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हिन्दी माध्यम एवं ग्रामीण अंचल से आने वाले छात्र-छात्रों के साथ भेद भाव किया जा रहा है


गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय प्रशासन की अराजकता तथा तानाशाही का एक दौर चल रहा है जहां छात्र परिषद विश्व विद्यालय प्रवेश परीक्षा को ग्रामीण तथा आदिवासी अंचलों के छात्र छात्राओं की सुविधा के लिए हिंदी तथा अंग्रेजी दोनों माध्यमों में कराने की मांग कर रहा है जिससे ग्रामीण आंचल तथा आदिवासी क्षेत्रों से आने वाले छात्र छात्राओं को केंद्रीय विश्वविद्यालय में पढ़ने का मौका मिल सके वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन इसकी अपेक्षा करते हुए परीक्षा अंग्रेजी में कराने को डटा हुआ है तथा छात्र छात्राओं की  सुविधा एवं ग्रामीण अंचलों तथा आदिवासी छात्र छात्राओं को देखते हुए परीक्षा फॉर्म भरने की अवधि को बढ़ाने की भी मांग की जा रही है जिस पर प्रशासन बेसुध है छात्र प्रतिनिधि संदीप लहरें ने यह जानकारी दी है कि विश्वविद्यालय प्रशासन यह भूल गया है कि गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय का निर्माण ही ग्रामीण तथा आदिवासी छात्र-छात्राओं को ध्यान में रखकर किया गया था विश्वविद्यालय में ग्रामीण तथा आदिवासी छात्र छात्राओं की अपेक्षा की जाती है यह इसी बात से पता चलता है कि विश्वविद्यालय में हर वर्ष छात्रवृत्ति समय पर नहीं दी जाती  तथा छात्रवृत्ति में सुनियोजित व्यवस्था नहीं होती वही छात्र प्रतिनिधि  सचिन गुप्ता ने बताया है कि छात्र परिषद लगातार छात्रों की मांग को लेकर डटा हुआ है ग्रामीण अंचल तथा छात्र आदिवासी छात्र छात्राओं की सुविधा हेतु प्रवेश परीक्षा का माध्यम द्विभाषी हिंदी तथा अंग्रेजी रखने की मांग लगातार की जा रही है परंतु प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है तथा दूसरों के कार्य को अपना बताकर श्रेय लेने में लगा है छात्र प्रतिनिधियों ने बताया है कि यह पहली बार नहीं है जब प्रशासन अराजकता तरह तानाशाही कर रहा है छात्र हित की किसी भी मांग को लेकर प्रशासन कभी सकारात्मक नहीं रहता छात्र प्रतिनिधियों ने विश्व विद्यालय प्रवेश परीक्षा विभाग सीना होने तथा प्रवेश फॉर्म भरने की अवधि ना बढ़ाने पर आंदोलन की चेतावनी दी है
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