शिवपुरी. द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश सिद्धी मिश्रा ने मंगलवार को एक फैसलें में फर्जी रजिस्ट्री कराने वाले शिक्षक सहित चार लोगों को छह-छह साल के सश्रम कारावास एवं 15-15 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है। अर्थदंड न देने पर अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
अभियोजन के अनुसार बलराम सिंह यादव व मुकेश सोनी निवासीगण तानसेन नगर ग्वालियर ने शिवपुरी के ग्राम बायंगा निवासी शासकीय शिक्षक जयपाल यादव पुत्र राजधर यादव व अनिल सगर पुत्र गणपत लाल निवासी घनश्याम का पुरा गोहद जिला भिंड के माध्यम से अटलपुर निवासी लटूरी बाई पत्नी बारेलाल जाटव के आधिपत्य की ग्राम अटलपुर में स्थित भूमि सर्वे नंबर 1436 रकवा 0.89 हेक्टेयर क्रय की थी। इसभूमि का विक्रय पत्र 13 लाख 35 हजार रूपए में 30 जनवरी 2012 को संपादित कराया गया। विक्रय पत्र संपादित होने के साथ ही मौके पर मुड्ढी गाढ़ कर आधिपत्य भी क्रेताओं को सौंप दिया गया। विक्रय पत्र के करीब आठ दिन बाद जब के्रेता जमीन पर पहुंचे तो वहां मुड्ढियां नहीं थीं। इस पर जब क्रेताओं ने पतारसी की तो पता चला कि जिस महिला लटूरी पत्नी बारेलाल जाटव के नाम से रजिस्ट्री कराने के लिए कोलारस सब रजिस्ट्रार कार्यालय में लाया गया था वह महिला लटूरी जाटव न होकर कोई अन्य महिला थी। मामले की शिकायत पुलिस को दर्ज कराई तो पता चला कि इस पूरी धोखाधड़ी में जयपाल यादव व अनिल सगर के अलावा तूफान सिंह पुत्र भभूत सिंह खंगार निवासी ऊमरी बदरवास व मुन्नी पत्नी हरचरण बेडिय़ा निवासी आरौन भी शामिल हैं। पुलिस ने चारों के खिलाफ धोखाधड़ी सहित कूटरचित दस्तावेज तैयार कराने का मामला दर्ज कर विवेचना उपरांत न्यायालय में पेश किया।
चाचा बनकर जमीन बेचने वाले भतीजे को सजा
द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश सिद्धी मिश्रा ने सोमवार की देर शाम चाचा बनकर जमीन विक्रय करने वाले भतीजे को तीन साल के कारावास एवं अर्थदंड से दंडित किया है। अर्थदंड न देने पर अतिरिक्त करावास भुगतना होगा। अभियोजन के अनुसार सुभाष कॉलोनी निवासी मनोज गुप्ता ने पुलिस को शिकायत दर्ज कराई कि उसने बद्री पुत्र छत्तू किरार निवासी कलोथरा से उसके स्वामित्व की भूमि में से कुछ भूमि 10.50 लाख रूपए में 1 फरवरी 2012 को क्रय की थी। मनोज को बाद में पता लगा कि जिस व्यक्ति ने उसे बद्री किरार बनकर भूमि विक्रय का अनुबंध कराया है, वह ब्रदी किरार नहीं बल्कि उसका भतीजा गिर्राज पुत्र वंशी किरार था। मामले की शिकायत पुलिस को दर्ज कराई गई कि जिसमें ब्रदी किरार, गिर्राज किरार के अलावा पटवारी राजेंद्र माथुर व मध्यस्थ महावीर शर्मा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई। शिकायत की जांच के दौरान गिर्राज किरार पुत्र वंशी किरार को आरोपी मानते हुए उसके खिलाफ धोखाधड़ी सहित कूट रचित दस्तावेज का मामला दर्ज किया गया था।
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