मंत्री जी, आखिर पटवारी ही रिश्वतखोर क्यों?
प्रदेश कांग्रेस सरकार के तेज-तर्रार मंत्री और इंदौर की राऊ विधानसभा क्षेत्र से विधायक श्री जीतू पटवारी ने गत 27 सितंबर को अपने विधानसभा क्षेत्र में "आपकी सरकार आपके द्वार" कार्यक्रम में मंच से प्रदेश के पटवारियों को 100 फीसदी रिश्वतखोर कह दिया! मामला बिगड़ना था सो बिगड़ गया ,प्रदेश के पटवारी सरकार के सामने आ तनकर खड़े हो गये ! पटवारियों ने अपने-अपने जिलों में मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन क्लेक्टरों देकर मांग की मंत्री अपने बयान के लिए मांफी मांगे,इसके साथ ही कई जिलों के पटवारी बस्ता पटक हड़ताल पर आ गये! हालांकि भीषड़ बरसात से घिरे मप्र में आई बाड़ से मुआवजे का काम चरम पर है, ऐसे में पटवारियों के हड़ताल पर जाने से प्रदेश की श्री कमलनाथ सरकार की मुस्किलें बढ़ गई !सरकार की तरफ से पटवारियों को साधने के लिए वित्त मंत्री श्री तरुण भनोत और श्री पीसी शर्मा ने पटवारियों के साथ सुलह -सलाह का प्रयास शुरु किया ही था कि इस लड़ाई में पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद श्री दिग्विजय सिंह भी कूंद गये! चूकि दिग्विजय सिंह जी जीतू पटवारी के वनस्पत काफी वरिष्ठ और बड़े नेता हैं तो उनका बयान भी पटवारियों के लिए मंत्री जी से बड़ा आया! उन्होने गत दो अक्टूबर को इंदौर में पटवारियों के भ्रष्टाचार उजागर करते हुये पटवारियों की इंदौर में नामांतरण व बंटवारे की चल रही रेटों का खुलासा कर दिया! पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद श्री दिग्विजय सिंह ने खुलेआम बताया कि इंदौर में पटवारी नांमातरण और बंटवारा दाखिलाखाज के लिए तीन से पांच लाख रुपये रिश्वत ले रहे हैं!
लाजिमी है कि श्री दिग्विजय सिंह के इस दिग्विजयी बयान ने आग में घी काम किया! लिहाजा प्रदेश के पटवारी हाजा पहले से ही मंत्री श्री जीतू पटवारी के बयान से हलकान थे मगर इस दिग्विजयी आरोप से वे सकते की हालात में आ गये! जहां-जहां और जिस-जिस जिलों में अभी तक लाला जीयों (पटवारी) में तहसीलदारों के समक्ष बस्ता पटक प्रतियोगिता नहीं हुई थी, वहां-वहां बस्ता पटक कार्यक्रम तेज हो गया,नतीजन आफत की बरसात से घिरा समूचा प्रदेश में बाढ़ से तबाह हुये नागरीक का मुआवजा अधर में लटक गया! क्योंकि मंत्री श्री जीतू पटवारी व वरिष्ठ नेता श्री दिग्विजय सिंह माने अथवा न मानें मगर ये हकीकत है कि सिवाय मुआवजा, जाति प्रमाण-पत्र और गरीबी रेखा के राशन कार्डों पर हस्ताक्षर करने के अलावा अब प्रदेश के पटवारियों पर कोई काम रह ही नहीं गया है! श्री दिग्विजय सिंह जी पटवारियों की रिश्वतखोरी की जो रेट उजागर कर रहे हैं वो बीते समय की बात है! एक साल से पटवारी जो पंजी संधारण करते थे वो तहसीलदारों के समक्ष जमा हो चुकी हैं! नामतरण व बंटवारा आवेदन अब आॅन लाइन होकर प्रदेश सरकार द्वारा शुरु किये गये एकल खिड़की पर जमा होता है और उसकी सीधी सुनवाई तहसीलदार करते हैं, इसमें पटवारियों का कोई हस्तक्षेप नहीं है! पटवारियों की वर्तमान स्थिति इतनी दयनीय है कि जिस हल्के में सरकारी डाक बंगला पड़ता है, वो हल्का कोई पटवारी लेने के लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि किसी मंत्री या बड़े अफसर के आने पर वह आव-भगत करने की स्थिति में नहीं है! इसलिए श्री दिग्विजय सिंह जी को पुनः अपने सूत्रों जांच करनी चाहिए कि वर्तमान में वस्तु-स्थिति क्या है और उनको गलत जानकारी देने वालों के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए! इधर प्रदेश के मंत्री श्री जीतू पटवारी जी को भी जनता के सामने यह स्पष्ट करना चाहिए कि केवल पटवारियों पर ही कहर क्यों? और कोन-कोन विभाग के कर्मचारी रिश्वतखोरी में लिप्त हैं! एक ट्रायल उनका भी हो और उनके नाम भी सामने आने चाहिये! क्योंकि आज के इस दौर 100 फीसदी कोई सरकारी विभाग ईमानदार नहीं है, यह ठोस सत्य है!
