सबसे पहले इसका जवाब दिया गया: कॉन्स्टेबल खुशबू कुमारी कौन है ? वह इतनी चर्चा में क्यों है ?
खुशबू चौहान भारतीय केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी के सीआरपीएफ में कॉन्स्टेबल के पद पर कार्यरत है।
27 सितंबर 2019 को ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट के ऑडिटोरियम में आयोजित डिबेट[1]में खुशबू कुमारी सीआरपीएफ के प्रतिनिधित्व करते हुए ऐसा भाषण दिए जिससे वह सोशल मीडिया कि चर्चा में आ चुकी है।[2]
इस डिबेट प्रतियोगिता का विषय था :- "मानव अधिकारों का अनुपालन करते हुए देश में आतंकवाद एवं उग्रवाद से प्रभावी तरीके से निपटा जा सकता है"।
कॉन्स्टेबल खुशबू कुमारी इसके विपक्ष में अपनी बातें प्रस्तुत की।
उनका कहना था,
- मानवाधिकारों के तले भारत की सेना दबी हुई है। सेना को कुछ कार्रवाई करने से पहले कई बार सोचना पड़ता है और दूसरी तरफ से आतंकी बिना सोचे अपना काम को अंजाम देते हैं। पत्थरबाज निडर होकर पत्थर फेंकते रहता है जवानों पर लेकिन गोली चलाने से पहले यह बात सोचना पड़ता है कि अगर गोली से किसी पत्थर बाज का मृत्यु हो गई तो नौकरी से भी हाथ धोना पड़ सकता है।
- आज तिरंगे का इस्तेमाल सेना के मृत और क्षत-विक्षत जवानों के शरीर को ढकने का काम आ रहा है।
- मानवाधिकार वाले आतंकियों के तरफ से बोलने के लिए सबसे आगे खड़े रहते हैं और वही सेना के जवानों की परिवारों के लिए बिंदु मात्र आंसू नहीं बहाते। उन छोटे बच्चों का, उन विधवाओं का, उन माता-पिताओं का क्या होता होगा यह सोचने वाला कोई नहीं है।
- सेना में भर्ती होने के लिए 1 इंच भी कम नहीं होना चाहिए लेकिन फिर शहीद होने के बाद उसी जवान का क्षत-विक्षत शरीर ही क्यों परिवारों को लौटाया जाता है।
- जिस देश में अजमल कसाब, याकूब मेमन जैसे आतंकियों के लिए देर रात तक अदालतों को खोला जाता हो वहां मानवाधिकारों का ख्याल रखते हुए उग्रवाद और आतंकवाद जैसी समस्याओं का निपटारा बहुत मुश्किल है।
"उस घर में घुस कर मारेंगे जिस घर से अफजल निकलेगा,
वह कोख नहीं पलने देंगे जिससे से अफजल निकलेगा।
उठो देश के वीर जवानों तुम सिंह बनकर दहाड़ दो,
और एक तिरंगा झंडा उस कन्हैया के सीने में गाड़ दो।"
…….
खुशबू जी की बातें राजनीतिक रूप से अनुचित हो सकते हैं,
लेकिन,
मैं उनके इस बात से सहमत हूं कि, कुछ मानवाधिकार वाले आतंकियों की तरफ से बोलने के मामले में सबसे आगे पाए जाते हैं। यह लोग सेना के शहीद जवानों की परिवारों के लिए बहुत कम ही बार बोला है और ना ही मदद के लिए आगे आए हैं।
धन्यवाद।
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