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सूर्य की धूप से बाल सफेद हो जाते हैं तो फिर त्वचा काली क्यों पड़ जाती है

तेज धूप से बालों को बचाने के लिए फॉलो ...
 दादाजी अक्सर कहते हैं कि उन्होंने बाल धूप में सफेद नहीं किए हैं और दीदी कहती है कि धूप में उनकी त्वचा काली पड़ जाती है। दोनों की बात से यह तो पता चलता है कि धूप में बाल सफेद हो जाते हैं और त्वचा काली लेकिन सवाल यह है कि जब दोनों ही मानव शरीर का अंग हैं तो फिर धूप का असर अलग-अलग क्यों होता है। धूप से बाल सफेद होते हैं तो फिर त्वचा क्यों काली पड़ जाती है। आइए इसी सवाल का जवाब तलाशते हैं:-

सबसे पहले समझिए: धूप में त्वचा काली क्यों पड़ जाती है 

प्रसिद्ध ब्लॉगर अंजली मिश्रा बताती हैं कि जीव विज्ञान के मुताबिक त्वचा हमारे शरीर का सबसे बड़ा अंग है। यह भीतरी अंगों को चोट-चपेट और अन्य प्रभावों से बचाती है। इसके साथ ही त्वचा में मेलानिन नाम का एक पिगमेंट होता है जो शरीर को सूरज की हानिकारक किरणों से बचाता है। मेलानिन ही वह घटक है जो हमारी रंगत निर्धारित करता है। अगर शरीर में इसकी मात्रा ज्यादा होती है तो व्यक्ति सांवले रंग का और कम होने पर गोरे रंग का होता है।

सूर्य की रोशनी में शामिल अल्ट्रा वॉयलेट (यूवी) किरणें त्वचा के मेलानिन को नष्ट करती हैं। इसलिए जो लोग धूप में ज्यादा रहते हैं, उनके शरीर के बचाव के लिए त्वचा ज्यादा मात्रा में मेलानिन बनाना शुरू कर देती है। मेलानिन और अल्ट्रा वॉयलेट किरणों के बीच होने वाली यही क्रिया सनबर्न या सनटैन कहलाती है। यूवी रेडिएशन से त्वचा काली होने के साथ-साथ खुरदुरी और झुर्रियों वाली भी हो जाती है। 

अब बताते हैं कि धूप से बाल सफेद क्यों हो जाते हैं

मानव शरीर के बाल डेड शेल यानी मृत कोशिकाओं के बने होते हैं। इनकी केवल जड़ों में जान होती है या कहें कि बालों की जड़ें ही रासायनिक रूप से क्रिया-प्रतिक्रिया कर सकती हैं। बालों का रंग इनमें उपस्थित मेलानिन से तय होता है। कम मेलानिन होने पर बाल भूरे-सुनहरे होते हैं तो ज्यादा होने पर काले। बाल अगर लगातार यूवी किरणों के संपर्क में आते हैं तो उनका भी मेलानिन नष्ट हो जाता है और वे काला रंग खो देते हैं और चूंकि त्वचा की तरह बालों की मृत कोशिकाएं दोबारा मेलानिन नहीं बना पातीं, इसलिए बाल सफेद ही रह जाते हैं।

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