन्हित करने के लिए रखे गए पत्थरों पर कार का पहिया आ जाने से वो अनियंत्रित होकर सिंध नदी में सीधी ही चली गई।
कार के पानी में गिरते ही वो धीरे-धीरे कर डूबने लगी, जबकि उसमें सवार परिवार के सदस्यों की धडकऩें बढ़ती जा रहीं थीं कि अब उनका क्या होगा। इसी बीच अकील ने आगे की सीट का कांच तोड़ा तथा उसमें से परिवार के एक-एक सदस्य को कार में से बाहर निकाला और नदी के किनारे सडक़ पर छोड़ा।
हादसे की सूचना मिलते ही अमोला पुलिस भी रात में ही मौके पर पहुंची और सर्दीकी बीच में पानी में भीगे इस परिवार को अमोला लाया गया। अमोला के स्थानीय रहवासी राजू मिश्रा के घर में रुकवाया गया। राजू ने परिवार के लोगों को कंबल आदि के अलावा चाय-नाश्ता भी उपलब्ध कराया। मौत के मुहाने से वापस आए इस परिवार को पूरी रात नींद नहीं आई, बल्कि बार-बार उनकी आंखों के सामने वो हादसा आता रहा। सुबह होते ही स्थानीय ग्रामीणों की मदद से सिंध में डूबी कार को ट्रेक्टर से बांधकर बाहर निकाला गया। बाद में अकील खान ने अमोला थाने में हादसे की रिपोर्ट दर्ज कराई। इसके बाद के्रन के सहारे कार को झांसी ले गए तथा पूरा परिवार भी उसी कार में सवार होकर अमोला से रवाना हुआ।
पूरे परिवार को लखनऊ अपने घर जाने की खुशी थी, लेकिन जैसे ही कार पत्थरों पर चढऩे के बाद अनियंत्रित होकर नदी की तरफ बढ़ी तो पत्नी सहित बुरी तरह डर गए। नदी के किनारे से सरकी कार जब गहराई की तरफ बढ़ती जा रही थी, तो हम सभी ने ईश्वर को याद किया और कार के रुकने का इंतजार करने के साथ ही मैं यह सोचने लगा कि कैसे अपने परिवार को बचाऊं।
फिर मैने किसी तरह आगे की सीट के पास वाला कांच तोड़ा और फिर गेटखोलकर बमुश्किल परिवार के एक-एक सदस्य को बाहर निकाला। जब तक हम सभी लोग सुरक्षित बाहर नहीं निकले, तब तक एक-दूसरे के लिए सभी लोग चिंतित रहे। हमने कभी सोचा भी नहीं था कि ऐसे गंभीर हादसे के बाद भी हम लोग बच जाएंगे, लेकिन ईश्वर ने हमें बचा लिया। हम उनके भी शुक्रगुजार हैं, जिन्होंने हमारे परिवार को रात में शरण दी और हमारी कार को बाहर निकालने में सहयोग किया।
सिंध नदी पर बने मड़ीखेड़ा डैम को इस बार पूरा भरा जाने की वजह से नदी के विस्तार क्षेत्र में पानी भरा हुआ है, जो फोरलेन की सडक़ तक आकर उसे कमजोर कर रहा है। सडक़ का आधार कमजोर होने की वजह से उस पर हादसे की आशंका बनी हुई है और इस खतरे को पत्रिका ने 24 अक्टूबर के अंक में-डैम का बढ़ाया लेबल, तो फोरलेन तक आया पानी, शीर्षक से खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी।
यह स्थिति हर साल बनती थी, लेकिन हर बार डैम का लेबल कम करने से सडक़ तक आने वाला पानी उतर जाता था, लेकिन इस बार डैम पूरा भरा जाने की वजह से सडक़ पर खतरा अधिक है। एनएचएआई के अधिकारी हर बार सुरक्षा इंतजाम का दावा तो करते हैं, लेकिन सिर्फ सडक़ पर पत्थर रखकर अपने कर्तव्य से इतिश्री कर लेते हैं।
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