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अपराध पीडि़त महिला की मौत होती है तो परिजनों को 30 मिनट में दी जाए सूचना


भोपाल. महिला अपराधों की गंभीरता को देखते हुए पुलिस मुख्यालय ने नए निर्देश जारी किए हैं। निर्देशों में सभी पुलिस अधीक्षकों को कहा गया है कि महिला अपराध के मामले में यदि पीडि़त की आकस्मिक मौत होती है अथवा किसी अस्पताल में इलाज किया जा रहा है तो इसकी सूचना 30 मिनट में संबंधित के परिजनों को दी जाए।
पीएचक्यू को भेजी जा रही डीएसआर में प्राय: यह देखने में आया है कि पीडि़त पक्ष के परिजनों को लंबे समय बाद सूचना दी जाती है और जीरो पर कायमी वाले प्रकरणों में 8 से 20 दिन बाद तक भी पीडि़त पक्ष के थानों को केस डायरी नहीं भेजी जाती है। ऐसे में पीडि़ता को न सिर्फ न्याय मिलने में देरी होती हैं, बल्कि प्रकरण की गंभीरता भी खत्म हो जाती है। पीएचक्यू ने यह तक कहा कि इतनी देरी से केस डायरी भेजने से प्रकरण से जुड़े साक्ष्य तक खुर्द-बुर्द हो जाते हैं। इसलिए पुलिस रेगुलेशन के अनुसार 30 मिनट के भीतर आवश्यक वैधानिक कार्रवाई कर रोजनामजा में सूचना दर्ज की जाए। केस से जुड़ा प्रतिवेदन और केस डायरी संबंधित थाने को भी जल्द भेजें।
मिट जाते हैं सबूत
पुलिस मुख्यालय ने आशंका जाहिर की है कि महिला अपराधों के मामले में राज्य, संभागीय, जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में पुलिस थानों से संबंधित प्रकरणों में इलाज के लिए अथवा इलाज के दौरान आकस्मिक मृत्यु के मामले में केस डायरी भेजने में ढील बरती जा रही है, जिसके चलते कई महत्वपूर्ण साक्ष्य विलुप्त हो जाते हैं। इसलिए अब हर थाना क्षेत्र जहां, पर महिला अपराधों से जुड़ी हुई जीरो पर दर्ज की गई कायमी की केस डायरी व प्रतिवेदन उससे संबंधित थाने को अधिकतम 30 मिनट के भीतर जानकारी भेजना होगी।
अंतरराज्यीय प्रकरण में 24 घंटे में दें सूचना
यदि कोई प्रकरण अंतरराज्यीय या अंतर जिले का है तो पुलिस अधीक्षक से वैधानिक कार्रवाई पूरी करवाकर 24 घंटे के भीतर यह प्रतिवेदन भेजना होगा। इसकी जवाबदेही एसपी के रीडर की तय की गई है। कई प्रकरण अन्य राज्यों जैसे झांसी व नागपुर नजदीकी मेडिकल कॉलेजों में भी भेजे जाते हैं। ऐसे में वहां के आईजी, संबंधित बाहरी राज्यों के आईजी से समन्वय स्थापित करके सूचना भेजी जाए। इसके लिए जिला कंट्रोल रुम को नोडल संपर्क पाइंट बनाकर सूचना का आदान-प्रदान करने के निर्देश दिए हैं।

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