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निर्भया के दोस्त का वो 'गंदा सच' क्या है जिसे हर किसी को जानना चाहिए?

16 दिसंबर 2012, ऐसी काली रात जब एक लड़की के साथ हुई हैवानियत ने इंसानियत को शर्मसार किया। इस खबर ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। जी हां, ये वही दिन था जब दिल्ली की एक चलती बस में पांच बालिग और एक नाबालिग लड़के ने बस में सफर कर रही एक लड़की की इज्जत को न सिर्फ तार-तार किया बल्कि बलात्कार के बाद उसकी ऐसी हालत कर दी जिसके कारण वो लड़की काफी लंबे समय तक जिंदगी और मौत की जंग लड़ती रही और आखिर में हार कर उसने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। जी हां, हम बात कर रहे हैं 'निर्भया रेप केस' (Nirbhaya Rape  ) की।
इस केस का चश्मदीद रहा अवनींद्र पांडे (Avanindra Pandey), वही लड़का है जो उस रात निर्भया के साथ उस बस में मौजूद था। वो दोनों साउथ दिल्ली के एक मॉल से फिल्म देखकर वापस घर लौट रहे थे जब ये घटना हुई। केस के बाद अवनींद्र ने सभी टीवी चैनल्स को उस काली रात की दर्दनाक सच्चाई बताई जिसने हर किसी के दिल को झकझोर दिया। इस घटना से पूरा देश आक्रोश में आ गया और सड़कों पर लोगों का ये गुस्सा साफ देखने को मिला। करीबन एक साल तक चले केस के बाद आखिरकार निर्भया को इंसाफ मिला और सितंबर 2013 में आरोपियों को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई।
'निर्भया रेप केस' के करीबन 7 साल बाद एक वरिष्ठ टीवी पत्रकार अजीत अंजुम (Ajit Anjum) ने उस घटना से जुड़ा एक और सच सामने रखा है जो अब तक छिपा हुआ था। घटना के वक्त जिस अवनींद्र से सभी को सहानुभूति थी और हर कोई जिसका दर्द महसूस करने की कोशिश कर रहा था, उसी अवनींद्र को लेकर अब एक ऐसा खुलासा हुआ है जिसने ना सिर्फ एक बार फिर से इंसानियत को शर्मसार कर दिया है बल्कि निर्भया रेप केस के दर्द को एक बार फिर से कुरेद दिया है। अजीत अंजुम ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक के बाद एक ट्वीट करके ऐसे खुलासे किए जिसने सभी को विचलित कर दिया। अजीत अंजुम के ट्वीट के मुताबिक निर्भया का जो दोस्त उस घटना का गवाह था और सभी टीवी चैनलों पर जा-जाकर उस जघन्य कांड की कहानी सुना रहा था, उसका ऐसे करने के पीछे एक मकसद था।
अजीत अंजुम ने लिखा कि वो भी 'निर्भया रेप केस' का सच अवनींद्र की जुबानी अपने चैनल पर दिखाना चाहते थे। उन्होंने अपने एक रिपोर्टर को अवनींद्र को स्टूडियो लाने की जिम्मेदारी दी लेकिन तभी उन्हें पता चला कि अवनींद्र अपने चाचा के साथ ही किसी भी स्टूडियो में जाता था और इसके बदले वो हजारों रुपये लेता था। पहले तो उन्हें इस बात पर यकीन नहीं हुआ कि कैसे कोई लड़का अपनी गर्लफ्रेंड के साथ हुई उस हैवानियत को अपनी कमाई का एक जरिया बना सकता है? कैसे एक दोस्त अपनी गर्लफ्रेंड की जिंदगी के सबसे बड़े दर्द को एक डील बना सकता है? मन में बहुत से सवाल थे और गुस्सा भी। आखिरकार अजीत अंजुम ने अवनींद्र का असली चेहरा दुनिया के सामने लाने का फैसला लिया।
