(रिपोर्टिंग जितेन्द्र तिवारी बिर्रा संवाददाता से खास बातचीत)
बिर्रा- कहते हैं जब आगे बढ़ने का हौसला हो तो परिस्थितियां आगे नहीं आती।ऐसा ही बिर्रा के होनहार युवक सुकलाल कहार जिसने गुरु घासीदास विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित वीआरईटी 2019-2020 में अंग्रेजी और विदेशी भाषा में पीएचडी प्रवेश परीक्षा में 100 में 73 अंक प्राप्त कर विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान हासिल किया है।अपनी इस सफलता पर उन्होंने बताया कि निष्ठा,लगन परिश्रम,ढृढ निश्चय,त्याग समर्पण और सभी के शुभाशीर्वाद से यह सफलता मिली है। उन्होंने अपनी पढ़ाई पर बताया कि महाविद्यालय और उसके बाद सतत् अनवरत दस महिनें के अध्ययन से अंग्रेजी साहित्य में थोड़ी अच्छी सी पकड़ बना गई।इन दस महिनें में औसतन आठ घंटे की पढ़ाई किया करता था।इस दौरान अनेक लेखकों के लेखन को अपने गुरूजनों एवं मित्रों की सहायता से अध्ययन किया।इन दस महीने में सभी प्रकार के उत्सव और त्यौहारों से दूरी बना ली। बाल्यावस्था में घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण होटलों में भी काम करना पड़। किशोरावस्था में अपने वजन से ज्यादा वजन उठाकर मजदूरी भी करना पड़ा।
वहीं आसपास के गांवों में सायकल से पावरोटी (डबलरोटी) तक बेचा एवं बैंड-बाजा बजाने का भी काम करना पड़ा। वर्ष 2011 में बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने से एक वर्ष स्नातक की पढ़ाई नहीं हो पाया।इस बीच सरस्वती शिशु मंदिर बिर्रा में बतौर आचार्य के पद पर सेवा दिया। जहां विद्यालय के मेघावी छात्रों से जीवन में आगे बढ़ने का हूनर सीखा और अध्ययन कार्य जारी रखा व स्नातक की पढ़ाई की। जहां एक आदर्श आचार्य का सम्मान भी प्राप्त किया।इस सम्मान से मेरा आत्मविश्वास बढने लगा और स्नातक के बाद डीपी विप्र महाविद्यालय बिलासपुर में अंग्रेजों साहित्य में प्रवेश लेकर पढ़ाई जारी रखा।स्नाकोत्तर पूर्ण करने के बाद नई दिल्ली के "साहित्य क्लासेस" से अंग्रेजी साहित्य की कोचिंग किया और अपने मित्र के साथ हरियाणा में स्वाध्याय करता रहा। उन्होंने आगे बताया कि राष्ट्रीय शीत ऋतु शिविर-2018 ,हल्दिया पुनर्वसन विद्या निकेतन पश्चिम बंगाल में एक अंग्रेजी के फसिलीटेटर के रूप में शामिल हुआ। जहां शिविर के व्यवस्थापक और छात्रों ने अध्यापन शैली की प्रशंसा की। छात्रों के लगन, शिष्टाचार और आदर्श ने एक साकारात्मक और गहरा प्रभाव डाला।हमारे संवाददाता जितेन्द्र तिवारी के पुछे जाने पर कि आपके प्रेरणा और मार्गदर्शक कौन है तो उन्होंने कहा कि मेरा परिवार ही सबसे बड़ा प्रेरणाश्रोत रहा है जिन्होंने आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के बाद भी मुझे पढ़ने की अनुमति दी।मेरे परिवार के मेरे माता श्रीमती खीकबाई कहार-पिता फिरतराम कहार (एक कर्मठ किसान) जीजाजी, बहन-बहनोई,चाचा दिनेश सर जिन्होंने एक सच्चे मित्र की भांति सदैव मेरा हौसला अफजाई की।साथ ही हमारे मूलचंद देवांगन, आचार्य गण, महाविद्यालय के प्रोफेसर खासकर अंग्रेजी के और मित्रजनो का विशेष सहयोग रहा।अब आगे क्या करने का इरादा है पुछे जाने पर होनहार युवक सुकलाल कहार ने बताया कि भविष्य में जे आर एफ कर डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त कर एक उपान्यासकार बनना चाहता हूं।
हमारा दैनिक छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस परिवार ऐसे होनहार बिरवान युवक के उज्जवल भविष्य की कामना करती है।
*✍️रिपोर्टिंग जितेन्द्र तिवारी बिर्रा*


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