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लघु एवं कुटीर उद्योगों के माध्यम से प्रदेश में रोजगार के बड़े अवसर सृजित करें


सकारात्मक परिणाम सामने आने चाहिये
मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा कुटीर एवं ग्रामोद्योग, हाथकरद्या तथा कौशल विकास विभागों की समीक्षा  
 

  

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि विभिन्न उद्यमों की स्थापना के संबंध में केवल प्रशिक्षण दिया जाना पर्याप्त नहीं है। इसके साथ ही यह भी आवश्यक है कि प्रशिक्षणानुसार उद्योग स्थापना में हितग्राही की पूरी मदद की जाए। साथ ही उसे बाजार उपलब्ध कराने में भी सहायता दी जाए। प्रदेश में छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश की परिस्थितियों एवं यहाँ के लोगों की जरूरतों के हिसाब से योजनाएं बनायी जाएं। 
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सूक्ष्म एवं लघु उद्यम की समीक्षा के दौरान क्लस्टर विकास कार्यक्रम के प्रदेश में समुचित क्रियान्वयन किए जाने के निर्देश दिए। अभी इस क्षेत्र में वांछित कार्य नहीं हुआ है। इसके अंतर्गत क्लस्टर में कार्यरत इकाईयों के लिए सामान्य सुविधा केन्द्रों की स्थापना की जाए, अधोसंरचना का निर्माण एवं सुदृढ़ीकरण किया जाए और जिलों में मार्केटिंग हब एवं प्रदर्शनी केन्द्रों की स्थापना की जाए। 
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में महिला स्व-सहायता समूह विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के अंतर्गत उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं। जिलों में मार्केटिंग हब एवं प्रदर्शनी केन्द्रों की स्थापना के माध्यम से उनके उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराया जाए। बताया गया कि इसके अंतर्गत परियोजना लागत का 60 प्रतिशत (अधिकतम 6 करोड़ रूपये) वित्तीय सहयोग भारत सरकार से प्राप्त हो सकता है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि प्रदेश में संचालित की जा रही विभिन्न स्वरोजगार योजनाओं, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम आदि का समुचित क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए। इन योजनाओं के माध्यम से अधिक से अधिक व्यक्तियों को स्वरोजगार दिलवाया जाए। साथ ही प्रदेश के हाथकरघा बुनकरों एवं शिल्पियों को शासन की योजनांतर्गत सहायता दी जाए। प्रदेश के प्रमुख हाथकरघा क्लस्टर्स में चंदेरी, महेश्वर, सारंगपुर, वारासिवनी, सौंसर तथा मंदसौर शामिल हैं। 

बताया गया कि प्रदेश में हाथकरघा एवं हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए भारत शासन की स्फूर्ति योजनांतर्गत मुरैना जिले के बामोरा में चर्मशिल्प, जबलपुर जिले के भेड़ाघाट में पत्थर शिल्प, सीहोर जिले के बुधनी में काष्ठशिल्प, डिण्डौरी जिले में लौहशिल्प का और मंदसौर में हाथकरघा बुनकरों के लिए विशेष प्रोजेक्ट बनाया गया है। इसी प्रकार इमारती लकड़ी फर्नीचर निर्माण के लिए मण्डला तथा बैतूल जिलों में स्पेशल प्रोजेक्टर तैयार किए गए हैं। 

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