कल एक उत्तर में ऐसा बोला गया तो , और अक्सर यह बात करी जाती है ,जिसका उद्देश्य आम हिंदूओ को अपमानित करना होता है चलिये दोनो आरोप को देखते है
2 आरोप
● एक ब्रह्म और सरस्वती को लेकर
● दूसरा भारत मे पारिवारिक संस्कृति के स्रोत भगवान राम पर
ये कचड़ा आता कहा से है ?
● दूसरी वाली बात एक वामपंथी इतिहासकार D N झा की फैलाये हुई है , पहली वाली बात पर भी आता है जिसको सरस्वती पुराण का बताया जाता है
पहली वाली बात
● ये पुराण क्या है ? हिन्दू धर्म मे 2 तरह के ग्रंथ होते है , श्रुति जो कि ऋषियों द्वारा लिखे गए यही प्रमाणित ग्रंथ है , दूसरे स्मृति ग्रँथ जो जनता में लोकप्रिय रहे किसी एक व्यक्ति ने लिखा , स्मृति में काल्पनिक और मिथकीय कहानी होती थी ।
● पुराण काल्पनिक ग्रंथ है इनकी सत्यता के दावे कभी किसी ने नही किये
क्या सरस्वती पुराण में ब्रह्मा और सरस्वती का विवाह है ?
● 18 पुराण वेदव्यास ने लिखे थे, जो ये है
● क्या आप को इसमे कोई सरस्वती पुराण मिला ?
● ये कचड़ा फैलता है इंसानों के खुद की गंदगी से ,जिसको अश्लील साहित्य बोलते है ,लिखने वाले लोग इसको लिखते है उसी तरह के लोग उसको पढ़ते है और उसी तरह के लोग इसका जिक्र कर इसको सच बताते फिरते है ।
अब राम वाले प्रसंग पर आते है ?
● राम के बारे में जो भी अनाप शनाप बोला गया वो एक वामपंथी इतिहासकार
DN झा ने फैलाई ,अभी उनपर भी आएंगे की ये कैसे इतिहासकार है , और वही से पढ़कर बाकी वामपंथी बोलते है
● पहले भी मैंने लिखा ही है कि रामायण हजारो लिखी गयी है हर रामयण लिखने वाले उसको अपनी संस्कृति के अनुसार लिखा है ,जैसे जैन रामायण में राम अहिंसक है ,बौद्ध में राम उस दौर बौद्ध संस्कृति जैसे है , कोरिया की रामयण में राम उसी तरह का खानपान करते है ।
● अब वाल्मीकि रामायण में शराब पीने की बात पर आते है , क्या शराब शब्द उस दौर प्रयोग होता भी था ? नही मदिरा भी उसी अर्थ में प्रयोग होता था ,क्या उसका भी जिक्र है ? नही
● तीन शब्द मिलने है जिनको लेकर आज भी भ्रांति है कि किस तरह के पेय है
सोम ,सुरा और मधु
● सोमरस पीने का जिक्र मिलता है वेदों में लेकिन किसी को आजतक नही पता कि यह किस तरह का पेय है
● मधु का मतलब आधुनिक समय मे शहद होता है लेकिन शराब के लिए भी इसका प्रयोग होता है
● जिस शब्द के आधार पर राम मांसाहारी साबित करने के प्रयास होते है वो शब्द 2 से 3 बार वाल्मीकि रामायण में आये बाकी पूरी रामायण में फल ,फूल से मिलते शब्द प्रयोग हुए है , मम्स शब्द को माँस बोला जा रहा लेकिन ये कही से प्रमाणित नही होता की यह शब्द किस संदर्भ में प्रयोग हुआ है ।
● ऐसे में हर भाषा के शब्द कुछ सौ सालों में अपना मतलब खोकर कुछ और हो जाते है
● जैसे
गर्ल शब्द अंग्रेजी का है जिसको आप लड़की बोलते है लेकिन 600–700 साल पहले यह लड़के और लड़की दोनो के लिए प्रयोग होता था।
● शेक्सपियर के समय की अंग्रेजी आज आप नही समझ सकते हो ।
एक उदाहरण
Mass शब्द का मतलब द्रव्यमान होता है लेकिन हिंदी में इस मांस को क्या समझा जाएगा आप भी जानते हो
● यानी हम ये नही कह सकते कि शब्द किस काल मे किस अर्थ में प्रयोग हुए
● प्राचीन काल की संस्कृत आज की तरह नही लिखी जाती थी अनेक लिपि में इसको लिखा गया तो किस शब्द का वास्तविक मतलब क्या है कोई नही जानता है ।
D N झा फिर गंदगी क्यो फैला रहे है ?
● कारण साफ है अयोध्या मामले में ये मुस्लिम पक्षकारों की तरफ़ से अदालत में ये बोलने गए थे कि राम हुए ही नही ,उस समय कुछ इतिहासकारो ने एक किताब लिखी थी ,बिना अयोध्या गए कि राम हुए ही नही
हाईकोर्ट ने इन इतिहासकारो पर अपने जजमेंट में क्या लिखा वह है ।
ये झा साहब भी उसी गैंग में थे । अब आप समझ गए होंगे कि राम से इनकी क्या खुन्नस है ।
दो मुह वाले लोग है ये
● एक तरफ ये राम को काल्पनिक बोलते है दूसरी तरफ ये राम को मांस और शराब पीने वाला बताने पर उतर आते है ,अब अगर कोई काल्पनिक है तो भला वह यह सब कैसे कर सकता है
● कुछ लोगो ने कहा कि रामायण 400–500 BC में लिखी गयी, तो मामला ऐसा है कि फिर तो बौद्ध धर्म के बाद रामायण लिखी मानी जायेगी ,लेकिन आप को मालूम भी है कि बौद्ध धर्म गौतम बुद्ध को राम के वंश का बताता है साथ ही जैन भी अपने तीर्थंकर को राम के वंश का बताते है । और जैन धर्म तो बहुत ही पुराना है।
दरअसल वामपंथी इतिहासकार तो यही बताते है कि जैन, और बौद्ध धर्म तो हिन्दू धर्म से बगावत कर के पैदा हुए थे ,लेकिन वो नही बताते की दोनो का राम से क्या रिश्ता है ,क्योंकि उन्हें तो जहर बोना होता है । अगर राम से दोनो धर्म का नाता बता दिया तो राम को काल्पनिक सिद्ध करना असम्भव हो जाएगा ।
● साथ ही अगर आप राम को मांस खाने वाला भी साबित करना चाहते हो तो पहले जैन और बौद्ध परंपरा को भी गलत सबित करना होगा क्योंकि दोनो अहिंसा पर जोर देती है ऐसे में दोनो में सम्मानित राम हिंसक कैसे हो सकते है ?
और ये संभव नही है
दरअसल वामपंथी लोगो की आदत ही है बिना जानकारी के कुछ भी बोलना , उनके बारे में क्या बोलू हाईकोर्ट ने ही बोल दियाहै ।
अगर राम ने कुछ गलत भी किया तो क्या ?
● इससे कोई फर्क नही पड़ता आज और भविष्य में हम अपने समाज परिवार में जो भी बदलाव करेगे वो राम के नाम पर ही करेगे क्योंकि
राम बड़े नही राम का नाम बड़ा है
जो प्रतीक है समाज सुधार और पारिवारिक एकता का जो प्रतीक है पति पत्नी के रिश्तों का जो प्रतीक है भाई भाई के प्रेम का जो प्रतीक है मित्रता के वादे निभाने का
और राम प्रतीक है हमारे भरोसे का ।
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