पर्यावरण दिवस को पुरे भारत देश में प्रेरणा के रूप में मानते है ! मानवो का कर्तब्य बनता है कि वे पेड़ -पौधों को सुरक्षित रखें, जल को प्रदूषित होने से बचाये, क्युकि प्रकृति ही भगवान है और भगवान मे ही प्रकृति का वास है ! हमें वृक्षो कि कटाई पर रोक लगानी चाहिए. यदि एक वृक्ष काटा जा रहा हैँ तो हमें दस वृक्ष लगानी चाहिए ! मानव कि कल्पना तभी कि जा सकती है जब वातावरण (पर्यावरण ) शुद्ध रहेगा, प्रकृति को शुद्ध रखें, गंदगी फैलने न दे. जल को प्रदूषित होने से बचाए. जितना जल का उपयोग करना है उतना हि जल का उपयोग करें क्यूंकि " वृक्ष है तो जल हैँ. जल है तो जीवन है और जल है तो कल हैँ " प्रकृति से खिलवाड नहीं करना चाहिए यदि वातावरण अशुद्ध रहेगा तो मानव जीवन बहुत बड़ी हानि का सामना करना पड़ सकता है. एक उदाहरण के रूप में आप सब देख हि सकते हैँ कि पुरे देश मेकोरोना महामारी फैला हुआ है जिसका तोड़ अभी नही बना और उसका एक ही तोड़ हो सकता है प्रकृति से खिलवाड न करें क्यूंकि वृक्षो से पेड़ पौधों से हि हमें ओकसीजन मिलता है. अनेक प्रकार की जड़ी -बूटीया इन्ही से हमें मिलता हैँ ! प्रकृति ने हम सबको दिया हि दिया है लिया कुछ नहीं तो हमारा भी कर्तब्य बनता है कि हम उनकी रक्षा करें, द्वापर युग मे स्वंय भगवान श्री कृष्ण ने गिरीराज पर्वत कि पूजन किया और लोगो को भी प्रेरित किया कि हमें प्रकृति का पूजन करना चाहिए जो कुछ भी हमें मिल रहा है सब प्रकृति का हि देन है इसलिए हम सबको मिलकर प्रकृति की पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए सनातन धर्म भी यही कहता है "धर्मों रक्षति रक्षितः "
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