इसके लिए उन्होंने एक स्टिंग ऑपरेशन किया। सबसे पहले अजीत के रिपोर्टर ने उनके सामने बैठकर अवनींद्र के चाचा से फोन पर बात की। अवनींद्र के चाचा ने अवनींद्र के स्टूडियो आने की कीमत 1 लाख रुपये लगाई। कम करते हुए आखिरकार बात 70 हजार पर तय हुई। पहले अजीत को लगा के भतीजे के नाम पर उसका चाचा शायद पैसे ले रहा हो इसलिए अजीत ने अवनींद्र के सामने चाचा को पैसे देने का फैसला लिया।
अजीत का शक गलत साबित हुआ और स्टूडियो में अवनींद्र के सामने उसके चाचा को 70 हजार रुपये दिए गए। वहां लगे एक खुफिया कैमरे में सब रिकॉर्ड हुआ। फिर अवनींद्र को स्टूडियो ले जाया गया। ये शो पहले रिकॉर्ड किया जाना था। 10 मिनट की बातचीत के बाद रिकॉर्डिंग के दौरान ही अवनींद्र से पूछा गया कि वो निर्भया की इस दर्दनाक दास्तान को सुनाने के लिए टीवी चैनलों से पैसे क्यों लेते हैं? लेकिन अवनींद्र ने इससे साफ इंकार कर दिया। शो के रिकॉर्डिंग के दौरान ही अवनींद्र को ऑन-स्क्रीन उस पर हुए स्टिंग ऑपरेशन की क्लिप दिखाई गई जिसे देखकर उसके होश उड़ गए।
शायद अपनी सच्चाई दुनिया के सामने उजागर होने का डर ही था कि उसने कैमरे के सामने इस बात के लिए माफी मांगी। स्टूडियो से निकलते ही अजीत ने उसे बहुत जलील किया। इस दौरान न्यूजरूम के बाकी लोग भी वहां इकट्ठे हो गए। हर कोई हैरान था कि कैसे एक लड़का इस हद तक गिर सकता है। जो निर्भया लंबे समय तक असहनीय तकलीफ झेलकर इस दुनिया से चली गई कैसे उसका ही दोस्त उसकी उस तकलीफ को टीवी चैनलों में बेच सकता है? हर कोई चाहता था कि ये शो ऑनएयर हो लेकिन केस पर इसका असर ना पड़े इसलिए अजीत ने टीआरपी की परवाह न करते हुए इस स्टोरी को न चलाने का फैसला लिया। जहां हर कोई अवनींद्र की जुबानी निर्भया की कहानी सुनाकर टीआरपी बटोर रहा था वहीं दूसरी तरफ शायद ये स्टोरी इन सभी टीआरपी के रिकॉर्ड को तोड़ कर इस रेस में जीत जाती लेकिन शायद उस दिन निर्भया हार जाती और ये अजीत के साथ-साथ पूरे देश को बिल्कुल मंजूर नहीं था।
अजीत के इस खुलासे ने इंसानियत और रिश्तों पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या सिर्फ जुर्म को अंजाम देने वाला ही मुजरिम होता है? ऐसे लोगों का क्या जो रिश्तों की आड़ में रिश्तों को ही बेच देते हैं? ऐसे लोगों का क्या जो पैसों के लिए अपनों की तकलीफ की खुलेआम कीमत लगाते हैं? ऐसे लोगों का क्या जो पीड़ित बनकर अपने प्यार और अपनी दोस्ती के दर्द को कमाई का एक जरिया बना लेते हैं और उस पर लगाई गई कीमत पर मोल-भाव करते हैं? इसमें कोई शक नहीं कि बलात्कार के आरोपी पीड़िता निर्भया की तकलीफ और मौत के लिए जिम्मेदार थे लेकिन ये कहना भी गलत नहीं होगा कि अगर निर्भया आज जिंदा होती तो इस सच को सुनने के बाद शायद जीते-जी मर जाती।

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