प्रसाद ने कहा, "यह कानून संसद द्वारा पारित है. नागरिकता देना या लेना संविधान की सातवीं अनुसूची का विषय है, जिसपर संसद को ही कानून बनाने का अधिकार है. संसद पूरे भारत या भारत के लिए किसी क्षेत्र विशेष के लिए कानून बना सकती है. संसद नागरिकता संबंधी किसी विषय पर कानून बना सकती है."धान की भावनाओं के खिलाफ है.
इस राज्य के मुख्यमंत्री ने नागरिकता कानून के खिलाफ पेश किया प्रस्ताव
कानून मंत्री ने कहा, "संविधान का अनुच्छेद 256 कहता है कि राज्य की शासकीय शक्ति इस तरह उपयोग में लाई जाएगी कि संसद द्वारा पारित कानून को लागू किया जा सके."
कानून मंत्री ने यह भी कहा कि "केंद्र के कानून को लागू करना राज्य सरकारों का संवैधानिक दायित्व है. जो राज्य सरकारें इस तरह के प्रस्ताव पारित कर रही हैं, या पारित करने की बात कर रही हैं कि वे संसद द्वारा पारित सीएए को लागू नहीं करेंगी, वे राज्य सरकारें उचित कानूनी राय लें."