भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी भले ही दावा कर रहे हो कि उनकी सक्रियता के कारण भारतीय जनता पार्टी का ऑपरेशन लोटस फेल हो गया लेकिन दिल्ली से वापस आए विधायकों के बयान बता रहे हैं कि ऑपरेशन लोटस फेल नहीं हुआ है। यह भी स्पष्ट हो गया है कि ऑपरेशन लोटस कमलनाथ सरकार को गिराने के लिए नहीं बल्कि मध्यप्रदेश में राज्यसभा की दूसरी सीट को हथियाने के लिए है। यह दूसरी सीट दिग्विजय सिंह के लिए हो सकती है या फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए। यानी जो खतरा है वह इन दोनों नेताओं को ही है। कमलनाथ की कुर्सी को कोई खतरा नहीं है।
फटाफट पढ़िए दिल्ली से लौटे विधायकों के बयान
खतरा कमलनाथ को नहीं बल्कि दिग्विजय सिंह को है
सभी विधायकों के बयान और आरोप-प्रत्यारोप के बाद स्थिति लगभग स्पष्ट हो गई है। जो कुछ भी घटनाक्रम हुआ वह मध्यप्रदेश में कमलनाथ की सरकार को गिराने के लिए नहीं था बल्कि भारतीय जनता पार्टी की एक सीट के लिए था। मध्यप्रदेश में राज्यसभा की 3 सीट रिक्त हो रही है। इनमें से एक सीट कांग्रेस के पास और एक सीट भाजपा के पास स्पष्ट रूप से रहेगी। तीसरी सीट को लेकर संघर्ष है। विधायकों को वोटिंग करनी है। मध्य प्रदेश के राजनीतिक हालात ऐसे हैं कि यदि कोई भी विधायक राज्यसभा के चुनाव में क्रॉस वोटिंग कर दे तो उसको कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकेगा। भाजपा हाईकमान के लिए राज्यसभा बहुत महत्वपूर्ण है। राज्यसभा में भाजपा स्पष्ट रूप से अल्पमत में आती नजर आ रही है। उसके लिए एक-एक सीट महत्व रखती है। ऑपरेशन लोटस इसी एक सीट पर वोट जुटाने की कवायद थी और दिल्ली से लौट कर आए विधायकों के बयान के बाद स्पष्ट हो गया है कि ऑपरेशन लोटस फेल नहीं हुआ है। दिग्विजय सिंह की राज्य सभा सीट को खतरा अभी भी है।
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