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आज डेयरी का मालिक है इंदर रावत "खुशियों की दास्तां"


 
 
    यदि इंसान मेहनत व लगन से कोई काम करता है, तो उसे सफलता जरूर मिलती है, इसी का उदाहरण है, श्री इंदर रावत। उन्होंने अपनी सूझबूझ व मेहनत से अपनी आमदनी बढ़ाने के साथ ही आज स्वयं की डेयरी के मालिक है।
    शिवपुरी के ग्राम रायचंदखेड़ी निवासी श्री इंदर रावत खेती करते थे। खेती के साथ ही पशुपालन भी करते थे। उनके पास तीन देशी भेंसे थी। जिनसे इंदर को लगभग 15 लीटर तक दूध मिल जाता था। जिसमें से घरेलू उपयोग के बाद बचे दूध को बेचकर उन्हें लगभग 12 हजार रूपए प्रतिमाह की आमदनी होती थी। इंदर खेती-किसानी के साथ ही दूध बेचकर अपने परिवार की आजीविका चला रहे थे। लेकिन एक दिन जब उन्हें डेयरी उद्योग की जानकारी मिली, तो इंदर ने भी अपनी डेयरी खोलने के बारे में सोचा।
    प्रारंभ में इंदर के पास एक विचार था, कि वह डेयरी स्थापित करें। परन्तु इस विचार को सार्थक बनाने के लिए पूंजी की भी आवश्यकता थी। उसने एक दिन पशु चिकित्सालय में संपर्क किया। जहां से आचार्य विद्यासागर गौसंवर्धन योजना की जानकारी मिली और उसने पशु चिकित्सालय में डॉ.एन.के.गुप्ता से संपर्क किया और योजना के तहत आवेदन एवं अन्य प्रक्रियाओं के संबंध में जानकारी ली। इंदर का कहना है कि पशु चिकित्सालय से उन्नत तकनीकी की जानकारी मिली और डेयरी स्थापित करने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया।
    इंदर आज एक सफल डेयरी का संचालन कर रहे है। वे बताते है कि डेयरी इकाई स्थापित करने के लिए आवेदन दिया और कुछ समय बाद बैंक ऑफ बड़ौदा से ऋण के रूप में जो राशि मिली, उससे 5 दुधारू मुर्रा भैंस खरीदी। यह प्रतिदिन लगभग 48 लीटर दूध देती है। दूध बेचकर लगभग 50 से 60 हजार रूपए प्रति महीने की आमदनी हो जाती है। जिसमें से खर्चा आदि निकालने के बाद परिवार के भरण पोषण भी अच्छी तरह हो रहा है। इसके लिए उसने सरकार का भी आभार व्यक्त किया है कि विभिन्न योजनाओं से बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिल रहा है।
(0 days ago)

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