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गेहूं की खरीदी करने 1 फरवरी से होगा किसानों का रजिस्ट्रेशन


भोपाल। प्रदेश में गेहूं खरीदी का रजिस्ट्रेशन एक फरवरी से शुरू किया जाएगा। खाद्य विभाग ने किसानों की समस्याओं के निराकरण के लिए टोल फ्री नम्बर 181 जारी करेगा। किसानों के रिकार्ड के सत्यापन की ऑफ लाइन व्यवस्था इस वर्ष नहीं होगी, खुद किसानों को अपने रिकार्ड का सत्यापन राजस्व विभाग के ई-गिरदावरी से ऑन लाइन करना पड़ेगा। इसके चलते उन्हें अपने रिकार्ड की पुष्ठि ई-गिरदावरी से रजिस्ट्रेशन के पहले करना होगा। अगर रिकार्ड में किसी तरह की भिन्नता आ रही है तो किसानों को राजस्व विभाग के अधिकारियों से उसे ठीक कराना पड़ेगा।
वहीं जिन किसानों का पूर्व में पंजीयन किया गया था, उन्हें पंजीयन नहीं कराना पड़ेगा, उन किसानों को अपना पंजीयन खुद अपडेट करना पड़ेगा।
गेहूं की खरीदी के लिए समर्थन मूल्य 1925 रूपए प्रति क्विंटल रखा गया है। इसमें अभी तक राज्य सरकार से बोनस की घोषणा नहीं की गई है। खाद्य विभाग ने संयुक्त खातेदार कृषक को अनुपातित रकबे के अनुसार अलग से पंजीयन कराने की सुविधा इस वर्ष उपलब्ध करा दी है। जो किसान कम्प्यूटर नहीं जानते हैं वो अपना रजिस्ट्रेशन खरीदी केन्द्रों पर करा सकेंगे। जबकि ऑन लाइन पंजीयन के लिए एमपी किसान एप, ई-उपार्जन मोबाइल एप और ई-उपार्जन पोर्टल पर सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। पंजीयन सुविधा के लिए किसानों को सरल वीडियो भी विभाग ने अपने पोर्टल पर जारी किया है। किसानों को उनके रजिस्टर्ड मोबाइल पर पंजीयन कराने, गेहूं खरीदी सहित अन्य जानकारी एसएमएस के माध्यम से दी जाएगी।

शिकायत वाली समितियां नहीं कर पाएंगी पंजीयन
विगत खरीद विपणन वर्ष (2017-18 व 2018-19) एवं दो रबी विपणन वर्ष में अगर समितियों में किसी तरह की शिकायतें अथवा कमियां पाई गई हैं तो उन्हें पंजीयन और खरीदी का काम नहीं दिया जाएगा। इसके साथ ही अगर उन्होंने खरीदी करने के बाद किसानों को देरी से भुगतान किया है तो उन्हें भी पंजीयन का अधिकार नहीं दिया जाएगा। पूर्व वर्ष में खरीदी के दौरान जांच में अगर किसी समिति में संसाधन से जुड़ी कमियां पाई गई थी, उन्हें भी उन्हें भी पंजीयन और खरीदी का काम नहीं दिया जाएगा।

शिकायत वाली समितियां नहीं कर पाएंगी पंजीयन
विगत खरीद विपणन वर्ष (2017-18 व 2018-19) एवं दो रबी विपणन वर्ष में अगर समितियों में किसी तरह की शिकायतें अथवा कमियां पाई गई हैं तो उन्हें पंजीयन और खरीदी का काम नहीं दिया जाएगा। इसके साथ ही अगर उन्होंने खरीदी करने के बाद किसानों को देरी से भुगतान किया है तो उन्हें भी पंजीयन का अधिकार नहीं दिया जाएगा। पूर्व वर्ष में खरीदी के दौरान जांच में अगर किसी समिति में संसाधन से जुड़ी कमियां पाई गई थी, उन्हें भी उन्हें भी पंजीयन और खरीदी का काम नहीं दिया जाएगा।

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