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मध्यप्रदेश में कोरोना रिटर्न: डिस्चार्ज के 18 दिन बाद महिला फिर से पॉजिटिव

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भोपाल। चीन समेत दुनिया के कुछ देशों में कोरोना वायरस के संक्रमण से मुक्त हो चुके लोगों के फिर से संक्रमित होने की खबरें आई थी। अब ऐसे ही मामले मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सामने आ रहे हैं। 80 साल की एक महिला जिसे पूरी तरह से स्वस्थ हो जाने के कारण 18 दिन पहले अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया था, फिर से पॉजिटिव पाई गई है।

मध्य प्रदेश का पहला मामला

इतने समय बाद दोबारा कोरोना से संक्रमित होने का यह मध्य प्रदेश का पहला मामला है। महिला का हमीदिया अस्पताल में इलाज चल रहा है। डॉक्टर भी अचरज में हैं कि इतने दिन बाद कोरोना का संक्रमण कैसे हो गया। इसके पहले हमीदिया अस्पताल के एक जूनियर डॉक्टर व एक नर्स दूसरी बार कोरोना से संक्रमित पाए गए थे। उस मामले में रिपोर्ट निगेटिव आने के तीन बाद ही वह पॉजिटिव पाए गए थे। 

चिरायु अस्पताल ने महिला को स्वस्थ बताते हुए डिस्चार्ज किया था

हमीदिया अस्पताल छाती व श्वास रोग विभाग के सह प्राध्यापक डॉ. पराग शर्मा का कहना है कि अभी तक के शोध में यह सामने आया है कि कोरोना वायरस शरीर में अधिक से अधिक 28 दिन तक रह सकता है। यही वजह है कि 10 से 14 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहने के बाद मरीज को 14 दिन के लिए घर में ही क्वारंटाइन रहने की सलाह दी जाती है। बता दें कि भोपाल में 80 साल की जो महिला दूसरी बार पॉजिटिव आई है उसे 25 अप्रैल को पॉजिटिव आने पर चिरायु अस्पताल में भर्ती कराया गया। 6 व 7 मई को लगातार दो दिन कोरोना की जांच रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद अस्पताल से छुट्टी कर दी गई थी। 

हमीदिया अस्पताल में सैंपल लिया तो पॉजिटिव आया

घर में महिला की सांस फूलने लगी। कोरोना जैसे लक्षण दिखने पर हमीदिया अस्पताल में 25 मई को सैंपल लिया गया। जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर महिला को फिर हमीदिया अस्पताल में भर्ती किया गया। डॉक्टरों के मुताबिक महिला का प्रोटीन का स्तर कम है। इसके पहले चिरायु अस्पताल से छुट्टी होने के बाद हमीदिया का ही एक जूनियर डॉक्टर व एक नर्स तीन दिन बाद फिर पॉजिटिव आ गई थीं। छुट्टी होने पर दोनों को गले में तकलीफ हुई थी। इसके बाद उन्हें फिर 14 दिन के लिए भर्ती किया गया था। अब वह स्वस्थ हो चुके हैं। 

सैंपल इंडिया जांच ठीक से नहीं होने पर रिपोर्ट नेगेटिव हो जाती है

एम्स भोपाल के डायरेक्टर प्रो. (डॉ.) सरमन सिंह ने बताया कि कई बार बीमारी ठीक हो जाती है, लेकिन मृत वायरस का आरएनए (राइबो न्यूक्लिक एसिड) फेफड़े से गले में आ जाता है और रिपोर्ट पॉजिटिव आ जाती है। ऐसा बहुत कम मामलों में होता है। दूसरा कारण यह भी हो सकता है कि सैंपलिंग या जांच ठीक से नहीं होने से जांच रिपोर्ट निगेटिव आ गई हो। यह भी होता है कि जांच के दौरान वायरस कम होने पर कई बार उनका पता नहीं लग पाता और रिपोर्ट निगेटिव आती है। मरीज की प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर कुछ दिन में वायरस के बढ़ने से फिर लक्षण दिखने लगते हैं और रिपोर्ट पॉजिटिव आती है। 

चिरायु से नेगेटिव बताए गए तीन मामले हमीदिया में पॉजिटिव निकले

भोपाल के जीएमसी के छाती व श्वास रोग विभाग के सह अध्‍यापक डॉ. पराग शर्मा ने कहा कि हमीदिया में अभी तक तीन मामले आए हैं जिनमें दो बार रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद पॉजिटिव आ गई। सैंपलिंग व जांच सही नहीं होने से कई बार रिपोर्ट निगेटिव आ जाती है। इसके अलावा रिपोर्ट निगेटिव आने की एक वजह वायरल लोड यानी वायरस की संख्या कम होना भी होता है। बाद में वायरस फिर से बढ़ने लगते हैं और दोबारा रिपोर्ट पॉजिटिव आ जाती है।

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