*(21 जून फादर्स डे पर विशेष)*
*✍️पिता से बढकर इस दुनिया में कोई सलाहकार नहीं ! एक पिता ही ऐसे होते है जो अपने बच्चों को सही सलाह और मार्गदर्शन देते हैँ, कि बच्चों के लिए कौन सा रास्ता सही होगा या गलत. यदि सम्बन्ध निभाना सीखना है तो "पिता " से सीखे वो पिता के साथ साथ "दोस्ती " का सम्बन्ध भी अच्छे से निभाते है. क्युंकि मेरे पापा मेरे लिए एक अच्छे दोस्त भी हैँ. जिनके साथ मै गम और खुशियाँ भी शेयर करती हु ! हर सुख -दुख मे वो मेरे साथ होते हैँ. जब हम इस धरती पर आये तो पहला कदम हम अपने पापा की ऊँगली को पकड़कर चलना सीखते है. बार बार गिरते है लेकिन पापा हमें गिरने से पहले ही थाम लेते है।उनके बारे मे मै क्या लिखूं या क्या कहूं? समुद्र की गहराई को भला आज तक कोई नाप सका हैँ ! पापा तो आसमां से भी ऊपर होते है. इसलिए मै हमेशा यही कहती हूं कि "पापा तो मेरे भागवन है पापा से मेरी पहचान है " हर मुश्किलों का सामना करना मेरे पापा ने ही मुझे सिखाया. पापा मुझसे हमेशा दो बाते कहते है कि हमारे विचार ऊंचे होने चाहिए. हालातो के आगे घुटने टेक कर नहीं बल्कि उसे डटकर मुकाबला करनी चाहिए ! उन्होंने मुझे बताया कि चाहे सुख हो या दुख हमेशा मुस्कुराते हुए हि उसका सामना करना चाहिए। बेटा पिता का मान होता है तो बेटिया पिता का स्वाभिमान होती है। तो हम सबका कर्तव्य है कि हम अपने पिता का स्वाभिमान कभी टूटने न दे ! जिस प्रकार स्वर के बिना संगीत अधूरा है. उसी प्रकार पापा के बिना दुनियां अधूरा है।*
*इस पर यही कहना चाहूंगी कि-है समाज का नियम भी कि पिता सदा गंभीर रहें,मन में भाव छुपे रहे।*
*मन में भाव छुपे हों लाखों, लेकिन आंखों से नीर बहे!*
*करें बात भी रूखी सूखी बोली बोल हिदायत के,दिल में पर्याय है मां जैसा ही, लेकिन अलग तस्वीर रहे!!*
*(फादर्स डे पर विशेष)*
*सुश्री पूजा किशोरी डंगबोरा-सक्ती जांजगीर चांपा छत्तीसगढ़*
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