Music

BRACKING

Loading...

आकाशीय बिजली में कितना करंट होता है, वह जमीन पर क्यों गिरती है




 बारिश के मौसम में अक्सर आपको बादलों के बीच बिजली चमकती हुई दिखाई देगी। कई बार वो तेज आवाज के साथ जमीन पर गिरती है। उसकी चपेट में जो भी आता है खत्म हो जाता है। हर मौसम में वज्रपात के कारण हजारों लोगों की मौत की खबर आती है। आइए जानते हैं बादलों की बिजली जमीन पर क्यों गिरती है और इस बिजली में कितना करंट होता है। 

बादलों की बिजली जमीन पर क्यों गिरती है, विज्ञान की भाषा में समझाइए 

आकाशीय बिजली इलेक्ट्रिकल डिस्चार्ज है। ऐसा तब होता है जब बादल में मौजूद हल्के कण ऊपर चले जाते हैं और पॉजिटिव चार्ज हो जाते हैं। वहीं, भारी कण नीचे जमा होते हैं। निगेटिव चार्ज हो जाते हैं। जब पॉजिटिव और निगेटिव चार्ज अधिक हो जाता है। तब उस क्षेत्र में इलेक्ट्रिक डिस्चार्ज होता है। ज्यादातर इलेक्ट्रिकल डिस्चार्ज बादलों में ही खत्म हो जाता है लेकिन कई बार यह धरती पर भी गिरती है। ऐसा तब होता है जब बादल धरती के काफी पास होते हैं और बिजली की गड़गड़ाहट के कारण धरती का चार्ज बदल जाता है। 

बादलों की बिजली जमीन पर क्यों गिरती है, सरल हिंदी में में समझाइए 

बादलों में भी दो तरह के कारण होते हैं नेगेटिव और पॉजिटिव। जब दोनों आपस में टकराते हैं तो जैसे बिजली के तार टकराने पर स्पार्क होता है वैसा ही बादलों में भी स्पार्क होता है जिसे हम बिजली कहते हैं। कई बार बादल जमीन के काफी नजदीक होते हैं और जमीन पर कोई ऐसी चीज होती है जो बादलों में होने वाले स्पार्क को आकर्षित कर लेती है। इसलिए बिजली जमीन की तरफ आती है। कई बार जमीन से टकराने से पहले ही खत्म हो जाती है और कई बार जमीन में गहरा गड्ढा बना देती है।

आकाशीय बिजली में कितना करंट होता है

आकाशीय बिजली में करंट नहीं होता। बल्कि सूर्य के समान ताप होता है। आकाश में चमकने वाली बिजली को तड़ित कहते हैं। साधारणतया इसमें 17,000 से 27,0000C ताप होता है जोकि सूर्य की सतह से तीन से पाँच गुना ज्यादा। यही कारण है कि वज्रपात का शिकार हुआ व्यक्ति या जो भी चीज इसके रास्ते में आती है, जलकर राख हो जाती है। आकाश से धरती पर बिजली गिरने की गति बहुत ज्यादा होती है। यह 3 लाख किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से गिरती है। यानी करीब 84 किलोमीटर प्रति सेकेंड की गति

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