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कंप्यूटर और टीवी दोनों लगभग एक जैसे हैं। आजकल तो कुछ टीवी ऐसे आ गए हैं जिन्हें टेबल पर रख दो तो आप पता ही नहीं कर सकते वह कंप्यूटर है या टीवी। सवाल यह है कि जब दोनों ही इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है तो फिर कंप्यूटर को टीवी की तरह डायरेक्ट ऑन-ऑफ क्यों नहीं कर सकते। कंप्यूटर को प्रॉपर शटडाउन क्यों करना पड़ता है।
Laptop या Computer को Direct Off करने के नुक्सान
CRPF,AJMER में Deputy Commandant श्री नरेश चौधरी बताते हैं कि जब भी आप किसी Laptop या Computer को यूज करने के लिए ऑन करते हैं तो आपने देखा होगा, आपके कंप्यूटर की स्क्रीन आपकी टीवी स्क्रीन की तरह फटाफट डिस्प्ले नहीं होती। कंप्यूटर और लैपटॉप एक प्रोसेस पूरी करने के बाद आपकी सेवा में हाजिर होते हैं। आप कंप्यूटर पर एक सिंपल NOTEPAD ओपन करें, कोई गेम खेलें या फिर वीडियो चलाएं आपका कंप्यूटर स्क्रीन पर आपके ऑर्डर को डिस्प्ले करने से पहले बैकग्राउंड में काफी कुछ प्रोसेस करता है। कई प्रोग्राम ऐसे हैं जो लगातार बैकग्राउंड में काम करते रहते हैं। इसे कंप्यूटर का ऑपरेटिंग सिस्टम कहते हैं।
कंप्यूटर में शटडाउन आर्डर करने के बाद क्या होता है
जब आप अपने लैपटॉप को शट डाउन करते है तो आपका ऑर्डर ऑपरेटिंग सिस्टम के पास पहुंचता है। वह तत्काल आपकी आज्ञा का पालन करने की प्रक्रिया शुरू करता है। बैकग्राउंड में चलने वाले सारे प्रोग्राम एक-एक करके बंद होना शुरू हो जाते हैं। और फिर आपका सिस्टम ऑफ हो जाता है।
यदि कंप्यूटर को डायरेक्ट ऑफ कर दें तो क्या होगा
लेकिन अगर आप अपने कंप्यूटर या लैपटॉप को सीधे ही बंद कर देते है या power off तो जो ऑपरेटिंग सिस्टम है वह कंफ्यूज हो जाएगा। क्योंकि उसे कुछ इस तरीके से प्लान किया गया है कि वह डायरेक्ट पावर ऑफ को एक एक्सीडेंट मानता है। इसके कारण सबसे पहले तो आपने जितना डाटा सेव नहीं किया है वह सब गायब हो जाएगा और दूसरी बात जब भी आप इसे वापस फोन करेंगे तो आपका ऑपरेटिंग सिस्टम आपको बताएगा कि वह एक एक्सीडेंट का शिकार हुआ था। फिर वह खुद को रिपेयर करने में लग जाएगा। यदि आप बार-बार डायरेक्ट स्विच ऑफ करेंगे तो अगली बार जब भी उसे ऑन करेंगे उसका रिपेयरिंग टाइम बढ़ता जाएगा। इसके बाद भी यदि आप जिद पर अड़े रहे तो आपका microsoft Window क्रैश हो जाएगा।
तो फिर टीवी को डायरेक्ट ऑफ करने में कोई समस्या क्यों नहीं आती
यहां आपको समझना पड़ेगा कि टेलीविजन एक कंप्यूटर नहीं है। टेलीविजन केवल एक ऐसी डिवाइस है जो जिस तरह का इनपुट प्राप्त करती है वैसा ही आउटपुट आपके सामने रख देती है। कंप्यूटर के साथ यह नहीं है। कंप्यूटर एक दिमाग की तरह है। वह आपके लिए कैलकुलेशन करता है। वह आपके असिस्टेंट की तरह काम करता है। इसलिए उसे काम पर बुलाना पड़ता है और आराम करने का ऑर्डर करना पड़ता है।
सरल शब्दों में समझिए
कंप्यूटर को इंसान के दिमाग की तरह डिजाइन किया गया है। जैसे सुबह हम नींद से जागते हैं तो पलक झपकते ही हमारा दिमाग 100% एक्टिव नहीं होता, वह थोड़ा सा वक्त लेता है। ठीक वैसे ही जब हम कंप्यूटर को ऑन करते हैं तो वह किसी CFL की तरह ऑन नहीं होता बल्कि थोड़ा वक्त लेता है। ऐसे ही जब हम रात को सोने जाते हैं तो बिस्तर पर लेटते ही नींद नहीं आती, थोड़ा वक्त लगता है। ठीक वैसे ही जब हम कंप्यूटर को विश्राम करने के लिए कहते हैं तो फटाक से ऑफ नहीं हो सकता, थोड़ा वक्त लेता है। कंप्यूटर (CPU) इंसान के दिमाग की तरह काम करता है, वह सिर्फ डिस्पले स्क्रीन नहीं होता।
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