गुना. कोरोना संक्रमण से बचने इस समय आमजन घरों में कैद है। उन्हें हर जरुरत का सामान घर पर ही उपलब्ध कराने के लिए पुलिस व प्रशासन सहित समाज सेवी कोरोना फाइटर दिन रात लगे हुए हैं। संकट की इस घड़ी में सबसे कठिन चुनौती का सामना स्वास्थ्य संस्थाओं में तैनात अधिकारी-कर्मचारियों को करना पड़ रहा है। ऐसे कई अधिकारी-कर्मचारी हैं जो कार्यस्थल पर सुरक्षा अभाव व पारिवारिक विपरीत परिस्थितियां होने के बावजूद अपना कर्तव्य बिना डरे नियमित रूप से निभा रहे हंंै। ऐसा ही एक उदाहरण सामने आया है जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में। यहां तैनात महिला गार्ड सीमा सेन पर एसएनसीयू में भर्ती आधा सैकड़ा से अधिक नवजात बच्चों को संक्रमण से सुरक्षित रखने की अहम जिम्मेदारी है। जिसे वह बीते 12 साल से बखूबी रूप निभा रही है। लेकिन सीमा सेन की यह ड्यूटी इस समय इसलिए और ज्यादा अहम हो गई है। क्योंकि सीमा की 6 वर्षीय एक मासूम बच्ची है, जिसे उसे मजबूरीवश ड्यूटी के दौरान पूरे 12 घंटे तक कर्तव्य स्थल पर साथ ही रखना पड़ता है। सीमा का कहना है कि उसके पति का दो साल पहले निधन हो गया था। इस समय वह किराए के मकान में अपनी बच्ची के साथ रहती है। चूंकि बच्ची की देखरेख करने वाला कोई नहीं है इसलिए उसे मजबूरीवश उसे अपने साथ ही जिला अस्पताल ले जाना पड़ता है। फिर चाहे दिन की ड्यूटी हो या रात में, हर समय बच्ची नंदनी को अपने पास ही रखना पड़ता है। चूंकि कार्यस्थल जिला अस्पताल के मेटरनिटी विंग में एसएनसीयू है। जहां पूरे समय अलर्ट रहना पड़ता है, क्योंकि गलती से भी अनाधिकृत व्यक्ति एसएनसीयू में प्रवेश न कर जाए। वैसे ही इस समय कोरोना संक्रमण के चलते विशेष निर्देश दिए गए हैं।
-
नाइट ड्यूटी में बच्ची की टेबिल पर ही सुला देती हूं
सीमा बताती हैं कि वे एसएनसीयू में बीते 12 सालों से गार्ड की नौकरी कर रही हैं। महीने में 15 दिन नाइट ड्यूटी रहती है तो 15 दिन डे। नाइट ड्यूटी होने पर बच्ची को इसी टेबिल पर सुला देती हूं। कार्य स्थल अस्पताल है इसलिए बच्ची को इधर उधर खेलने भी नहीं जाने दे सकती। वैसे भी इन दिनों कोरोना संक्रमण के कारण बच्ची का विशेष ख्याल रखना पड़ता है।
-
नहीं जाते घर, कार्यस्थल पर ही करते हैं भोजन
कोरोना संकट काल में स्वास्थ्य विभाग के अलावा पुलिस एक ऐसा विभाग है, जिसमें पदस्थ अधिकारी-कर्मचारियों पर इस समय जिम्मेदारी ज्यादा बढ़ गई है। पहले बमुश्किल सप्ताह में एक अवकाश मिल जाता था। घर पर भी जा सकते थे। लेकिन इस समय न तो अवकाश है और न ही परिवार के पास जा सकते हैं। इस तरह की विपरीत परिस्थतियों में ड्यूटी दे रहे नेपाल सिंह तोमर व कपिल यादव। जिनकी इस समय ड्यूटी क्वारेंटाइन वार्ड के बाहर लगी हुई है। परिवार वालों को संक्रमण से बचाने इस समय घर जाने की अनुमति नहीं है। इसलिए हम ड्यूटी के दौरान कार्यस्थल पर ही भोजन कर लेते हैं। ड्यूटी के बाद रुकने के लिए एक धर्मशाला में व्यवस्था की गई है। इसलिए जब तक हमारी यहां ड्यूटी है तब तक परिवार वालों से भी नहीं मिल सकते।
-
तेज धूप में कर रहीं डोर-टू-डोर सर्वे
कोरोना संक्रमण से बचने जहां लोग अपने घरों में कैद हैं। ऐसे में कोरोना संदिग्धों मरीजों की पहचान करने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता प्रशासन के आदेश पर घर-घर जाकर सर्वे कर रही हैं। खास बात यह है कि इस समय काफी तेज धूप पड़ रही है। यही नहीं फील्ड के इस काम में लगाई गई आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं में कुछ ऐसी भी कार्यकर्ता हैं जिनकी शारीरिक हालत फील्ड मेें घूमने लायक नहीं है। लेकिन इसके बाद भी वह अपनी ड्यूटी जिम्मेदारीपूर्वक निभा रही हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अलित व्यास ने बताया कि इस समय उनके ऊपर दोहरी जिम्मेदारी है। ड्यूटी भी निभाना है और काम के दौरान अपने स्वास्थ्य के साथ-साथ घर जाते समय परिवार वालों का भी ध्यान रखना है।
0 टिप्पणियाँ