प्रदेश कांग्रेस सरकार के तेज-तर्रार मंत्री और इंदौर की राऊ विधानसभा क्षेत्र से विधायक श्री जीतू पटवारी ने गत 27 सितंबर को अपने विधानसभा क्षेत्र में "आपकी सरकार आपके द्वार" कार्यक्रम में मंच से प्रदेश के पटवारियों को 100 फीसदी रिश्वतखोर कह दिया! मामला बिगड़ना था सो बिगड़ गया ,प्रदेश के पटवारी सरकार के सामने आ तनकर खड़े हो गये ! पटवारियों ने अपने-अपने जिलों में मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन क्लेक्टरों देकर मांग की मंत्री अपने बयान के लिए मांफी मांगे,इसके साथ ही कई जिलों के पटवारी बस्ता पटक हड़ताल पर आ गये! हालांकि भीषड़ बरसात से घिरे मप्र में आई बाड़ से मुआवजे का काम चरम पर है, ऐसे में पटवारियों के हड़ताल पर जाने से प्रदेश की श्री कमलनाथ सरकार की मुस्किलें बढ़ गई !सरकार की तरफ से पटवारियों को साधने के लिए वित्त मंत्री श्री तरुण भनोत और श्री पीसी शर्मा ने पटवारियों के साथ सुलह -सलाह का प्रयास शुरु किया ही था कि इस लड़ाई में पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद श्री दिग्विजय सिंह भी कूंद गये! चूकि दिग्विजय सिंह जी जीतू पटवारी के वनस्पत काफी वरिष्ठ और बड़े नेता हैं तो उनका बयान भी पटवारियों के लिए मंत्री जी से बड़ा आया! उन्होने गत दो अक्टूबर को इंदौर में पटवारियों के भ्रष्टाचार उजागर करते हुये पटवारियों की इंदौर में नामांतरण व बंटवारे की चल रही रेटों का खुलासा कर दिया! पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद श्री दिग्विजय सिंह ने खुलेआम बताया कि इंदौर में पटवारी नांमातरण और बंटवारा दाखिलाखाज के लिए तीन से पांच लाख रुपये रिश्वत ले रहे हैं!
लाजिमी है कि श्री दिग्विजय सिंह के इस दिग्विजयी बयान ने आग में घी काम किया! लिहाजा प्रदेश के पटवारी हाजा पहले से ही मंत्री श्री जीतू पटवारी के बयान से हलकान थे मगर इस दिग्विजयी आरोप से वे सकते की हालात में आ गये! जहां-जहां और जिस-जिस जिलों में अभी तक लाला जीयों (पटवारी) में तहसीलदारों के समक्ष बस्ता पटक प्रतियोगिता नहीं हुई थी, वहां-वहां बस्ता पटक कार्यक्रम तेज हो गया,नतीजन आफत की बरसात से घिरा समूचा प्रदेश में बाढ़ से तबाह हुये नागरीक का मुआवजा अधर में लटक गया! क्योंकि मंत्री श्री जीतू पटवारी व वरिष्ठ नेता श्री दिग्विजय सिंह माने अथवा न मानें मगर ये हकीकत है कि सिवाय मुआवजा, जाति प्रमाण-पत्र और गरीबी रेखा के राशन कार्डों पर हस्ताक्षर करने के अलावा अब प्रदेश के पटवारियों पर कोई काम रह ही नहीं गया है! श्री दिग्विजय सिंह जी पटवारियों की रिश्वतखोरी की जो रेट उजागर कर रहे हैं वो बीते समय की बात है! एक साल से पटवारी जो पंजी संधारण करते थे वो तहसीलदारों के समक्ष जमा हो चुकी हैं! नामतरण व बंटवारा आवेदन अब आॅन लाइन होकर प्रदेश सरकार द्वारा शुरु किये गये एकल खिड़की पर जमा होता है और उसकी सीधी सुनवाई तहसीलदार करते हैं, इसमें पटवारियों का कोई हस्तक्षेप नहीं है! पटवारियों की वर्तमान स्थिति इतनी दयनीय है कि जिस हल्के में सरकारी डाक बंगला पड़ता है, वो हल्का कोई पटवारी लेने के लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि किसी मंत्री या बड़े अफसर के आने पर वह आव-भगत करने की स्थिति में नहीं है! इसलिए श्री दिग्विजय सिंह जी को पुनः अपने सूत्रों जांच करनी चाहिए कि वर्तमान में वस्तु-स्थिति क्या है और उनको गलत जानकारी देने वालों के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए! इधर प्रदेश के मंत्री श्री जीतू पटवारी जी को भी जनता के सामने यह स्पष्ट करना चाहिए कि केवल पटवारियों पर ही कहर क्यों? और कोन-कोन विभाग के कर्मचारी रिश्वतखोरी में लिप्त हैं! एक ट्रायल उनका भी हो और उनके नाम भी सामने आने चाहिये! क्योंकि आज के इस दौर 100 फीसदी कोई सरकारी विभाग ईमानदार नहीं है, यह ठोस सत्य है!
0 टिप्पणियाँ