एंटी करप्शन न्यूज़
शिवपुरी. स्कूल बसों में जाने वाले बच्चों को यह पता नहीं होता कि वे सुरक्षित घर से स्कूल या स्कूल से घर वापस जा सकेंगे। इसकी वजह यह है कि जिन बसों में वे सफर कर रहे हैं, उनकी स्थिति बेहद खराब है। बीते 6 फरवरी को मजिस्ट्रेट चेकिंग के दौरान कंडम व ऑफ रोड बसें जो स्कूलों में चल रही हैं, वे उन चौराहों से निकली ही नहीं, जहां चेकिंग करने वाले खड़े थे। यही वजह है कि चेकिंग के बाद भी हालात नहीं सुधर सके।
सोमवार की सुबह शहर के वीर सावरकर पार्क के सामने से एक स्कूल बस गुजर रही थी तभी एकाएक उसके नीचे से कुछ अजीब सी आवाजें आने लगीं और कुछ दूर चलने के बाद वह बंद हो गई। बस में सवार बच्चों को यह चिंता सता रही थी कि अब स्कूल समय पर कैसे पहुंच पाएंगे?। कुछ देर बाद वहां से उसी स्कूल की दूसरी बस निकली तो खराब हुई बस के स्टाफ ने बच्चों को दूसरी बस में शिफ्ट कर दिया। चूंकि उस बस में पहले से ही बच्चे बैठे हुए थे, फिर यह खराब हुई बस के बच्चे भी जब उसमें सवार हुए तो वह बस ओवरलोड हो गई। यह तो महज उदाहरण है, जबकि हर दिन पुरानी खटारा स्कूल बसें कहीं न कहीं खराब होकर खड़ी हो जाती हैं। बीच सड़क पर बस में खराबी आ जाने से वह बीच में ही खड़ी रहती है, जिसके चलते आवागमन भी बाधित होता है। यह हालात तब हैं, जबकि 6 फरवरी को ही स्कूल वाहनों की सघन चेकिंग की गई। हालांकि इस चेकिंग में वाहनों के दस्तावेज के अलावा उसमें जरूरी सामग्री को देखा गया।
क्यों बन रहे ऐसे हालात?
प्राइवेट स्कूलों में जो बसें चल रही हैं, उनमें से अधिकांश बसें या तो दूसरे शहरों से ऑफ रोड हो चुकी हैं या फिर लंबी दूरी तय कर चुकीं यात्री बसों को ही पीला कर उन्हें स्कूलों में दौड़ाया जा रहा है, जबकि इन बसों की बॉडी व इंजन सभी कुछ निपट चुके हैं, इसलिए आए दिन यह वाहन कहीं भी खड़े हो जाते हैं। खटारा हो चुकी इन स्कूल बसों में सवार बच्चों की जान को भी खतरा बना रहता है। पिछले दिनों में स्कूल वाहनों से जो हादसे हुए, उनमें कंडम वाहन एक बड़ा कारण है।
शिवपुरी. स्कूल बसों में जाने वाले बच्चों को यह पता नहीं होता कि वे सुरक्षित घर से स्कूल या स्कूल से घर वापस जा सकेंगे। इसकी वजह यह है कि जिन बसों में वे सफर कर रहे हैं, उनकी स्थिति बेहद खराब है। बीते 6 फरवरी को मजिस्ट्रेट चेकिंग के दौरान कंडम व ऑफ रोड बसें जो स्कूलों में चल रही हैं, वे उन चौराहों से निकली ही नहीं, जहां चेकिंग करने वाले खड़े थे। यही वजह है कि चेकिंग के बाद भी हालात नहीं सुधर सके।
सोमवार की सुबह शहर के वीर सावरकर पार्क के सामने से एक स्कूल बस गुजर रही थी तभी एकाएक उसके नीचे से कुछ अजीब सी आवाजें आने लगीं और कुछ दूर चलने के बाद वह बंद हो गई। बस में सवार बच्चों को यह चिंता सता रही थी कि अब स्कूल समय पर कैसे पहुंच पाएंगे?। कुछ देर बाद वहां से उसी स्कूल की दूसरी बस निकली तो खराब हुई बस के स्टाफ ने बच्चों को दूसरी बस में शिफ्ट कर दिया। चूंकि उस बस में पहले से ही बच्चे बैठे हुए थे, फिर यह खराब हुई बस के बच्चे भी जब उसमें सवार हुए तो वह बस ओवरलोड हो गई। यह तो महज उदाहरण है, जबकि हर दिन पुरानी खटारा स्कूल बसें कहीं न कहीं खराब होकर खड़ी हो जाती हैं। बीच सड़क पर बस में खराबी आ जाने से वह बीच में ही खड़ी रहती है, जिसके चलते आवागमन भी बाधित होता है। यह हालात तब हैं, जबकि 6 फरवरी को ही स्कूल वाहनों की सघन चेकिंग की गई। हालांकि इस चेकिंग में वाहनों के दस्तावेज के अलावा उसमें जरूरी सामग्री को देखा गया।
क्यों बन रहे ऐसे हालात?
प्राइवेट स्कूलों में जो बसें चल रही हैं, उनमें से अधिकांश बसें या तो दूसरे शहरों से ऑफ रोड हो चुकी हैं या फिर लंबी दूरी तय कर चुकीं यात्री बसों को ही पीला कर उन्हें स्कूलों में दौड़ाया जा रहा है, जबकि इन बसों की बॉडी व इंजन सभी कुछ निपट चुके हैं, इसलिए आए दिन यह वाहन कहीं भी खड़े हो जाते हैं। खटारा हो चुकी इन स्कूल बसों में सवार बच्चों की जान को भी खतरा बना रहता है। पिछले दिनों में स्कूल वाहनों से जो हादसे हुए, उनमें कंडम वाहन एक बड़ा कारण है।
यह बोलीं आरटीओ
पुरानी हो चुकीं स्कूल बसों का फिजीकल व मैकेनिकल फिटनेस की जांच के लिए जल्दी ही हम कैंप लगाएंगे, जिसमें हम ऐसी स्कूल बसों की जांच करवाएंगे। ऑफ रोड व अधिक पुरानी बसें स्कूलों में न चलें, इसके लिए हम यह जांच कैंप लगाएंगे ताकि बच्चे सुरक्षित इन बसों में सफर कर सकें।
पुरानी हो चुकीं स्कूल बसों का फिजीकल व मैकेनिकल फिटनेस की जांच के लिए जल्दी ही हम कैंप लगाएंगे, जिसमें हम ऐसी स्कूल बसों की जांच करवाएंगे। ऑफ रोड व अधिक पुरानी बसें स्कूलों में न चलें, इसके लिए हम यह जांच कैंप लगाएंगे ताकि बच्चे सुरक्षित इन बसों में सफर कर सकें।
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