इस दुनिया में अनगिनत युद्ध देखे हैं। बहुत सारे युद्ध ऐसे भी हैं जो इतिहास में दर्ज ही नहीं किए गए। इतिहासकारों ने युद्ध को कई श्रेणियों में विभाजित किया। राजा और सेनाओं के आधार पर युद्ध का वर्गीकरण किया गया। हमें आपको दुनिया का कोई विशाल या महान युद्ध नहीं बल्कि एक ऐसे युद्ध के बारे में बताने जा रहे हैं जो सबसे मूर्खतापूर्ण था। जिसमें एक ही देश के सैनिकों ने एक दूसरे पर हमला कर दिया। गलतफहमी और अफवाह का दौर ऐसा चला कि 1 दिन में 10000 सैनिक मारे गए जबकि युद्ध मैदान में दुश्मन था ही नहीं।1788 ईस्वी में यूरोप में ऑस्ट्रिया और तुर्की के बीच दानुबे नदी के नियंत्रण को लेकर युद्ध चल रहा था। 17 सितंबर को कुछ ऑस्ट्रियाई घुड़सवार सैनिकों को नदी किनारे बंजारों का एक शिविर दिखाई दिया। बंजारों ने जब उन्हें शराब का न्योता दिया तो ये घुड़सवार सैनिक खुशी-खुशी पीने बैठ गये। थोड़ी देर में कुछ ऑस्ट्रियाई पैदल सैनिक भी वहां पहुंच गये और घुड़सवारों को पीते देख उन्होंने भी थोड़ी मदिरा मांगी। घुड़सवारों ने मना कर दिया और ये एक ही देश के ये दोनों सैनिक गुट मदिरा के लिए आपस में भिड़ गये।
अचानक उनमें से किसी ने गलती से गोली चला दी। नदी किनारे आराम कर रहे सैनिकों ने गोली की आवाज सुनी तो उन्हें लगा कि तुर्कों ने आक्रमण कर दिया है। अतः उन्होंने अपनी बंदूकें उठायीं और नदी की ओर गोलियां दागने लगे। उनके जर्मन अधिकारी ने जब इस पागलपन को रोकने के लिए 'हाल्ट' का आदेश दिया तो उच्चारण के अंतर और अचानक हुए आक्रमण के भय में उन्हें लगा कि सेना के बीच कोई 'अल्लाह' चिल्ला रहा है। सेना के बीच तुर्कों के होने की संभावना से माहौल बहुत ज्यादा ही बिगड़ गया और ऑस्ट्रियाई सैनिक अपनी जान बचाने के लिए जो दिखा उसे ही मारने लगे। एक ऑस्ट्रियाई नायक ने तो अपने ही लोगों पर तोप चलवा दी। इस तरह अपनी छाया से लड़ते हुए उस 1 दिन में 10,000 ऑस्ट्रियाई सैनिक मृत्यु को पर्याप्त हुए।
इसे दुनिया का सबसे मूर्खतापूर्ण युद्ध माना गया है।
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